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आरुषि मर्डर केस: तलवार दंपति कसूरवार या फिर बेकसूर… सबकी निगाहें ईलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर

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पटना Live डेस्क. देश की सबसे हैरतअंगेज और अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री पर आज फैसला आने वाला है. सबकी निगाहें इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर टिकीं है जिसमें यह तय होगा की आरुषि-हेमराज मर्डर केस में दोषी करार दिए गए उसके माता पिता तलवार दंपति कसूरवार हैं या फिर बेकसूर हैं.करीब नौ साल पहले हुई इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने के लिए पुलिस के बाद सीबीआई की दो टीमों ने इसकी जांच की थी. आरूषि मर्डर कांड की जांच स्थानीय पुलिस ने भी की थी.लेकिन बेहतर जांच के लिए बाद में इस हत्याकांड की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया गया था.लेकिन सीबीआई के लिए भी इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाना इतना आसान नहीं था.जांच के बाद गाजियाबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 26 नवंबर 2013 को आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार नुपूर तलवार को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.उम्रकैद की सजा को तलवार दंपति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.इस मामले पर सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने तलवार दंपति की दलील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर को तय की थी.हैरान करने वाली इस मर्डर मिस्ट्री में पहले तो आरुषि की हत्या का शक उसके नौकर हेमराज पर गया था.लेकिन दो दिन बाद ही उसका भी शव उसी मकान की छत से बरामद हुआ था.शुरुआती दौर में पुलिस ने इस मामले की पड़ताल की लेकिन वो भी असली गुनहगारों को पकड़ने में असलफ रही.आखिरकार लोगों के दवाब और इस हाईप्रोफाइल मर्डर की गंभीरता को देख तत्कालीन मायावती की सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.एजेंसी के तत्कालीन आईजी ने 23 मई 2015 को नोएडा पुलिस की जांच का हवाला देते हुए यह कहा था कि तलवार दंपति ने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक हालत में देखकर पहले हेमराज की हत्या कर दी और फिर बाद में आरुषि को भी मार डाला.इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने आरुषि की मां को भी उसकी और हेमराज की हत्या की साजिश में शामिल बताया.हालांकि पुलिस की जांच पर सवाल उठने के बाद मामले की जांच को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था.जांच के दौरान सीबीआई ने डॉ तलवार के डेंटल क्लिनिक पर काम कर चुके कृष्णा और तलवार के नजदीकी दुर्रानी दंपति के नौकर राजकुमार और पड़ोस में काम करने वाले विजय मंडल को हत्याकांड का आरोपी माना.सीबीआई की इस जांच पर भी काफी सवाल उठाए गए उसके बाद सीबीआई की दूसरी टीम ने इस मामले की जांच फिर से शुरु की.इस टीम ने पहली टीम की तरफ से आरोपी बनाए गए नौकरों को क्लीन चिट दे दी और मामले में आरुषि के माता-पिता को ही दोषी करार दिया.सीबीआई ने यह दलील दी कि जोर जबर्दस्ती के कोई सबूत नहीं मिले.सीबीआई का दावा था कि आरुषि और हेमराज की बॉडी को ठिकाने लगाने का काम कोई बाहरी नहीं कर सकता.हालांकि जांच टीम ने माना कि हेमराज का खून दंपति के कपड़ों पर नहीं मिला.तलवार दंपति पर किए गए साइंटिफिक टेस्ट का भी कोई नतीजा नहीं निकला.

 

 

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