बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

Fact Finding मुहिम (Exclusive वीडियो) बदनाम-ए-ज़माना से खाकी की यारी पड़ती है आम आदमी को भारी, देखिए  कैसे होती है रात में पटना पुलिस की पेट्रोलिंग..

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पटना Live डेस्क। उनके कंधों पर आवाम के हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी है। घुप्प अंधेरी रातों में सुनसान सड़क पर जब वो दिखाई दे जाए तो सुरक्षा का अहसास होता है धड़कने काबू में आ जाती है। लेकिन एक कहावत है कि ‘जब बाड़ ही खेत को खाने लग जाए तो बेचारा खेत क्या करे।’ ये कहावत बिहार पुलिस पर बेहद सटीक बैठ रही है, क्योंकि इसपर सूबे के आवाम के हकों हुक़ूक़, सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने की महती जिम्मेदारी है। लेकिन, ग़ज़ब तो ये की बिहार पुलिस चंद के अहलकारों ने खाकी को कमाई का लाइसेंस बना दिया है और “दाग अच्छे है”  की आँच में पूरा विभाग है।

खैर, बात राजधानी पटना की करते है। राजधानी पटना में अपराध बेतहाशा बढ रहा है। कांडो का उद्भेदन भी हों रहा है पर फिर भी अपराध कम नही हों रहा है। शहर की सुरक्षा को लेकर एसएसपी गरिमा मलिक खुद सड़क पर रात- दिन एक कर रही है। लगातार पेट्रोलिंग करने की हीदायत थानेदारों को दे रही है। लेकिन हकीकत क्या है पहले आप एक झलक देख लीजिए …

देखिए कैसे होती है राजधानी में पेट्रोलिंग- टहटह लाल साड़ी में वो मटक रही थी… वो

लेकिन खाकी को अवैध कमाई का जरिया मान चुके पुलिसवाले लगातार वरीय पुलिस अधिकारियों के आदेशो की अवहेलना कर विभाग की फजीहत का कारण बन रहे है। दरअसल, पटना जंक्शन कैम्पस के चारों तरफ अपराधियों,नशेड़ियों, नशा बेचने वालों और धंधेवालियों का कब्जा है। यह एक संगठित अपराध का रूप ले चुका है। बाकायदा धंधे को संचालित करने वालो ने तमाम प्रशासनिक चैनलों को सेट कर रखा है। सब का हिस्सा तय है। साथ ही सेवा पानी अलग से जैसे ही बेकन लाइट लगी गाड़ी लगती  चाय, पान, गुटखा और सिगरेट हाजिर हो जाता है। बाकायदा अवैध धंधेबाजों ने लड़के बिठा रखे जो खाकी की सेवा करते है। यानी बेईमानी के धंधे ईमानदार भरपुर है।

सब तय है तो काहे का भय है … जारी है।

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