कॉलेज परिसर और कक्षा के अंदर भी बुर्का वर्जित है। यदि छात्राएं नियमों का पालन नहीं करेंगी तो उन्हें जुर्माने के तौर पर 250 रुपये देने होंगे। इस सर्कुलर पर बहुत सारी छात्राओं ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि आखिर कॉलेज को बुर्के से क्या परेशानी है। ये नियम थोपने वाली बात है।
इस मामले पर कॉलेज के प्राचार्या डॉक्टर श्यामा राय का कहना है कि हमने ये घोषणा पहले ही की थी। नए सेशन के ओरिएंटेशन के समय छात्राओं को इस बारे में बताया गया था। छात्राओं में एकरूपता लाने के लिए हम इस नियम को लाए हैं। उन्हें शुक्रवार तक ड्रेस कोड में आना है। हालांकि शनिवार को वह अन्य ड्रेस में आ सकती हैं। कॉलेज का ड्रेस कोड तय है उन्हें इसका पालन करना चाहिए।
पटना उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभाकर टेकरीवाल ने कहा कि वकील अदालतों के लिए बने ड्रेस का पालन करते हैं। कोर्ट में कोई बुर्का पहनकर नहीं आता। ऐसे में कॉलेज के मामले में भी आपत्ति का कोई औचित्य नहीं है। इसे कानून भी अवैध नहीं ठहराया जा सकता।
वहीं कुछ मौलानाओं ने इसपर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि यदि पाबंदी लगी है तो इसका विरोध किया जाएगा। जेडी वूमेंस कॉलेज का यह कदम गलत है। इससे प्राचार्या की मानसिकता का पता चलता है। उनका आरोप है कि एक खास तबके को निशाना बनाया जा रहा है। यह समाज को तोड़ने वाला कदम है।
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