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Election Exclusive -आरजू,मिन्नत,पोल खोल की धमकी, दिल्ली दरबार और फिर कुर्बानी, गज़ब है गिरिराज सिंह की अबतक की कहानी! 

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पटना Live डेस्क। बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर भाजपा ने गठबंधन के तहत अपने सहयोगी दलों के साथ सीट बटवारें को लेकर रविवार को पटना में संयुक्त प्रेसकॉन्फ्रेंस करते हुए अपनी 6 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी हैं। जिस कारण भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के सपने अधूरे रह गए। सीट बंटवारे के बाद बिहार की जो लोकसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है – वह नवादा है क्योंकि यहां से भाजपा के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांसद हैं। लेकिन अब यह सीट रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के खाते में चली गई है। यहां लोजपा से बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी चुनावी मैदान में उतरेगीं। फिलहाल वीणा देवी मुंगेर से सांसद हैं। बिहार के इस फायरब्रांड लीडर की अजब कहानी रही है जब बेगूसराय से लड़ना चाहते थे तो नवादा भेज दिए गए अब नवादा से लड़ने को आमादा है तो बेगूसराय धकेल दिए गए है।

गरजते है फिर लरजते है गिरिराज सिंह 

याद कीजिए वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव का वो दौर -हर मोदी हर मोदी घर घर मोदी का सियासी नारा अपने उरूज की ओर बढ़ रहा था। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार थी लेकिन भाजपा उसके साथ नही थी। ल गिरिराज सिंह पहली बार 2002 में बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जब सूबे में पहली बार NDA की सरकार बनी तो गिरिराज सिंह मंत्री बनाए गए। 2008 से लेकर 2010 तक वह नीतीश सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे। उस दौर में नीतीश मंत्रिमंडल में 2 ऐसे मंत्री रहे जो हमेशा नीतीश सरकार के खिलाफ बोलते रहे, उनमें एक नाम गिरिराज सिंह का था और दूसरा अश्विनी चौबे का। ये वो दौर था जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सूबे की सीमाओं को लांघ कर राष्ट्रीय पटल पर अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराने की ओर अग्रसर हो चुके थे। गिरिराज ने खुलकर मोदी के समर्थन में गरज रहे थे।

बेगूसराय लड़ना चाहते थे नवादा भेजे गए 

2014 लोकसभा चुनाव को याद कीजिए, गिरिराज सिंह उस समय भी चर्चा में थे। वह बेगूसराय से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें नवादा का टिकट थमा दिया। सिंह परेशान रहे और कई बार धमकी भी दी लेकिन फिर भी मामला नहीं सुलझा। गिरिराज सिंह पटना से दिल्ली पहुंचे। उस समय राजनाथ सिंह भाजपा अध्यक्ष थे। तमाम मीडियाकर्मी गिरिराज सिंह को कैद करना चाह रहे थे क्योंकि वो भाजपा के कई नेताओं की पोल खोलने की धमकी देकर पटना से दिल्ली दरबार पहुंचे थे। यहां उन्होंने सीट परिवर्तन के लिए मिन्नतें कीं, लेकिन मामला सिफर ही रहा। अलाकमान ने उन्हें नवादा से ही ताल ठोकने का आदेश दे दिया।

फिर क्या था झक मारकर गिरिराज सिंह के तेवर नरम पड़ गए और उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी के लिए हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं… हमारी इच्छा है कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनें और मैं नवादा के लोगों का प्यार जीतकर मोदी की झोली में रख सकूं।’ गिरिराज सही साबित हुए उन्हें चुनाव में जीत मिली। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के राजवल्लभ प्रसाद को 1 लाख 40 हजार 157 वोटों के अंतर से हराया। विजयी गिरिराज को कुल 3 लाख 90 हजार 248 वोट मिले।

  गिरिराज की नीतीश से रही है सियासी रार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गिरिराज सिंह की कभी तालमेल अच्छा नहीं रहा । चाहे वो नीतीश सरकार में मंत्री रहे हों या सांसद। पहली बार 2002 में गिरिराज सिंह बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो गिरिराज सिंह मंत्री बनाए गए। नीतीश मंत्रिमंडल में दो ऐसे मंत्री रहे जो हमेशा नीतीश सरकार के खिलाफ बोलते रहे, उनमें एक नाम गिरिराज सिंह का था और दूसरा अश्विनी चौबे का। ये दोनों लोग गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन करते थे।

जब बिहार में दोबारा नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तब भी गिरिराज और चौबे के मिजाज में कोई फर्क नहीं आया। रामनवमी के मौके पर बिहार में दंगे-फसाद के मामले में मोदी सरकार के ये दोनों मंत्री खुलकर नीतीश सरकार की आलोचना करते रहे। नीतीश और गिरिराज में कई मौकों पर तल्खी दिख चुकी है। दरभंगा में मोदी चौक नाम को लेकर एक हत्या हुई तो गिरिराज ने बिहार सरकार पर सवाल खड़े किए। अश्विनी चौबे के बेटे वाले मामले में भी गिरिराज नीतीश की लाइन से अलग दिखे थे।

राजनीतिक सफर

बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया में जन्मे गिरिराज सिंह पहली बार 2002 में बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए। साल 2008 से लेकर 2010 तक वह नीतीश सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे। साल 2014 में पहली बार लोकसभा सांसद के रुप में नवादा सीट से निर्वाचित किए गए। साल 2017 में गिरिराज ने नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली।

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