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BiG Breaking News – पूर्व DGP बिहार गुप्तेश्वर पांडेय “बक्सर सदर” विधानसभा सीट से सियासी पारी का करेंगे आगाज,पांडेय vs तिवारी के आसार

बक्सर से बाबा करेंगे जम्हूरियत के महापर्व में शिरकत, सब तय है, विधानसभा में पांडेय vs तिवारी के आसार, हुई जीत तो मिलेगा सरकार में वज़ीर(मंत्री) की जिम्मेदारी

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पटना Live डेस्क। बिहार के डीजीपी के पद से अपना कार्यकाल खत्म होने से महज 5 महिने पहले इस्तीफा देकर गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने सियासी पारी के कयासों पर मुहर लगा दी है। आसन्न बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर तमाम सियासी दलों की राजनीतिक कवायदे धीरे धीरे ही सही पर उरूज का रूख़ अख्तियार कर रही है। इसी बीच बिहार पुलिस के मुखिया गुप्तेश्वर पांडेय को लेकर भी लगातार चर्चा हो रही थी कि जल्द ही इस्तीफा देकर बक्सर जिले से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। चर्चाएं सच साबित हुई और मंगलवार की देर शाम आखिरकार बिहार सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी और इस बात पर मुहर लगा दी कि DGP के पद से गुप्तेश्वर पांडेय के स्वैच्छिक सेवानिवृति हेतु आवेदन को स्वीकार कर तत्काल प्रभाव से 22 सितंबर की दोपहर से उन्हें वीआरएस प्रदान कर दिया गया है।

अब चुकी यह बाते यह बात स्पष्ट हो चुका है कि 1987 बैच के IPS गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस ले लिया है। ताकि जम्हूरियत के सबसे बड़े पर्व में शिरकत कर सकें। सनद रहे कि यह पहली बार नही जब पूर्व डीजीपी ने भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफ़ा दिया है। पूर्व में भी गुप्तेश्वर पांडेय ने एक बार इस्तीफ़ा देकर सियासी महासमर में कूदने की कवायद की थी पर मनवांक्षित प्रयास सफल न होने पर पुनः पुलिस सेवा में लौट आये थे। ख़ैर,

इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया गया है। मतलब सियासी पारी का आग़ाज़ होना तय है। पर अब सवाल उठता है की गुतेश्वर पांडेय जिन्हें अमूमन लोग बाबा के उपनाम से भी सम्बोधित करते है आखिर अपने सियासी कैरियर के आगाज कहाँ से और किस दल के जरिए करेंगे? यह एक यक्ष्य प्रश्न है जो लगभग तय है। लगभग क्योकि राजनीति में कुछ भी स्थायी और सच तबतक नही माना जाता जबतक उसकी अधिकारी घोषणा न हो जाए। वही चुनावी टिकट तो घोषणा होने के बाद भी कट जाने का इतिहास बिहार की सियासत में रहा है।

लेकिन पटना Live आपके मन मे उमड़ घुमड़ रहे बाबा के बाबत इस सवाल का जवाब ढूढ़ लाया है कि “कहाँ से और किस दल से सियासी पारी का करेंगे आगाज?” तो ख़्वातीनो हज़रात गुतेश्वर पांडेय अपनी सियासी पारी का आगाज भारतीय जनता पार्टी के कमल निशाने के सहारे करेंगे और चुनावी समर में बक्सर जिले शिरकत करेंगे।

अब आप का सवाल होगा बक्सर लोकसभा सीट के अंतर्गत तो 6 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें ब्रह्मपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, रामगढ़ और दिनारा शामिल हैं। राजपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सनद रहे कि नए परिसीमन के बाद बक्सर संसदीय सीट तीन जिलों कैमूर, रोहतास और बक्सर जिलों को मिलाकर बना है। जिसमे रामगढ़ कैमूर जिले में पड़ता है तो दिनारा रोहतास जिले में।

पांडेय वर्सेज तिवारी के आसार

बाबा की सियासी लॉन्चिंग ख़ातिर बक्सर मुफीद सीट है।आखिर क्यों?क्यो आखिर गुप्तेश्वर पांडेय वर्सेज संजय तिवारी उर्फ मुन्ना के आसार है। दरअसल,बक्सर विधानसभा क्षेत्र का जातीय गणित ब्राह्मण-भूमिहार मतदाताओं की बहुलता व अधिकता वाला है। साथ व्यापारी वर्ग भी भाजपा के समर्थन में मुखर रहा है। बक्सर सीट लंबे समय से भाजपा के पास रही है। वैसे भी शहरी क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ का इतिहास रहा है।

इसी सीट को वर्ष 2000 के विधान सभा चुनाव में भाजपा की प्रो सुखदा पांडेय ने सी.पी.एम. के मंजू प्रकाश को हराकर पहली कब्जा जमाया था। लेकिन 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में तो प्रोफ़ेसर सुखदा पांडेय कब्जा बरक़रार रखने ने कामयाब रही पर फिर 2005 के नवंबर महीने में दुबारा हुए चुनाव में बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा के हरिदेव नारायण सिंह के हाथों गवा बैठी थी। लेकिन फिर 2010 में प्रो सुखदा पांडेय बक्सर सीट पर जीत दर्ज कर कब्जा कर लिया। लेकिन वर्ष 2015 हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उसवक्त की वर्तमान विधायक और कद्दावर नेता प्रोफेसर सुखदा पांडेय की जगह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चहेते प्रदीप दूबे को मैदान में उतारा था। इससे बक्सर के स्थानीय कार्यकर्ताओं में रोष पैदा हो गया था,जिसे कम करने के लिए पार्टी को खासी मशक्कत करनी पड़ी फिर भी सफलता नही मिली।

वही जाति समीकरण को देखते हुए तब कांग्रेस ने ब्राह्मण नेता संजय कुमार तिवारी (मुन्ना तिवारी) को मैदान में उतारकर बाजी पलटते हुए बक्सर सदर की सीट पर कब्जा जमा लिया था।

जातीय समीकरण मुफीद और कील कांटे दुरुस्त

लेकिन अब भाजपा ने बक्सर पुनः कब्जाने की रणनीति तैयार कर ली है। साथ ही चुनावी बिसात पर अब बक्सर से गुप्तेश्वर पांडेय की सियासी लॉन्चिंग की भी तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई है। बक्सर सीट दअरसल जातीय समीकरण से बाबा ख़ातिर मुफीद है। तो दूसरी तरफ सुखदा पांडेय अब सक्रिय चुनावी राजनीति में भाजपा के 70 साल की अघोषित बैरिकेड को क्रॉस कर चुकी है। तो वही दूसरी तरफ कील कांटे दुरुस्त करने के दौरान पिछली बार भाजपा उम्मीदवार रहे प्रदीप दूबे भी “टिकट” की दौड़ से खुद को बाहर कर चुके है।

दरअसल, बक्सर भाजपा जिला अध्यक्ष ने गुप्तेश्वर पांडेय के सियासी लॉन्चिंग को सुगम बनाने और उम्मीदवारी का निर्विरोध रहने में महती भूमिका निभाई है। विगत 2 दिनों में उनसे कई दौर की बातचीत व मुलाकातों के बाद पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने पूर्व के अनुभव से जांच परख कर फ़ैसला किया और वीआरएस ख़ातिर आवेदन लिखा। यानी सब कुछ तय है। भाजपा के टिकट पर बक्सर से चुनावी जंग में संजय तिवारी का मुकाबला करेंगे। जीत होने पर NDA गठबंधन की सरकार में मंत्री पद भी मिलेगा इसके लिए भी आश्वस्त किया गया हैं।

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