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राज्यभर में हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही बकरीद,गांधी मैदान में अदा की गई नमाज,लोगों ने एक दूसरे को दी मुबारकबाद

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पटना Live डेस्क. राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में बकरीद का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है..इस मौके पर पटना के गंधी मैदान में हजारों की तादाद में लोग पहुंचे और एक साथ नमाज अदा की..नमाज अदा करने के बाद सबों ने गले मिलकर एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी.. इस मौके पर गांधी मैदान में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए थे…

पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल और एसएसपी मनु महाराज खुद नमाज के दौरान मौजूद रहे.. साथ ही शहर के सभी चौक-चौराहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम देखने को मिले.. पूर्व सांसद एजाज अली ने बकरीद के मौके पर लोगों को बधाई देते हुए कहा कि आज के दिन भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की भी कुर्बानी देनी चाहिये और एकदूसरे से प्यार मुहब्बत के साथ रहना चाहिए.. राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेशवासियों को बकरीद की शुभकामनाएं दी हैं और शांति, सौहार्द्र और भाईचारे के साथ बकरीद मनाने की अपील की है…

बकरीद को इस्लाम में बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है… इस्लाम में एक साल में दो तरह ईद की मनाई जाती है.. एक ईद जिसे मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी बकरीद.. एक ईद समाज में प्रेम की मिठास घोलने का संदेश देती है, तो वहीं दूसरी ईद अपने कर्तव्य के लिए जागरूक रहने का सबक सिखाती है..

ईद-उल-ज़ुहा या बकरीद का दिन फर्ज़-ए-कुर्बान का दिन होता है.. बकरीद पर सक्षम मुसलमान अल्लाह की राह में बकरे या किसी अन्य पशुओं की कुर्बानी देते हैं..

ईद उल अज़हा को सुन्नते इब्राहीम भी कहते हैं.. इस्लाम के मुताबिक, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेने के उद्देश्य से अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने का हुक्म दिया… हजरत इब्राहिम को लगा कि उन्हें सबसे प्रिय तो उनका बेटा है इसलिए उन्होंने अपने बेटे की ही बलि देना स्वीकार किया..

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा.. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (साउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है…

बकरीद पर कुर्बानी के बाद आज भी एक परंपरा निभाई जाती है.. इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है.. इसी वजह से बकरीद पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है.. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं..

 

इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों का बांटा दिया जाता है.. ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं..

 

 

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