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BiG News (वीडियो) लगभग 2 दशक से पटना पुलिस लाइन पर काबिज डीएसपी मसलेउद्दीन पर आखिरकार गिरी गाज

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पटना Live डेस्क। आज़ादी के बाद बिहार के पुलिसिया इतिहास की सम्भवतः सबसे बड़े सिपाही विद्रोह दो नवम्बर 2018 को राजधानी पटना में हुआ। इस विद्रोह की गूंज सत्ताशीर्ष को एक बारगी हीला गया। आनन फानन में जांच की बात कहकर मामले की लीपापोती शुरू की गई। लेकिन सच तो सच है कब तक छुपता आखिर खाकी के अंदर के हालात के बाबत एक उम्र दराज पुलिसकर्मी की बात सच साबित हो गई – लाइन के हालात ई बा बबुआ कि का कही सुनले होख ब एगो कहावत – “ऊपर से फिट फाट नीचे से मोकामा घाट”। यह कहावत ही पुलिस लाइन के सच को बता देती है। वही इस विद्रोह के केंद्र बिंदु रहे और लगभग 2 दशक तक पटना नवीन पुलिस आरक्षी केंद्र में जमे 1984 बैच के दरोगा से डीएसपी बने मसलेउद्दीन पर आखिरकार पर गाज गिर ही गई पर महज पुलिस लाइन से हटाने की कार्रवाई की गई है। पटना के पुलिस लाइन डीएसपी मसलेउद्दीन को हटा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मसलेउद्दीन के कारण ही सिपाही विद्रोह हुआ था।

 लाइन से मुख्यालय बुलाकर की गई लीपापोती 

 पटना पुलिस लाइन के सार्जेंट मेजर व डीएसपी स्तर के अधिकारी मसलेउद्दीन को  पुलिस लाइन से हटा दिया गया है।पुलिस लाइन डीएसपी की जवाबदेही से मुक्त किए जाने के बाद सलाउद्दीन फिलहाल मुख्यालय में योगदान देंगे।उनकी कहीं पोस्टिंग अभी नहीं की गई है। मसलेउद्दीन जांच के घेरे में चल रहे हैं। सिपाही विद्रोह के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। सिपाही मसलेउद्दीन के कारण ही आक्रोशित हुए थे. सिर्फ सिपाही ही नहीं कई दारोगा और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी भी मसलेउद्दीन से नाराज रहा करते थे।

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