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Fact Finding(Exclusive video) दिवंगत पूर्व मंत्री के बेटे अतुल कानन हत्याकांड में उम्रकैद का सज़ावार कुख्यात सुपारी किलर लाला की हत्या

संजय शर्मा उर्फ लाला ने महज 50 हजार की सुपारी खातिर 8 जून 2013 की रात्रि अतुल कानन को उस वक्त गोली मार दी थी जब वो हाजीपुर स्थित घर जे बाहर एक शख्स से बात कर रहे थे। हत्याकांड में संजय को उम्रकैद की सज़ा हुई थी, 5 साल की सज़ा काटने के बाद हाइकोर्ट से वर्ष 2018 के जून में बेल मिली थी।

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पटना Live डेस्क। राजधानी पटना में बुधवार की रात तक़रीबन साढ़े ग्यारह बजे अपने घर मे सोये कुख्यात सुपारी किलर संजय शर्मा उर्फ लाला पर गोलियों की बौछर कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया। वही,भाई बचाने की कवायद में उसकी बहन भी चाकुओं के घाव से बुरी तरह जख्मी होकर PMCH में इलाजरत है।

कौन था लाला उर्फ संजय शर्मा

पटना के कंकड़बाग थाना क्षेत्र के इंद्रानगर से सटे नवरत्नपुर में कत्ल कर दिए गए युवक की पहचान संजय शर्मा उर्फ संजय लाला उर्फ लाला वल्द कृष्णा शर्मा गाँव करपी सोनभद्र,जिला जहानाबाद के तौर पर हुई है।मक़तूल लाला को अपनी मौत का आभास हो गया था यह कहना है कत्ल कर दिए गए लाला के परिजनों का। वो विगत एक सप्ताह से ज्यादा ही सहमा हुआ था और घर मे ही रहने लगा था। ख़ैर,बात संजय लाला की करते है। पढ़ने लिखने की उम्र में संजय की दोस्ती जुर्म के दुनिया के खिलाड़ियों से हो गई थी। दसवीं तो पास नही कर पाया पर अपराध की दुनिया का शूटर बनकर चर्चित हो गया।

Breaking (Exclusive वीडियो) पटना में अपराधियों का तांडव घर मे घुसकर युवक को भुना, एडवोकेट बहन को घोपा चाकू,गंभीर हालत में इलाजरत

शुरुआत में महल्ले में ही मारपीट और फिर धीरे धीरे तमन्चे तक जा पहुचा और फिर एक दिन तमन्चे के साथ गिरफ्तार हुआ। धीरे धीरे लाला इसकदर दुःसाहसी हो चला कि एक बार तो उसने अपने पिता कृष्णा शर्मा पर ही कट्टा तान दिया था। गुंडई और पैसे की लत का फलाफल यह हुआ कि पिस्तौल चमकाते पुलिस के हत्थे चढ़ गया और नाबालिक होने की वजह से कई सालों के लिए रिमांड होम भेज दिया गया।

लौटा तो अब पहले से ज्यादा खूंखार और दुःसाहसी हो।चुका था। पैसे खातिर कुछ भी करने को तैयार रहा करता था। फिर जरायम की दुनिया मे पोस्टल पार्क, चांदमारी रोड, मीठापुर, जक्कनपुर और चांगर के बन्दूकबाजो से यारी कर खुद का एक गैंग बना लिया। मुख्य रूप से ये सभी कम उम्र के लड़के थे जो नशे के आदी थे। पैसे खातिर कुछ भी कर सकते थे। इलाके में धमक भी हो चुकी थी, जेल से रिश्ता बन चुका था।

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