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Super Exclusive|देख लीजिए ये है वो शूटर जिसने Amit Singh को Deoghar में मारी थी ताबड़तोड़ गोलियां जानिए कौन है कहा का है? कौन है बॉस !

जनवरी में ही हो गया था ऐलान जीवन जीने का एक ही सीधा तरीका का है ...शिकार करो या शिकार हो जाओ..ये बाते लिखी थी गौरव ने अपने फेसबूक वाल पर लिख था दिया, बेहद कम उम्र में हथियार उठा लेने वाले मासूम चेहरे वाले सनकी क़ातिल, जो महज भैया की बात पर कर देते है कांड,राज्य के बाहर निकल चुके है दोनो शूटर

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पटना Live डेस्क। राजधानी पटना की बेउर जेल से पेशी के लिए झारखंड के देवघर कोर्ट गए बदमाश अमित कुमार सिंह की शनिवार 18 जून 2020 को कोर्ट परिसर में वकील से मिलने ख़ातिर चेम्बर मे बैठे होने के दौरान एक शूटर ने दनादन 3 गोलियों मार कर मौत के घाट उतार दिया गया।घटना के बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने भी अमित को मृत घोषित कर दिया। देवघर पुलिस ने अमित के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजकर घटना की जांच शुरू कर दी है। नतीजा निकला बिहार की राजधानी पटना के दो गैंग की भिड़ंत का नतीजा था देवघरकोर्ट परिसर हत्याकांड सहयोगी की भूमिका में पटना पुलिस का सिपाही मो ताबिश गिरफ्तार हुआ मुँह खोला तो ASI भी लपेटे में आ गए।

ख़ैर बात अमित के हत्याकांड की करे तो यह साफ हो चुका है कि बेउर जेल में कैद कुख्यात अपराधी माणिक उर्फ आदित्य कुमार उर्फ बबुआ ने अपने शातिर गुर्गों के जरिए साज़िश रचकर सज़ायाफ्ता अमित कुमार सिंह की हत्या को अंजाम दिलाया है। इसके लिए बाकायदा बेहद खौफ़नाक ढंग से प्लानिंग की गई।

अमित के बेउर जेल के वार्ड 3/6 सरस्वती खंड के एक शख़्स जो हाल ही में भागलपुर से बेउर लाया गया है कि भूमिका बेहद अहम है। यह शख़्स जेल प्रशासन का दुलरुआ रहा है। ये भी सज़ायाफ्ता है और जेल का बेहद चर्चित नाम है। इस कत्ल की साज़िश में शामिल सभी अमित कुमार सिंह से दुःखी थे नाराज़ थे या उसके साथ रहकर भी वफ़ादार नही थे बस मौके की तलाश में थे। मौका मिला और फिर 18 जून को काम तमाम हो गया।

Hunt or Get Hunted (मारो या मरो)

यह तस्वीर आशुतोष कुमार उर्फ गौरव शर्मा की है। बकौल देवघर पुलिस और राउटर के जरिए पुलिस के हत्थे चढ़े नौबतपुर थाना क्षेत्र के मिसरी चौक का मूल निवासी चद्रभूषण कुमार उर्फ चंदन के मैं, आशुतोष और अनीश बचपन के दोस्त है। हम तीनों की दोस्ती उस वक्त से है जब हम तीनों एक ही सर से ट्यूशन पढ़ते थे। दोस्ती हुई तो हम इकट्ठे घूमने फिरने लगे। इसी बीच एक बार मेरे फ़ोन से अनीश ने किसी व्यक्ति से 25 लाख रुपए रंगदारी की मांग की थी। मामला बिगड़ गया और पुलिस द्वारा मोबाइल नम्बर के जरिए मुझे गिरफ्तार कर लिया गया फिर अनीश और आशुतोष को भी गिरफ्तार कर तीनों एक साथ जेल भेज दिया गया।जेल में ही इन तीनो का परिचय अपने इलाके नौबतपुर के कुख्यातों माणिक, उज्ज्वल व अमित सिह से जान-पहचान हुई। उसके बाद तीनो दोस्त अमित व माणिक व उज्ज्वल के शागिर्द बन गए।

उन दिनों अमित सिंह निर्भय सिंह हत्याकांड में जेल में बंद थे। बिहटा सिनेमा हॉल के मालिक निर्भय सिंह हत्याकांड के बाद अमित की बाजार में धाक बन गई और वह रंगदारी वसूलने का काम करने लगा था। वही, आशुतोष और अनीश हमेशा साथ रहते। आशुतोष जेल से निकलने के बाद दिल्ली चला गया था। फिर लौट आया और अनीश के साथ मिलकर कांड करने लगा। आशुतोष उर्फ गौरव जानीपुर थाने के रामपुर गांव निवासी उज्ज्वल जिसने चेचौल निवासी मुचकुंद के साथ मिलकर पटना बाईपास पर सिपाही मुकेश कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी उसके बहुत क्लोज है। उनको अपना बड़ा भाई मानता है।

अनीश कुमार ग्राम चेचौल थाना नौबतपुर 

अनीश कुमार मूल रूप से पटना जिले के उसी चेचौल गाँव का निवासी है जिस गाँव का रहने वाला था 50 हजार का ईनामी व पटना के टॉप टेन अपराधियों की सूची में नंबर एक अभिषेक कुमार उर्फ मुचकुंद शर्मा।जिसका खौफ़ और आतंक दानापुर, नौबतपुर, बिक्रम दुल्हिनबाजार,खीरी मोड़ से लेकर आरा तक था। मुचकुंद पर नौबतपुर, बिहटा,आरा व आसपास के थानों में हत्या के अलावा आधा दर्जन मामले रंगदारी, गोलीबारी करने,धमकी देने और आर्म्स एक्ट के दर्ज थे।

मुनचुन का खौफ़ इस कदर था कि कई पुलिस वाले भी उसके खौफ़ से उसको देखकर रास्ता बदल लेते थे। चेचौल निवासी नरेंद्र सिंह का महज 22 वर्षीय बेटा मुनचुन आतंक का पर्याय बन गया था। फलाफल यह निकला कि पुलिस ने पहले इसपर 50 हजार का ईनाम घोषित किया और फिर 13 दिसम्बर 2018 को पाटलिपुत्र स्टेशन से कुछ दूर पूर्वी गोला रोड में कथित पुलिस संग मुठभेड़ में कुख्यात अभिषेक कुमार उर्फ मुचकुंद मारा गया।

अनीश कुमार भी चेचौल गाँव का ही निवासी है। पिता किसान है। इस किसान परिवार के पास बिहटा सरमेरा रोड पर कई बीघे ज़मीन है जिसकी कीमत करोड़ो में है। खाता पीता सम्पन्न किसान परिवार है। माँ बाप का इकलौता बेटा अनीश पढ़ने के दौरान ही गलत संगत में पढ़कर राह भटक गया और फिर गाँव के ही कुख्यात मुचकुंद शर्मा की सरबराही में अपराध की दुनिया मे अपनी धमक दिखाने लगा।

मारपीट, रंगदारी और दंबगई की शुरुआत गाँव से ही हुई और फिर मुचकुंद के इशारे पर फ़ोन करना रंगदारी की मांग करना और फिर नही देने पर गोलियों की बौछार कर देना अनीश ने शुरू कर दिया। इसके जुर्म की दुनिया मे प्रवेश के साथी आशुतोष व चंदन थे। जो इसके साथ ट्यूशन पढ़ते हुए ही इसके हमराही बने और फिर इसके विश्वस्त साथी बन गए। पहली बार तीनो साथ ही जेल गए।

आगे की कहानी … अगले अंक में 

 

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