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हे भगवान! हेल्थ विभाग अपने एडिशन हेल्थ सेक्रेटरी को नही पाया बचा,महज 9 दिन में 3 IAS की कारोना से मौत

बिहार का हेल्थ विभाग जब अपने Additional Secretary- Health Department, Govt of Bihar रवि शंकर चौधरी को नही बचा पाया तो 12 करोड़ 85 लाख बिहारवासियों का क्या?

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पटना live डेस्क।मुल्क में जम्हूरियत है। रोटी, कपड़ा , मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य आवाम का बुनियादी हक है। क्या सच मे ये हक है। या महज सियासी नारा भर है? हालात तो इसके महज सियासी जुमला होने की ताकीद कर रहे है। खैर, बिहार में सुशासन है। मतलब राम राज्य है। विकास की गाथा ऐसी की सूबे के मुखिया नीतीश कुमार का उपनाम विकास पुरुष पड़ गया। लेकिन सूबे की जमीनी हकीकत किस कदर स्याह है। यह किसी से लुकाछिपा नही है। सुशासन में सूबे के लोगो के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी नीतीश कुमार द्वारा विगत कई वर्षों से मंगल पांडेय को सौप रखा गया है। मंगल पांडेय द्वारा बिहारवासियों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी बतौर मंत्री संभालने के बाद इतना अमंगल किया गया है कि बाकायदा इनके कारनामो की एक किताब लिखी जा सकती है। लेकिन हज़रत के चमकी बुखार रूपी आपदा के वक्त मुजफ्फरपुर में किये गए लापरवाही भरे बयानात हो या इंतज़ाम का असर इनके खुद के सेहत पर बिल्कुल भी नही हुआ और अब तो मंत्री जी बाकायदा और ज्यादा पावरफुल होकर पुनः हेल्थ मिनिस्टर बन बैठे है। लेकिन गर जो इनके टेन्योर के हालात का तफसरा कारण हो तो महज इस बात आप अंदाजा लगा सकते है कि बिहार का हेल्थ विभाग जब अपने Additional Secretary- Health Department Govt of Bihar रवि शंकर चौधरी को नही बचा पाया तो 12 करोड़ 85 लाख बिहारवासियों कितना सक्षम और तत्पर होगा अंदाज़ा लगा मुश्किल तो नही है! खैर

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर लगातार लोगों की जान ले रही है। वही बात अगर बिहार की करे तो सूबे में धीरे-धीरे मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में बिहार में 9 दिन के अंतराल पर एक और IAS अधिकारी के मौत हो गई है। मक़तूल IAS अधिकारी रवि शंकर चौधरी वर्त्तमान में स्वास्थ्य विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी के तौर पर तैनात थे। 2011 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी ने आज यानी शुक्रवार को पटना स्थित Aiims में अंतिम साँस ली। विगत कई दिनों से मक़तूल अस्पताल में भर्ती होकर मौत से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। लेकिन आखिरकार जंग हार गए और बिहार के स्वास्थ्य विभाग पर पूरी तरह मुफीद ऊपर से फिटफाट और हक़ीक़त में मोकामा घाट वाली कहावत को पुनः बेनक़ाब कर दिवंगत हो गए।

यह महज पहली घटना नही जब एक आईएएस अधिकारी की कारोना संक्रमण से असमय मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि 14 अप्रैल को ही सूबे के 2 आईएएस अधिकारियों को भी कोरोना वायरस ने अपना शिकार बना लिया। 59 वर्षीय आईएएस विजय रंजन देहांत भी पटना स्थित AIIMS में 4 दिनों तक चले उपचार के बाद हुआ था। वह पंचायती राज विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत थे। मूल रूप से छपरा के रहने वाले दिवंगत आईएएस अधिकारी की मौत वाले दिन ही एक अन्य आईएएस अधिकारी की भी मौत हुई।

दरअसल,14 अप्रैल को 2 आईएएस अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण से मौत से जंग लड़ते लड़ते अपने प्राण त्याग दीए थे। दूसरे अधिकारी थे वैशाली जिले में प्रतिरक्षण अधिकारी के तौर पर तैनात रहे डॉ. ललन कुमार राय। दोनों की मौत ने समाचारों की सुर्खियां बटोरी पर महज चंद घण्टों बाद कारोना के कहर के बीच खो गई।

 

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