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चिराग के साथी, सौरभ पांडेय ने पशुपति पारस को एक-एक चीज का ऐसे दिया मुंहतोड़ जवाब

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पटना Live डेस्क। लोजपा रामविलास पार्टी के सौरभ पांडेय ने केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को पत्र लिखकर एक-एक चीज की जानकारी दी है। उन्होंने कई आरोपों का खंडन किया। दरअसल, पारस गुट की ओर से सौरभ पांडेय पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे। पारस के अनुसार, सौरभ ने एनडीए द्वारा 15 सीट मिलने पर दबाव डाल कर अकेले लड़ने को कहा था। सौरभ ने अपने पत्र में कई बातें बताई हैं।सौरभ पांडेय ने लिखा है कि मैंने बिहार को ना सिर्फ़ अपनी आंखों से, बल्कि दिवंगत रामविलास पासवान की भी आंखों से देखा है।

बिहार फ़र्स्ट के मूल में भारत फ़र्स्ट छिपा हुआ है। 14 अप्रैल 2020 को पटना के गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली में रामविलास पासवान के हाथों बिहार फ़र्स्ट बिहारी फ़र्स्ट विज़न 2020 को जारी होना था। इस विजन से चिराग पासवान ने कोई समझौता नहीं किया। केंद्र में मंत्री बनने की भी परवाह नहीं की।

उन्होंने कहा कि हमें पहली बार जो वोट मिला, वह हमारी सोच पर मिला, ना कि किसी के साथ गठबंधन होने के कारण। मैं इस बात को मानता हूं कि बिहार विधान सभा चुनाव में जो गठबंधन हुए, वह मात्र खुद जीतने के लिए हुए। उन गठबंधनों के बनने से बिहार को कोई लाभ नहीं हुआ। रामविलास पासवान पहले मुझसे कहा करते थे कि एमपी, एमएलए हज़ारों होते हैं, लेकिन नेता कोई-कोई होता है। मुझे ख़ुशी है कि उनका बेटा चिराग पासवान आज नेताओं की श्रेणी में आ गए हैं।

सौरभ ने कहा कि कृष्णा राज को बीजेपी से लड़ाना चाहते थे पारस, इसी को लेकर विवाद बढ़ा। एनडीए द्वारा 15 सीट देने की बात पारस को बताई गई थी। उन्होंने 15 सीट को अस्वीकार किया था। 15 सीट पर लड़कर क्या बिहार फ़र्स्ट बिहारी फ़र्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी? क्या यह उचित होता? चिराग पासवान अपने चाचा पारस का सम्मान अपने पिता से कम नहीं करते हैं। उनकी माता के भी मुंह से मैंने हमेशा पशुपति कुमार पारस के लिए अच्छा सुना था। पिता के निधन के बाद बिलकुल अकेले हो गए थे चिराग। ऐसे में एक भाई व दोस्त के नाते उनके लिए और बिहार के लिए मार्गदर्शन करना मेरी ज़िम्मेदारी थी। मज़बूत प्रत्याशियों और नेता के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं व बिहार फ़र्स्ट सोच के कारण सफल आशीर्वाद यात्रा सफल रही।

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