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BiG News – मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर नृशंस हत्याकांड- समीर,सियासत,समोसा और 23 सितम्बर की कातिल शाम

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पटना Live डेस्क। बिहार में सुशासन है। कानून का राज होंने का दावा सूबे के मुखिया नीतीश कुमार अक्सर करते है। लेकिन हक़ीक़त और विपक्ष के दावों का आंकड़ा सूबे में कानून को बौना और अपराधियों के आग उगलते हथियारों के सामने नतमस्तक साबित करता है। इसी कड़ी में 23 सितम्बर यानी रविवार की क़ातिल शाम ने मुजफ्फरपुर के वर्ष 2002-7 तक मेयर रहे समीर कुमार को उनके ड्राइवर के साथ निगल लिया है। दुःसाहसी अपराधियों ने सरेआम सरेशाम उनकी कार पर एके 47 से इतनी गोलियां बरसाई की समीर की खोपडी खुल गई। पूरी तरह उनकी क्षत विक्षत लाश अपराधियों के दुर्दान्त और पेशेवर होने की गवाही देता है। स्थानीय लोगों की मानें तो अपराधियों ने गोलीबारी करने से पहले कार को पीछे से ठोकर मारी। इसके बाद ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी। कार रुकते ही अपराधियों ने चारों तरफ से घेरकर फायरिंग की। करीब तीन से पांच मिनट तक गोलीबारी की गयी। इसके बाद सभी फरार हो गये।
हालांकि,अपराधी किस रास्ते से फरार हुए,न तो स्थानीय लोग कुछ बता रहे हैं और न ही पुलिस कुछ बोल पा रही है। इतनी बड़ी घटना की सूचना मिलने के बाद भी 30 मिनट के बाद नगर थानेदार मोहम्मद सुजाउद्दीन पुलिस बल के साथ पहुचे। तबतक कार स्टार्ट थी। शव उतारे जाने तक कार स्टार्ट रही।

CCTV फुटेज से खुलते राज़

बिहार के मुजफ्फरपुर में बाइक सवार दो बदमाशों ने मुजफ्फरपुर के मेयर रह चुके समीर कुमार और उनके ड्राइवर की एके 47 से गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक समीर कुमार को 16 और उनके ड्राइवर रोहित को 11 गोलियां लगी हैं। हालांकि AK 47 से फायरिंग के बारे में पुलिस का कहना है कि गोलियां किसी बड़े हथियार से चली हैं और जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि हथियार कौन सा है। हालांकि जानकारों का मानना है कि ऐसी फायरिंग सिर्फ और सिर्फ AK 47 से ही हो सकती है। मुजफ़्फ़रपुर पुलिस की इस थ्योरी और शहर की सुरक्षा खातिर लगातार मुस्तैद रहने के दावों पर समीर की हत्या के कुछ घण्टों बाद घटनास्थल के समीप एक निजी स्कूल के सीसीटीवी के कैमरे से मिले वीडियो फुटेज ने प्रश्न चिन्ह लगा दिया।

दरअसल,मिले सीसीटीवी फुटेज ने मुजफ्फरपुर पुलिस के शहर की सुरक्षा खातिर पेट्रोलिंग और मुस्तैदी के दावों की बखिया उधेड़ कर रख दी है। हालात का अंदाज़ आप इसबात लगा सकते है कि अपराधी सरेआम सरेशाम शहर के बीचों बीच एके 47 से फायरिंग कर विगत 2 वर्षों के बाद शहर के सबसे वीभत्स हत्याकांड को अंजाम देकर चलते बने और स्थानीय थाना को घटना स्थल पर पहुचने में आधा घण्टा लग गया और एसएसपी मुजफ्फरपुर को साढ़े नौबजे फुर्सत मिली घटना स्थल पर पहुचने की।
खैर बात सीसीटीवी के फुटेज की करे तो अपराधी किस कदर बेखौफ थे कि आराम से बाइक पर सवार होकर आए। तय स्थान पर बाइक रोकी और इंतज़ार करने लगे। शायद उन्हें पल पल की जानकारी से अवगत कराया जा रहा था, इस बीच कई छोटे बड़े वाहन गुजरे और फिर जैसे ही समीर कुमार की हुंडई पहुची हत्यारों ने बाइक कार के आगे लगा दी और फिर उन्होंने हथियार को ब्रस्ट पर डाल कर समीर और उनके ड्राइवर को भून कर रख दिया।

होटल में समोसा खा रहे थे फोन आया और ....

मकतूल समीर कुमार मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के हिलालपुर गांव के रहने वाले थे। लेकिन 90 दशक में ही उन्होंने मुजफ्फरपुर को अपनी कार्यस्थली के तौर पर वरण कर लिया था। समय के साथ सियासी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए शहर की चर्चित और रसुखदारों में शुमार हो गए। मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा में नंद विहार कॉलोनी में अपनी रिहायश बना ली। अखाड़ाघाट पर उनका होटल भी है।
अपनी हत्या से यानी 23 सितंबर की शाम को वो अपने अखाड़ा घाट स्थिति होटल में बैठकर समोसा खा रहे थे। उस वक्त शाम के तकरीबन 6:15 मिनट हो रहे था। तभी अचानक समीर का मोबाइल पर एक कॉल आई और फिर वो हड़बड़ाहट में होटल से निकले और गाड़ी में बैठ गए और नंद विहार स्थित अपने घर की ओर निकल गए।

पीछे से एक बाइक ने टक्कर मारी

                    रास्ते में चंदवारा स्थित एंजेल स्कूल के पास बाइक सवार दो लोगों ने कार को पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर लगने की वजह से कार चला रहे रोहित ने गाड़ी रोक दी। जैसे ही गाड़ी रुकी, सामने से एक बाइक पर सवार 2 बदमाश ने गाड़ी के सामने आ गए और एक ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। करीब 50 राउंड की फायरिंग में समीर और उनके ड्राइवर रोहित की मौके पर ही मौत हो गई।

कार से हुई थी समीर की पहचान

वही घटना की जानकारी मिलने के बावजूद आधे घण्टे विलंब से पहुची थाना पुलिस ने देखा कि कार के सामने का शीशा टूटा हुआ है। सीट पर बैठे ड्राइवर और बगल की सीट पर बैठे शख्स को गोलियां लगी हैं और चेहरा पहचान में नहीं आ रहा है। आधे घंटे तक पुलिस को ये पता नहीं चल पाया कि मरने वाला कौन है। जब पुलिसवालों ने गाड़ी का नंबर देखा और जानकारी निकलवाई तो पता चला कि गाड़ी मालिक का नाम वर्षा रानी है,जो समीर कुमार की पत्नी हैं। फिर तो पूर्व मेयर समीर कुमार की हत्या की खबर आग की तरह फैल गई। हजारों की भीड़ घटना स्थल पर जमा हो गई।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार समीर की हत्या में तीन तत्वों ने अहम भूमिका अदा की है। समीर का दिन ब दिन बढ़ता रसूख और सियासी उरूज उत्तर बिहार की राजधानी कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर के नगर पिता की ख़ाकी कुर्सी पर टकटकी लगाए एक बा- वजूद को लगातार खटक रहा था। तुर्रा ये की तमाम करतूतों व कसरतों सियासी रसूख और शहर पर पकड़ के दम्भ के बावजूद सियासत में दमदार उपस्थिति दर्ज करने की लालसा पूरी नही हो पा रही थी। काफी लंबे दौर से हर कील कांटे को दुरुस्त कर मुजफ़्फ़रपुर ले नगर पिता बनने की अदम्य लालसा लिए वह सफेदपोश काफी लंबे वक्त से सियासत की बिसात पर गोटियां फिट कर रहा था।
लेकिन, समीर ने कांग्रेस से बीजेपी और बीएसपी की राजनीति करते हुए फिर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी समीर को बिहार काँग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ने बीते गुरुवार को दिल्ली बुलाकर का टिकट दिए जाने का आश्वासन दे दिया था। यानी सबकुछ तय हो चुका था।

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