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प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को भारत रत्न

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सत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन विभूतियों प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिये जाने की घाेषणा की। नानाजी देशमुख एवं भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया जाएगा।

भारत रत्न पाने वाले राष्ट्रपति पद पर रह चुके छठे व्यक्ति होंगे प्रणब दा

प्रणब मुखर्जी भारत रत्न पाने वाले देश के छठे व्यक्ति है जो राष्ट्रपति पद को सुशोभित कर चुके हैं। इनमें से सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनने से पहले ही यह सम्मान मिला था। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे। वह संप्रग प्रथम और द्वितीय सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

कौन हैं नानाजी देशमुख

चंडिकादास अमृतराव देशमुख को नानाजी देशमुख के नाम से भी जाना जाता है। नानाजी देशमुख भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में काम किया। भारत रत्न से पहले उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

कौन हैं भूपेन हजारिका

भूपेन हजारिका पूर्वोत्तर राज्य असम से ताल्लुक रखते थे। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म ‘गांधी टू हिटल’ में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन’ गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

पीएम मोदी ने जताई खुशी

प्रणव मुखर्जी के बारे में पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रणव दा हमारे समय के उत्कृष्ट राजनेता हैं। उन्होंने दशकों तक निस्वार्थ भाव से अनवरत देश की सेवा की है। उन्होंने राष्ट्र के विकास पथ पर एक मजबूत छाप छोड़ी है।’ मुखर्जी के ज्ञान की प्रशंसा करते हुए पीएम ने कहा कि मुझे खुशी हुई कि उन्हें भारत रत्न दिया गया है।

प्रणव ने किया ट्वीट

भारत रत्न की घोषणा के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘देश के लोगों के प्रति विनम्रता और कृतज्ञता की भावना के साथ मैं इस महान सम्मान को स्वीकार करता हूं।

क्या है भारत रत्न सम्मान

1954 में इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान की शुरुआत की गई थी। भारत रत्न सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है।इसकी स्थापना तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। शुरुआत में इसे मरणोपरांत नहीं देने का प्रावधान था, लेकिन 1995 में इस प्रावधान को बदला गया था।

Source : Infolism 

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