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BiG News – पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से लोहा लेने वाले चंदा बाबू हारे जिंदगी की जंग, हर्टअटैक से हुई मौत

सीवान में रहकर अपने 2 बेटों को तेजाब से नहलाकर हत्या और फिर तीसरे बेटे की नृशंस हत्या के बाद भी न टूटे न झुके चंदा बाबु

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पटना Live डेस्क। बिहार की चन्द सबसे नृशंसता पूर्ण हत्याओं में अपने 2 जवान बेटों को खोनेवाले और सीवान के पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन से लोहा लेने वाले चंदकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू अब सदा के लिए मौन हो गए।

मौत का कारण हार्टअटैक आना बताया जा रहा है। बुधवार की रात अचानक तबीयत खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें देखते ही मृत घोषित कर दिया। इधर मौत की खबर सुनने के बाद किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि चंदा बाबू जिंदगी की जंग इतनी आसानी से हार जाएंगे। शोक संतप्त परिवार को ढ़ाढस बंधाने के लिए गणमान्य लोगों का उनके घर पहुंचने का देर रात तक सिलसिला जारी है।

सीवान पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन के सामने कभी घुटने न टेकने वाले शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी चंदकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। अपने बेटों ख़ातिर  इंसाफ की जंग में कभी नही डिगे और सीवान के बहुचर्चित तेजाब कांड में मोहम्मद शहाबुद्दीन समेत 4 अन्य को सज़ा दिलाकर ही माने।

सीवान में 16 अगस्त साल 2004 में चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर लिया। फिर शहाबुद्दीन सलाखों से बाहर आया और अपने गांव प्रतापपुर के घर में ही गिरीश और सतीश को तेजाब से नहला कर मार डाला गया। वो दोनों जल राख हो गए और राजीव सब कुछ देखता रहा। राजीव को इसलिए जिंदा रखा गया ताकि चंदा बाबू के आने पर उनसे रजिस्ट्री कराई जाए और फिर पूरे परिवार को मार दिया जाए। जबकि इस मामले का चश्मदीद रहे राजीव किसी तरह बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भाग निकला। बाद में राजीव भाइयों के तेजाब से हुई हत्याकांड का गवाह बना।

दो बेटों को तेजाब से नहलाकर मार देने की घटना के बाद भी जुल्ममत ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। कुछ समय बाद चंदा बाबू ने तीसरे बेटे राजीव रोशन जो इस पूरे मामले का चश्मदीद था, उस बेटे को भी खो दिया। वर्ष 2015 में शहर के डीएवी मोड़ पर उसकी भी गोली मार कर हत्या कर दी गई। हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी। इस घटना के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया था। इसके बावजूद चंदा बाबू का संघर्ष का सफर जारी रहा।

अपने तीन बेटों को गंवाने वाले चंदाबाबू ने सिवान के बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। आखिर कार अपने बेटों की हत्या के सजावार बाहुबली सांसद मो शहाबुद्दीन को तिहाड़ भेजकर ही उन्होंने दम लिया।

अपने बेटों के लिए न्याय की इस लड़ाई में उनकी पत्नी कलावती की भी पिछले साल मौत हो गई थी। अपने पति चंदा बाबु के साथ तमाम विपदाओं के बाद चट्टान की तरह खड़ी अपनी पत्नी के साथ छोड़ जाने के बाद चंदा बाबू अकेले हो गए थे। अंदर ही अंदर पूरी तरह टूट गए थे। चंदा बाबू अपने सबसे छोटे दिव्यांग पुत्र और बहू के साथ रहते थे
और बुधवार को अचानक जिंदगी से जंग हार गए।

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