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Super Exclusive-बिहार पुलिस का हाल-रिटायर DySp पर अब गृह विभाग के आदेश पर शुरू हुई विभागीय कार्यवाही

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  • 31 दिसम्बर 2019 को बिहार पुलिस सेवा से बतौर डीएसपी अनिल कुमार रिटायर हो चुके है।
  • पूर्णिया उप-महानिरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर इनके कार्यों को असंतोषजनक बताया था
  • रिटायरमेन्ट के बाद कटिहार के सबसे पॉश इलाके राजहाता में आलीशान घर बनाकर बस गए है।
  • सेवानिवृत्ति उत्सव मनाने हेतु साहब देश दुनिया भ्रमण पर प्रस्थान कर चुके है।

पटना Live डेस्क। बिहार में दिनांक 12 फरवरी 2020 को गृह विभाग आरक्षी शाखा द्वारा संकल्प जारी करते हुए 31 दिसम्बर 2019 को सेवानिवृत्त हो चुके एक डीएसपी पर विभागीय कार्यवाही संचालित करने का आदेश जारी कर दिया गया है। दरअसल,रिटायर हो चुके पुलिस अफसर पर अब विभागीय कार्यवाही यह सुनने में अजीब जरूर लगेगा,पर पुलिस व्यवस्था की यही सच्चाई है। यह विभागीय कार्यवाही कटिहार के सदर एसडीपीओ अनिल कुमार पर काम में घोर लापरवाही बरतने के लिए  की गई है। जारी आदेश को पढ़ने के बाद आपका सर चकरा जाएगा।कटिहार सदर एसडीपीओ के पद पर 2 मई 2018 को योगदान देने के बाद से इस अधिकारी के क्रियाकलापो के बाबत पुलिस उप-महानिरीक्षक पूर्णिया क्षेत्र द्वारा मुख्यालय 30-5-2019 को भेजे रिपोर्ट में स्पष्ट है कटिहार के सदर DSP अनिल कुमार द्वारा पर्यवेक्षण नहीं करने के कारण लंबित कांडों की संख्या का बढ़ना,पोस्ट का निरीक्षण में कोताही, इनके कार्यकाल में इनके पास 23 विभागीय कार्यवाही भेजा गया जिसमें से 11 को ही पूरा कर पाये। यानी इनका कार्यकाल पूरी तरह हर फ्रंट पर असंतोषजनक रहा।लब्बोलुआब यह कि कटिहार सदर SDPO के तौर पर अनिल कुमार का टेन्योर पूरी तरह हर फ्रंट पर बेहद लुंजपुंज,गैरजिम्मेदाराना और असंतोषजनक रहा।लेकिन फिर भी पुलिस विभाग की व्यवस्था और कार्यशैली के सच्चाई का आलम यह रहा कि जनाब पूरे मान सम्मान सहित वरीय अधिकारियों की उपस्थिति में फूल मालाओं से अलंकृत होकर 31दिसम्बर 2019 को सेवानिवृत हो गए। साथ ही तमाम फण्ड और सुविधाओ को भी आत्मसात कर लिया।

दरअसल, मूल रूप से खगड़िया निवासी अनिल कुमार ने बिहार पुलिस में बतौर दरोगा योगदान किया था। समय के साथ साथ सूबे के विभिन्न जिलों में तैनात रहे। साथ ही विभागीय प्रमोशन के तहत सीढ़िया चढ़ते हुए डीएसपी के ओहदे तक पहुचे और 2 मई 2018 को कटिहार के सदर एसडीपीओ के पद पर तैनात किए गए। यही से 31 दिसम्बर यानी बीते वर्ष 2019 के आखरी दिन रिटायर हो गए।अपने टेन्योर में कटिहार में इनके क्रियाकलापो के बाबत विभागीय आदेश से आपको अन्दाजा हो गया होगा कि इनकी कार्यशैली कैसी रही?लेकिन कटिहार की फिज़ाओ में इनके कारनामो की गूंज अब भी सुनाई देती है। मामलों के निष्पादन से ज्यादा इन्होंने अपने मफ़ादात को ज्यादा तवज्जो दिया ऐसा जानकारों का कहना है। फलाफ़ल यह हुआ की कटिहार से इतना लगाव हुआ कि रिटायरमेन्ट के बाद कटिहार के सबसे पॉश इलाके राजहाता में एक आलीशान में घर मे बस गए है। खैर, बहुत लम्बे दौर तक काम किया है तो सेवानिवृत्ति उत्सव मनाने हेतु साहब देश दुनिया भ्रमण पर प्रस्थान कर चुके है।लेकिन सवाल तो उठेगा ही कि आखिर जब तमाम हक़ीक़त से बिहार पुलिस मुख्यालय अवगत था तो कैसे एक लापरवाह और लुंजपुंज अधिकारी बेखटक रिटायर हो गया और अब जाकर विभागीय कार्यवाई का आदेश जारी हुआ वो भी तब जब उसने बड़े आराम से अपने तमाम सेवानिवृत्ती के फायदे इनकैश कर लिए और कही दूर घूमने निकल गया है।

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