बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

Fact Finding -शराबबंदी की हवा निकाल रहा है विभाग हुजूर,जखीरे पर कोताही व बोतल पर होती है थानेदार पर कार्रवाई, क्यों?

थाना क्षेत्र में शराब बिक्री पर लगाम नही लगने पर अबतक 2 दर्जन थानेदारो पर गाज गिरी है, सिटी एसपी मुजफ्फरपुर तक से शो कॉज किया गया लेकिन हद तो देखिए पटना में प्रीमियम ब्रांड और ठंडी बियर की सबसे बड़ी खेप बरामद होने पर भी कोई कार्रवाई थानाध्यक्ष पर नही हुई?

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पटना Live डेस्क। जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के 37वें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अप्रैल 2016 को नीतीश कुमार की सरकार ने सूबे में शराबबंदी कानून को लागू किया था। सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि वो नशामुक्त बिहार बनाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। शराबबंदी अभियान को लेकर अपनी ही पीठ थपथपाकर शाबासी बटोर रहे हैं, वास्तव में उसकी हवा निकलाने में सूबे का ही पुलिस-प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ रहा। सरकार ने संसोधित शराबबंदी कानून को लागू करने के लिए पुलिस को पूरी छूट दे रखी है। पर पुलिस वाले कितनी ईमानदारी से इस पर अमल कर रहे इसके नमूने आए दिन सामने आने लगे हैं।

यह भी जानना दिलचस्प होगा कि शराबबंदी के बाद सूबे में शराब की खपत कम होने की जगह कहीं और बढ़ गई लगती है। आए दिन शराब से भरे ट्रक और वाहन जब्त किए जा रहे हैं। जब्त शराब की गिनती पुलिस के ही हाथों में है। सवाल उठता है कि जब्त की गई शराब की बोतलों में से संबंधित पुलिस टीम ने कितनी जब्ती दिखाई और कितनी गायब कर दी यह उस टीम के ऊपर ही निर्भर है। इस पर और कोई नियंत्रण नहीं है। फिर यह भी कम रोचक नहीं कि शराब की खेपों से भरे कार्टूनों वाले ट्रक कहा से आ रहे हैं? ख़ैर

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के दौरान शराबबंदी कानून की आड़ में शराब तस्करी का मुद्दा काफी गरमाया था। इसको लेकर कई राजनीतिक दलों ने सीधे सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को ही दोषी ठहराया था। आरोप यह भी लगे थे कि इसमें पुलिस कर्मियों की मिलीभगत रहती है तभी यह अवैध कारोबार बदस्तूर जारी है।

वही, अब जब नई सरकार बन गई है तो इन शराब स्मगलरों और इनको सहयोग करने वालों पर कानून का शिकंजा कसना शुरू हो गया है। इसी क्रम में अब अपराधियों के साथ सख्ती के साथ ही शराबबंदी कानून (Prohibition Law) को लागू करने में लापरवाही थानेदारों पर भारी पड़ रही। अबतक 2 दर्जन से ज्यादा थानेदार जो थानेदारी तो कर रहे थे, लेकिन अपने इलाके में अवैध रूप से शराब की बिक्री को रोक नहीं पाए उनपर पुलिस मुख्यालय ने लगातार बड़ी कार्रवाई करते हुए शराबबंदी को लागू करने में लापरवाही बरतने और आसूचना संकलन नहीं कर पाने के आरोप में तीन थानेदारों को सस्पेंड कर दिया। वहीं, सासाराम और मोहनियां के एसडीपीओ से स्पष्टीकरण की मांग की गई।

             मुख्यालय ने इसे लापरवाही, मनमानेपन और संदिग्ध आचरण मानते हुए थानेदार प्रभात कुमार शरण को निलंबित कर दिया है। तीनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के भी आदेश दिए गए हैं। बता दें कि इससे पहले इससे पहले चार थानेदार निलंबित किए गए थे। वही नवंबर के आखिर में पुलिस मुख्यालय ने शराबबंदी कानून को लागू करने में लापरवाही बरतने के आरोप में कंकड़बाग, गंगाब्रिज, मीनापुर और अहियापुर के थानेदार को निलंबित कर दिया था।

                 नीतीश सरकार द्वारा शराबबन्दी को लागू करने खातिर आईजी प्रोहिबिशन के साथ-साथ इंटेलिजेंस, एक्साइज, स्पेशल ब्रांच व पुलिस सभी को लगाएं,ताकि धंधेबाजों को चिन्हित करे और उन ख़ाकीवालों को भी जो थानेदारी की आड़ में शरबीमाफ़िया को किसी भी तरह की सहयोग करते हो। लेकिन यहाँ भी अजब सा खेल चल रहा है। कई थानों में शराब का जखीरा बरामद होने पर कार्रवाई नही होती है और बोतल पकड़ाने पर जोरदार एक्शन लिए जा रहे है।

इसकी बानगी दिखी ठीक सुशासन के नाक के नीचे राजधानी पटना में किसी ने भी सोंचा नहीं होगा कि झोपड़ी के अंदर रह रहे लोग ठंडी बियर के साथ ही बड़ी कंपनियों के विदेशी शराब बेची जा रही होगी।लेकिन पूर्ण शराब बंदी के बाद भी पटना में ऐसा हो रहा था,वो भी काफ़ी लंबे वक्त से। हद तो ये की बाकयदा झुग्गी-झोपड़ी के अंदर बजाप्ता फ्रिज रख कर बियर की बोतलों को ठंडा किया जाता था और फिर उसके शौकिनों तक उसे पहुंचाया जाता था। ये सबकुछ चल रहा था रूपसपुर थाना के तहत पाटलिपुत्रा स्टेशन के पास स्थित स्लम एरिया में। बड़े मजे से इलाके में ये गोरखधंधा चला करता था।

मद्यनिषेध के 6 डीएसपी ने खोला था राज़

रूपसपुर थाना क्षेत्र में बड़े पैनमे पर जारी ठंडी बियर और प्रीमियम ब्रांडों की बिक्री बाकायदा एक तरह से दुकान सह बियारबार चलाई जा रही थी,पर लोकल थाना को इसकी सूचना क्यो नही हुई यह तर्क का विषय बना था। तब जाकर मद्यनिषेध विभाग की टीम में 6 डीएसपी और कई इंस्पेक्टर के साथ साथ रुपसपुर,दानापुर,खगौल सहित अन्य थानों की पुलिस टीम छापेमारी में शामिल कर छापेमारी टीम ने उक्त स्लम में एक कर सभी झोपड़ियों को खंगाल डाला। इसमें करीब 20 झोपड़ियों में बियर और शराब बेचने का गोरख धंधा चल रहा था। तब कहा गया था कि एक तरह से विदेशी शराब बेचने की दुकान चल रही थी।

लेकिन अबतक पटना के में सबसे बड़े बियर के जखीरे की बरामदगी और प्रीमियर ब्रांड के 20 कार्टून से ज्यादा शराब की खेप बरामदगी के बाद उक्त मामले की फाइल पर विभाग में कुंडली मार ली और वक्त के साथ धूल की परत मोटी होती चली गई।

लेकिन शराबबन्दी को लागू करने की कवायद उस वक्त तेज हों गई और मुख्यालय ने इसे लापरवाही, मनमानेपन और संदिग्ध आचरण मानते हुए थानेदारो पर विभागीय सख्ती भी बढ़ी जब DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस ले लिया और बतौर प्रभार बेहद सख़्त मिजाज़ IPS एस के सिंघल को डीजीपी का प्रभार मिला। अब तो एस के सिंघल को पूर्णकालिक बिहार पुलिस महानिदेशक बना दिया गया है तो उम्मिद है शराब की काली कमाई खातिर माफिया के हमनिवाला बने ख़ाकीवालों पर कार्रवाई होगी।

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