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Fact Findings-चचा-भतीजा की सहमति का नतीजा मास्टर का इस्तीफ़ा,तो क्या हुआ होम्योपैथिक इलाज़?

विवादों में घिरे बिहार के मंत्री कार्तिक कुमार ने सोमवार की देर शाम कानून से गन्ना मंत्री बनने के बाद इस्तीफा दे दिया,इस्तीफे के बाद से एक बार फिर महागठबंधन के दलों में कतिपय नेताओं के बीच जारी शह मात के खेल का हुआ खुलासा, होम्योपैथी इलाज का हो रहा दावा

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पटना Live डेस्क। बिहार की सियासत ने बीते अगस्त महिने में सियासत ने जबरदस्त करवट ली और राज्य में नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी। राजद जदयू के नेतृत्व में नई सरकार के मंत्रियों का 16 अगस्त को राजभवन में शपथ ग्रहण हुआ। इस दौरान कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह ने भी शपथ ली और वे कानून मंत्री बनाए गए। हालांकि इसके तुरंत बाद वे विवादों में आ गए। खबर आई कि जिस दिन वे शपथ ले रहे थे, उसी दिन उन्हें अपहरण के एक मामले में कोर्ट में जाकर सरेंडर कर रहे थे। यह मुद्दा देशभर में छा गया। विपक्षी दल बीजेपी द्वारा नए मंत्रिमंडल में शामिल मास्टर साहब उर्फ कार्तिक सिंह को बर्खास्त करने की मांग लगातार की जा रही थी। इसी बीच अचानक बुधवार 31 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्तिक कुमार के विवादों में आने के बाद उनका विभाग बदल दिया। उनसे कानून विभाग छीनकर गन्ना उद्योग विभाग पकड़ा दिया गया। वहीं, गन्ना उद्योग मंत्री रहे शमीम अहमद को कानून मंत्री बना दिया गया। इससे कार्तिकेय कुमार नाराज बताए जा रहे थे और उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया।

बिहार के मंत्री कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह ने गन्ना उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बुधवार को सीएम नीतीश कुमार को अपना इस्तीफा भेजा। विवादों में आने के बाद आज ही सीएम नीतीश ने उनका विभाग बदला था। बताया जा रहा है कि कार्तिक कुमार को कानून मंत्री से हटाकर गन्ना उद्योग विभाग पकड़ा दिया गया, इससे वे नाराज हो गए। मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा मंजूर करके राज्यपाल फागू चौहान को अनुशंसा भेज दी है। कार्तिकेय सिंह के इस्तीफा देने के बाद राजस्व मंत्री आलोक कुमार मेहता को गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

बुधवार की देर शाम मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस बाबत प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जो जानकारी दी उसके मुताबिक…

पटना, दिनांक 31 अगस्त, 2022 गन्ना उद्योग मंत्री श्री कार्तिक कुमार ने आज दिनांक 31 अगस्त 2022 को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को समर्पित किया।मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल श्री फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी।श्री कार्तिक कुमार अब राज्य मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहे।गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है।

चचा भतीजा की सहमति और होम्योपैथी इलाज

सत्ता के गलियारो से जो खबरे मिल रही है उसके मुताबिक वर्त्तमान सरकार से कार्तिकेय कुमार सिंह के इस्तीफे से साफ है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव अपने इमेज को लेकर बेहद गंभीर है।कार्तिक सिंह पर अपहरण को लेकर एक मामला है जिसकी वजह से उन्हें कोर्ट में भी पेश होना हैं जिसकी वजह से सरकार की किरकिरी हो रही थी और विरोधी दल लगातार कार्तिक सिंह के बहाने नीतीश सरकार को घेर रहे थे। इसी बीच अपनी छवि को लेकर कथित तौर पर बेहद सतर्कता बरतने वाले नीतीश कुमार तक पार्टी के उस धड़े जिनका छोटे सरकार से 36 का आकड़ा है जो मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक के होम्योपैथीक ईलाज की सार्वजनिक घोषणा कर चुका है ने पहुचाया की कानून मंत्री की दागी छवि की वजह से आपकी छवि पर गलत असर पड़ रहा है। फिर क्या था नीतीश कुमार ने फौरन भतीजे विचार विमर्श किया। खबर है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सहमति से ये फैसला लिया गया है।

नतीजा मास्टर का इस्तीफ़ा

राजद व जदयू के अघोषित सुप्रीमों की आपसी सहमति का नतीजा निकला कि तबतक कानून मंत्री रहे एमएलसी कार्तिक सिंह को संदेश भेज दिया गया कि क्या होगा और क्या करना है। संदेश स्पष्ट था आपको सम्मानजनक विदाई दी जाएगी। साथ ही भविष्य में ख़याल रखने का आश्वासन भी मिला की नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में जिन पर भी कोई गम्भीर आरोप लगा तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा और जब वो बरी हो गए तब उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में लिया गया था जीतन राम मांझी इसके बड़े उदाहरण हैं। यानी सब कुछ सेट कर लिया गया, मास्टर साहब को बता कर सहमति ले ली गई। तय स्क्रिप्ट के अनुसार मंगलवार बुधवार की दरमियानी देर रात ही कार्तिक सिंह जो पहले लॉ मिनिस्टर थे।उनका विभाग बदल कर गन्ना विभाग कर दिया गया। फिर जैसा कि तय था सियासी गलियारों में कई तरह के कयासबाजी शुरू हो गई। तो कुछ को हवा दी गई। जैसा की गन्ना मंत्री बनाए जाने से कार्तिक सिंह बेहद नाराज है। आत्मसम्मान से समझौता नही करेंगे। यानी स्क्रिप्ट के अनुसार सब हुआ और फिर जैसा पहले से तय था कार्तिक सिंह ने इस्तीफा दे दिया।

क्यों विवादों में आए कार्तिक कुमार सिंह?

कार्तिक कुमार उर्फ कार्तिकेय सिंह नीतीश कैबिनेट में आरजेड कोटे से मंत्री बनाए गए। वे बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अनंत सिंह के करीबी हैं। इन्हें कार्तिक मास्टर के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक कुमार के खिलाफ पटना के बिहटा में 2014 में अपहरण का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें अनंत सिंह भी सह आरोपी हैं। पिछले दिनों उनपर आरोप लगे कि जिस दिन वे राजभवन में मंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उसी दिन किडनैपिंग केस में उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था। इसके बाद विपक्षी दल बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया और कार्तिक कुमार देशभर में चर्चित हो गए।

कोर्ट से मिली राहत

कार्तिकेय सिंह पर 2014 में यह मामला दर्ज किया गया था। कार्तिकेय सिंह को बिहटा थाना क्षेत्र के बिल्डर राजू सिंह के अपहरण में आरोपी बनाया गया था।इस मामले में अनंत सिंह भी आरोपी हैं। वही, कोर्ट ने इस मामले में कार्तिकेय सिंह के खिलाफ सरेंडर वारंट जारी किया था। लेकिन मंत्रिपद की शपथ लेने के बाद कार्तिकेय सिंह ने अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने 12 अगस्त को सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी से 1 सितंबर 2022 तक रोक लगा दी थी।

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