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Super Exclusive (CCTv फुटेज) कत्ल होने से पहले  पुरुषोत्तम गुप्ता के वो आखरी पल, काला बैग , हेमलेट और फिर …धाय

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#पारिवारिक सूत्रों का दावा 40 लाख रुपये के आसपास बैग में था कैश
#CCTv ने खोला राज़ घर से बैग लेकर निकलने थे,मकतूल पुरुषोत्तम
#पुरुषोत्तम ने सोना चांदी, काजू  के थोक व्यापार, ब्याज पर पैसे देने समेत ज़मीन के धंधे में कर रखी थी तगड़ी इन्वेस्टमेंट
# विगत कुछ महीनों से BC (बिजनस कमिटी)भी चला रहे थे।
#फुलवारी शरीफ में ज़मीन के एक बड़े टुकड़े को खरीदने खातिर कर रखी थी मोटी इन्वेस्टमेंट

पटना Live डेस्क। 23 फरवरी को राजधानी के बेहद सुरक्षित इलाको में शुमार फ्रेजर रोड में सूर्या अपार्टमेंट के पास पुरुषोत्तम कुमार को काली बाइक पर आए  तीन अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया और बैग लूट कर चलते बने।पुलिस की जांच हत्या के 5 दिन बीतने पर भी जारी है पर नतीजा सिफर है। वारदात स्थल के पास लगे सीसीटीवी कैमरा के फुटेज को खंगालने पर पुलिस को इस कांड को अंजाम देने में 3 आपराधियों के शामिल होने की जानकारी मिल गई है। साथ ही वारदात स्थल से गांधी मैदान थाना पुलिस ने को एक गोली और एक खोखा बरामद किया था। घटना वाले दिन ही पटना Live ने खुलासा किया था कि यह वारदात लूट के दौरान हुई हत्या है।

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पटना में अपराधियों ने सरेआम बीच सड़क पैसे भरा बैग लूटने के दौरान पाल स्वीट के मालिक पुरुषोत्तम को उतारा मौत के घाट, मचा कोहराम

पटना Live के खुलासे पर सिटी एसपी पी के दास ने भी मुहर लगाते हुए बताया था को अब तक कैश लूट की वजह ही सामने आई है।हत्या के पीछे का कोई दूसरा बड़ा कारण अभी सामने नहीं आया है।

वहीं,मकतूल पुरुषोत्तम का परिवार पटना के ही दलदली रोड में रहता है। इनके 2 छोटे भाई है। जिनमे छोटे भाई टींकू ने गांधी मैदान थाना में एफआईआर दर्ज कराया है। टिंकू मुजफ्फरपुर में देना बैंक में मैनेजर हैं।वही दूसरे भी एक बड़े बियर कंपनी में कार्यरत है।पुरुषोत्तम के दो बच्चे है। बेटा शुभम आठवीं का छात्र है और बेटी सिद्धि दूसरी कक्षा की छात्रा है।

5 दिन बाद भी पुलिस खाली हाँथ

इस हत्याकांड़ ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। पटना पुलिस के सुरक्षित राजधानी के तमाम दावों की न केवल पोल एक बार फिर खुल गई है। वही  पुरूषोत्तम अपने पीछे कई बड़े सवाल छोड़ गए है। जैसे आखिर उनकी हत्या की वजह क्या थी?

पुरुषोत्तम गुप्ता हत्याकांड से जुड़े कुछ अहम सवाल ? 

कौन वो शख्स है जिसने हत्याकांड में लाइनर की भूमिका निभाई ? कौन वो करीबी या जानकार है जिसे इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि “बैग” में मोटा कैश मौजूद है? आखिर कौन है वो ? मक़तूल के परिजनों का दावा है कि पुरुषोत्तम घर से बैग लेकर नही निकले थे? तो फिर वो बैग कहा से उनके पास आया ?

आखिर उस बैग में ऐसा क्या था जिसे छिनने या लूटने की खातिर बाइक सवार 3 अपराधियों दुःसाहस का चरमपार करते हुए राजधानी के बेहद सुरक्षित और वीआईपी इलाकों में शुमार फ्रेजर रोड में सैकड़ो लोगो और व्यस्तम सड़क पर बाइक सवार पुरुषोत्तम को बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में बाइक के आगे बाइक खड़ी कर घेर लिया?अमूमन बदमाश इतना बड़ा जोखिम तभी लेते है जब रकम बड़ी हो या फिर उक्त शख्स की सुपारी में मोटी रकम ली हो। यानी इस तरह के दुःसाहसिक वारदातों में एक बड़ी रकम वजह बनती है। वही अमूमन ये देख जाता है कि अगर रकम छोटी होती तो पुरुषोत्तम जैसा व्यवसाई अपराधियों से भिड़ने की गलती नही करते ? खैर सवाल उठे है तो जवाब भी जरूरी है।

 

पटना Live की पड़ताल-घर से बैग लेकर निकले थे

पटना में अनाज मंडी के तौर पर पहचान रखने वाले दलदली निवासी पुरुषोत्तम कुमार गुप्ता के पिता दिलीप गुप्ता की हर्ट अटैक से  तकरीबन 4 साल पहले मौत हो गई थी। बेहद मधुर भाषी पुरुषोत्तम ने बेहद कम समय मे ही अपने मेहनत और लगन के बल पर काफी तरक्की हासिल कर ली थी। महज 43 वर्षीय पुरुषोत्तम कुमार गुप्ता की ईमानदारी और मेहनत का ही नतीजा था कि शहर के डाकबंगला चौराहे के समीप स्थित बेहद चर्चित पाल्स केक शॉप के मालिक विजय गांधी ने अपनी वर्षो पुरानी और बेहद मशहूर दुकान वर्ष 2016 के सितंबर महीने पुरुषोत्तम को हर महीने एक तय राशि पर सौप दी। तब से पुरुषोत्तम ही पालसंस के कर्ताधर्ता और मालिक बन गए थे।

कमान संभालते ही पुरुषोत्तम ने तरक्की की रफ्तार पकड़ ली और फिर देखते ही देखते एक स्वीट्स दुकान को 3 में तब्दील कर दिया। दूसरा मौर्या कॉम्प्लेक्स का यमी बाइट और तीसरा कंकड़बाग में केक और बेकरी आइटम की शॉप।ये बात अलग है कि कालांतर में कंकड़बाग वाली शॉप बन्द हो गई।

पुरुषोत्तम ने कई धंधों में कर रखा था तगड़ा इन्वेस्टमेंट 
पैसे की आवक बढ़ी तो शहर की अनाज मंडी यानी दलदली में पले बढ़े पुरुषोत्तम कम लागत में मोटी कमाई की कला से वाकिफ तो थे ही व्यापारियों पैठ तो थी ही जरूरत पर कारोबारियों को पैसे ब्याज पर देने लगे। अमूमन ये धन्धा भरोसे चलता है यहाँ भी पुरुषोत्तम कामयाबी के झंडे गाड़ने लगे। पुरुषोत्तम अपने व्यवहार और खुशमिजाजी से पैसे भी  कमा ही रहे थे,साथ ही मार्केट में भरोसेमंद और रुतबेदार भी बन रहे थे।

पुरुषोत्तम ने तमाम धंधों में इन्वेस्टमेंट कर रखा था। जैसे काजू के थोक व्यापार तो वो करते हीं थे, सोने चांदी के व्यवसाय में भी दखल रखते थे। विगत कुछ महिनो से ज़मीन के कारोबार में भी दखल देने लगे थे। यानी पैसे से पैसे कमाने की जुगत में सदैव भिड़े रहते थे।
फिर वो वक्त भी आया जब पुरुषोत्तम ने कमिटी या बीसी भी शुरू कर दिया। इस के ऐलान मात्र से कई कारोबारी इनकी कमिटी में शामिल हों गये। वक्त का पहिया अपनी रवानी पर था। सब कुछ सही चल रहा था। पुरुषोत्तम की मोटी रकम मार्केट ब्याज पर चढ़ी हुई थी और कई कमिटियां भी चल रही थी। लेकिन तभी अचानक फरवरी महीने की 23 तारीख को शाम 7 बजकर 43 मिनट पर पुरुषोत्तम को कत्ल कर दिया गया और उनके पास मौजूद एक बैग लूट लिया गया।

पुरुषोत्तम के आखिर बैग में था क्या ? 

सिटी एसपी सेंट्रल प्राणतोष कुमार दास  के अनुसार अब तक कैश लूट की वजह ही सामने आई है। हत्या के पीछे का कोई दूसरा बड़ा कारण अभी तक सामने नहीं आया है। यानी फिर कहानी BAG पर आकर रुक रही है। वही मामले की जांच कर रहे डीएसपी सुरेश प्रसाद ने बताया कि स्थानीय लोगों ने इस बात की सूचना दी है कि उनके पास बैग था। बैग उनके पास कहां से आया और उसमें कैश कितना था इस बिन्दु पर जांच की जा रही है। जांच में कोई पुरानी रंजिश या रंगदारी की बात सामने नहीं आ रही है।

CCTV फुटेज भी करता है ताक़ीद – बैग में था कुछ खास 

पटना Live ने पाने खुलासे में दावा किया था कि बैग में मोटी रकम के चक्कर मे अपराधियों ने पुरुषोत्तम को निशाना बनाया था। अब हम आपको दिखाते है वो cctv फुटेज जो हमारे खुलासे को पुख्ता आधार देता है कि पुरुषोत्तम घर से एक काले रंग का फुला हुआ बैग लेकर निकले थे। देखिए …

घटना के बाद पुलिस ने सबसे पहले इलाक़े के मकानों दुकानों और सड़क पर लगे सीसीटीवी खंगालने शुरू किए ताकि अपराधियों के खिलाफ सुराग मिल सके। पटना पुलिस के दस्ते ने जब घटना स्थल के आजु बाजू के कैमरे को टटोला तो सबसे बड़ी बात जो दिखी वो ये थी बाइक सवार अपराधियों ने पुरुषोत्तम की हौंडा शाइन के आगे अपनी बाइक लगा दी और बाइक लगते ही फौरन 2 युवक बाइक से उतर कर उनकी ओर बढ़ते है और बैग छिनने की कोशिश करते है जिसके विरोध में अपराधियों और पुरुषोत्तम के बीच हाथापाई होती है पुरुषोत्तम को भिड़ता देख एक अपराधी कमर से हथियार निकाल कर फायर करता है। लेकिन मिस फायर हों जाता है। फिर दूसरी गोली उनके पज़रा में सटा कर मार देता है। वारदात स्थल से गांधी मैदान थाना की पुलिस टीम ने एक गोली और एक खोखा बरामद किया था।

घटना के वक्त पुरुषोत्तम घर से दुकान जा रहे थे

गांधी मैदान थाना क्षेत्र के दलदली रोड निवासी पुरुषोत्तम शाम साढ़े सात बजे घर से अपनी बाइक से डाकबंगला चौराहे स्थित दुकान जा रहे थे। मौर्या होटल से आगे सूर्या अपार्टमेंट के पास पहुंचे ही थे कि पीछे से बाइक सवार 3 बदमाशों ने रोकने की कोशिश की। आगे बदमाशों ने उन्हें ओवरटेक कर रोक लिया। बैग छीनने लगे, इस पर उन्होंने शोर मचाया। एक बदमाश ने देसी पिस्टल निकालकर सीने में गोली मार दी। वारदात के बाद सभी बदमाश बैग लेकर डाकबंगला चौराहे की तरफ फरार हो गए।

गोली की आवाज सुन पहुंचे ठेला वाले 

गोली लगने पर व्यवसायी बाइक समेत सड़क पर गिर गए। आसपास ठेले वाले गोली की आवाज सुनकर मौके पर पहुंचे। वारदात के बाद अफरातफरी मच गई। लोगों ने गांधी मैदान थाना पुलिस को फोन कर सूचना दी। जब तक पुलिस मौके पर पहुंचती ठेला चालक और स्थानीय लोग उन्हें लेकर पीएमसीएच पहुंच गए थे। चिकित्सकों के अनुसार उन्हें देर शाम 8:40 बजे लाया गया था। उनकी मौत पहले ही हो चुकी थी। पीरबहोर और गांधी मैदान थाने की पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची। मौके से मृतक की बाइक और एक खोखा बरामद हुआ। प्रत्यक्षर्शियों से पुलिस पूछताछ की।

बैग में कैश की जुटा रहे जानकारी

डीएसपी सुरेश प्रसाद ने बताया कि स्थानीय लोगों ने इस बात की सूचना दी है कि उनके पास बैग था। बैग उनके पास कहां से आया और उसमें कैश कितना था इस बिन्दु पर जांच की जा रही है। जांच में कोई पुरानी रंजिश या रंगदारी की बात सामने नहीं आ रही है। सूत्रों की मानें तो मिठाई और केक के कारोबार के साथ रुपयों के लेनदेन का धंधा भी चलता था। वह अक्सर रात दस बजे दुकान बंद कर घर पहुंचते थे। कई बार वह रुपये कलेक्शन के लिए भी किसी भी समय निकल जाते थे।

बैग में थे लगभग 40 लाख कैश

वही, शुरुआत से ही परिजन बैग में कितने रुपये थे इसको लेकर खामोशी अख्तियार कर चुके है। लेकिन इसी बीच मकतूल के पारिवारिक सूत्रों का दावा 40 लाख के आसपास  कैश था उक्त काले बैग में। वही सूत्रों की जानकारी पर एतबार करने का पुख्ता आधार भी है। अमूमन अगर छोटी रकम होती तो पुरुषोत्तम हथियार लिए अपराधियों से भिड़ने की गलती नही करते। लेकिन चुकी रकम बेहद बड़ी थी पुरुषोत्तम ने तमाम खतरों को दरकिनार करते हुए अपराधियो से जा भिड़े और फिर…..

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