बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

Fact Finding सीरीज़-“बागपत से बिहार” परत दर परत कब कैसे कहाँ-बेहद शातिराना ढंग से फर्जीवाडा सीधे IAS बना देता है! बेहद गंभीर सवाल

BiG Question- क्या अंधा (दृष्टिहीन) शख्स सर्जन पशु चिकित्सक के तौर पर प्रशिक्षित किया जा सकता है? RTI में तो यूपी सरकार ने साफ कहा है की उनको ऐसी कोई जानकारी नही है? तात्कालिक मंत्री ने भी की थी टिप्पणी,4 बार सामान्य कोटे से परीक्षा दी असफलता मिली चांस खत्म होते ही दृष्टि समस्या हो गई? आखिर क्यों?

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पटना Live डेस्क। विगत कुछ वर्षों में देश के तमाम राज्यों समेत केंद्रीय भर्ती के साथ ही हालिया Bihar Public Service Commission (बिहार लोक सेवा आयोग) पेपर लीक काण्ड के जरिए सरकारी भर्ती और भर्ती घोटालों की एक लंबी श्रृंखला लगातार  आवाम को सिस्टम के सड़ने का एहसास करा रही है। अब तक के हमारे खुलासे के बाबत आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं … पहली किस्त – महाखुलासा

कौन-कब-कहाँ-कैसे 

दरअसल, हमारा खुलासा देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा और देश के अतिप्रतिष्ठित व आम आदमी की नज़रों में अतिविशिष्ट आयोग (केंद्रीय संस्थान) से जुड़ा हुआ हैं।लेकिन समय के साथ इस आयोग की भी प्रतिष्ठा व विश्वसनीयता व पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगने लगे है। साथ ही Patna Live  के हाथ लगे सुबूतों व आरटीआई की मदद से संकलित साक्ष्यों ने बेहद गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए है। दरअसल वर्ष 2012 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में विशेष मेहरबानियों से सफल हुए दो रोल नंबर- 470602 और रोल नंबर- 328327  जिन्होंने क्रमशः 39वाँ और 224वाँ रैंक हासिल किया जिनके नाम क्रमशः शैलजा शर्मा और  लिपिन राज़ एम पी के बाबत मिल रही जानकारियों से अति गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे है। वही,वर्त्तमान में शैलजा शर्मा बिहार कैडर की आईएएस के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां निभा रही है। तो वही लिपिन राज एम पी भारतीय रेल कार्मिक सेवा (IRPS) में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है।

UPSC के अनुसार दोनों ने दृष्टि विकलांग वर्ग के तहत 2012 की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इस श्रेणी में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा पास करने के तुरंत बाद एक मेडिकल बोर्ड के समक्ष एक चिकित्सा परीक्षा से गुजरना पड़ता है। एक मेडिकल बोर्ड यह पता लगाने के लिए उनकी विकलांगता की सीमा का आकलन करता है कि क्या वे नियमों में निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं।उम्मीदवार बोर्ड के निर्णय के खिलाफ अपीलीय बोर्ड में अपील कर सकते हैं, जिसका निर्णय अंतिम होता है। लेकिन इन दोनों ख़ातिर नियम कानून की कैसे धज़्ज़िया उड़ाई गई और क्या क्या हुआ यह देश की अवाम नही जानती है। ख़ैर,

हम महाखुलासा सीरीज के तहत परत दर परत सच का खुलासा करते हुए सवाल कर रहे है 2012 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल  Roll No.- 470602 के तौर शामिल होकर 39वाँ रैंक हासिल करने वाली (ऑफिसियल नाम ऐसे लिखा जाता है) Shailaza Sharma के बाबत ….

कौन हैं शैलजा शर्मा 

पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के आगरा जनपद के हाउस नम्बर 37-A-35-1 मधु नगर के मूल निवासी पर  वर्त्तमान में मुजफ्फरनगर के नई मंडी कोतवाली थाना क्षेत्र के जानसठ रोड,आत्मकुंज कॉलोनी निवासी वशिष्ठ हॉस्पिटल के एमडी डॉ. वागीश चंद्र शर्मा की बेटी शैलजा शर्मा बिहार कैडर की वर्ष 2012 बैच की IAS (आईएएस) अधिकारी हैं।शैलाज़ वर्त्तमान में पथनिर्माण विभाग,पटना में संयुक्त सचिव हैं। साथ ही पटना मेट्रों में निदेशक की जिम्मेदारी निभा रही है। शैलाज़ शर्मा और विवादों का चोली दामन का साथ रह है। क्या बागपत क्या बिहार क्या मुजफ्फरनगर यह अमूमन चर्चा का केंद्र बनती रही है।

खैर, यह वाकया है वर्ष 2016 के अगस्त मंथ का है। हुआ यूं  बिहार के एक जिले में अगस्त महीने में ही महज 15 दिन पहले बतौर डीएम तैनात किये गए एक (IAS) आईएएस अधिकारी पर उसी जिले में वर्ष 2016 के जनवरी महीने से बतौर एसडीएम तैनात  शैलजा शर्मा जो स्वयं काफ़ी लंबे समय के बाद बिहार लौटी थी ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यालय को डीएम साहब की लिखित शिकायत की। तब,दोनों अधिकारियों के बीच ज़ोरदार विवाद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। वही, उस दौर में मामले के बाबत तब यह चर्चाआम थीं (हम यह दावा नही करते बस तात्कालिक चौक चौराहों पर जारी बतकही का उल्लेख मात्र कर रहे है।) कि बेचारे डीएम साहब तिरिया चरित्तर के शिकार हो गए। घटना का मूल कुछ और था और मामले को कोई और रंग देकर शिकायत की गई थी जिसका फलाफल यह रहा कि तत्काल मुख्यालय को कड़ा एक्शन लेना पड़ा। जिलाधिकारी को न सिर्फ स्थानांतरित किया गया है बल्कि सामान्य प्रशासन विभाग में प्रतीक्षा में रखकर एक लिहाज से दंडित भी किया गया। वही आरोप लगाने वाली अधिकारी शैलजा शर्मा को भी जिले से रुखसत तो किया गया पर प्रशिक्षण में वरियता देते हुए दूसरे जिले में उपविकास आयुक्त बनाया गया।

बागपत से कैसे पहुची बिहार

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2012 आयोजित परीक्षा में 39 रैंक प्राप्त करने वाली शैलजा शर्मा ने वेटनरी साइंस में डाक्टरेट की हुई हैं। बतौर सरकारी वेटनरी डॉक्टर बागपत में वर्ष 2013 के अगस्त महीने तक कार्यरत रही है।साथ ही साथ यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी भी करती रही ताकि IAS (आईएएस) बन कर देश की सेवा कर सके। लेकिन सफलता मिली वर्ष 2012 में वीडी यानी विजुअली हैंडीकैप्ड कोटे में पर रैंक मिला बेहतरीन। विजुअली हैंडीकैप्ड कोटा और 39 रैंक की भी अलग कहानी है। उसकी बात कभी और करेंगे।

खैर,अब बात रिजल्ट के आने के बाद यूपीएससी द्वारा चयनित हैंडिकैप्ड उम्मीदवारों के मेडिकल की व्यवस्था दिल्ली के नामचीन सरकारी अस्पताल सफदरजंग समेत इन अस्पतालों में होता चला आ रहा है।

 सनसनीखेज मोड़

खुद को मेडिकली विजुअली हैंडिकैप्ड साबित करने की कवायद के तहत 39रैंक पाकर सफल शैलजा शर्मा के सफदरजंग अस्पताल में मेडिकल ख़ातिर उपस्थित होने के बाद से ही इस कहानी में बड़ी अजीबोगरीब और बेहद सनसनीखेज तरीके से ग़ज़ब का मोड़ आता है। यह कहानी न केवल मोड़ लेती है बल्कि तत्त्कालिक यूपीए सरकार की भी मुसीबत का सबब बन जाती है। साथ ही इस कि वजह से UPSC, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOTP), स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (DGHS) समेत तमाम संस्थान इस कांड के चपेट में आकर अपनी निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न कर देते है। वही दूसरी तरफ़ तत्कालीन राज्य मंत्री वी नारायणसामी द्वारा लिखा एक नोट चर्चा का विषय बन जाता है। वही इस घालमेल व नियम विरुद्ध करतुत के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) यानी Central Administrative Tribunal का दरवाजा खटखटाया जाता है। 

पहला मेडिकल टेस्ट-सफदरजंग अस्पताल

शैलजा शर्मा ने खुद को विजुळली हैंडिकैप्ड बता कर यूपीएससी की परीक्षा पास वर्ष 2012 में पास कर लिया,रैंक भी बेहद शानदार मिला। अब बारी थी खुद को VH (विएच) साबित करने की तो नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर ने जब मेडिकल जांच की तो चौकाने वाला तथ्य इस जांच रिपोर्ट में लिखा। अपनी जांच रिपोर्ट में डॉक्टर अनुज मेहता जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर MCI 6229 है ने साफ साफ लिखा कि शैलजा शर्मा विजुअली हैंडिकैप्ड नही है।

दूसरा- 3 डॉक्टरों द्वारा RLM, नई दिल्ली

चुकी सफदरजंग अस्पताल ने शैलजा शर्मा को वीडी  नही बताया और साफ साफ लिख दिया कि शैलजा शर्मा विजुअली हैंडिकैप्ड नही है। संघ लोक सेवा के नियमों के अनुसार इन्होंने अपिलेन्ट मेडिकल बोर्ड जो राममनोहर लोहिया अस्पताल के 3 डॉक्टरों का था द्वारा इनका पुनः एक बार मेडिकल एग्जामिनेशन किया गया पर इस बार तो 3 सदस्यीय बोर्ड ने स्पष्ट जो लिखा उसने तो ….. 

बाक़ी अगली क़िस्त में …

BiG क्वेश्चन – आख़िर शैलजा शर्मा और एक अन्य लिपिनराज़ एमपी पर UPSC के नियमो के खिलाफ जाकर मेहरबानियों की वजह क्या थी?

तत्कालीन राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने फाइल पर लिखा था: “दूसरी अपील की अनुमति क्यों दी जा रही है?”

RTI के जरीए जब सिविल सेवा उम्मीदवारों की मेडिकल रिपोर्ट का विवरण मांगा गया तो .. सरकार की ओर से जवाब चौंकाने वाला था। सरकार ने स्वीकार किया कि डीओपीटी (DOPT) के कार्यालय से कई प्रासंगिक फाइल गायब हो गई थी।

अगली क़िस्त में ...और भी ऐसे खुलासे होगे जो ..आप के यक़ीन को पुख्ता करेंगे कि ….सिस्टम की संड़ाध की पहुच न जाने कहाँ कहाँ पहुच चुकी है…जरा से कुरेद ने पर …

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