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पटना: मदमस्त सांड को भी सूझी मस्ती,चढ़ गया मकान की छत पर,लोगों के साथ-साथ पुलिस के भी छूटे पसीने

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पटना Live डेस्क.  सड़कों और बाजारों में घूमने वाले एक सांड को सूझी मस्ती…बस क्या था चल दिए..टहलते..मस्त चाल में पूंछ हिलाते..सोचा कि दिन भर तो इसी बाजार और इस धूल भरी सड़क पर घूमता रहता हूं..क्यों न चल के छत की हवाखोरी की जाए…अच्छी सेहत भी बनी रहेगी..और शुद्ध हवा तो खाने को मिलेगी ही….सांड महोदय क्या जाने की इस हवाखोरी के लिए उन्हें मेहनत भी करनी होगी…तभी मुफ्त की हवा खा सकते हैं…लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा कि इसके लिए उन्हें कितने लोगों के गुस्से को झेलना पड़ेगा…इन सब बातों से अनजान सांड राम चल दिए राजधानी पटना को देखने..अभी कुछ दूर चले ही थे कि सामने एक चार तल्ला मकान दिख गया..सांड राम ने सोचा कि क्यों ने इसी पर चढ़कर पटना घूम लें और हवा भी खा लें…सोचते विचारते सांड महोदय चल पड़े राजीव नगर इलाके के एक मकान की तरफ…नजदीक आए तो सबकुछ शांत सा दिखा..ना कोई लोग..ना भगाने वाले गार्ड…ना किसी बच्चे के खेलने का शोर..सांड ने भी सोचा कि चलो आज किस्मत भी मेहरबान है..नहीं तो भला इतने बड़े मकान में शांति हो…. यह तो हो ही नहीं सकता..खैर सबकुछ ठीक होता देख सांड चल पड़े मकान की सीढ़ी की तरफ…जल्द ही उन्हें यह सीढ़ी भी मिल गयी… बस सीढ़ी मिलनी में देरी थी कि लगे सांड राम चढ़ाई करने…एक तल्ला चढ़ गए..किसी ने नहीं देखा..मानो लग रहा हो कि यहां रहने वाले सारे लोग बाहर पिकनिक मनाने चले गए…एक तल्ला चढ़ने के बाद सांड राम ने सोचा कि क्यों न दूसरा तल्ला भी चढ़ लिया जाए..बस क्या था..उचकते हुए कदमों से सांड राम दूसरा तल्ला भी चढ़ गए…किसी शोर शराबे से दूर सांड महोदय ने सोचा कि अब दूसरा महला तो चढ़ ही लिया चलो देखते हैं कि आगे क्या है…न कोई डर…न किसी की आहट…बस क्या था..सांड राम तीसरे महले पर पहुंच गए..वहां पहुंचे तो लगा कि अब तो काफी दूर आ गए हैं..क्या किया जाए..वहां भी कोई लोग नहीं..मन ही मन मुस्कुराते सांड राम को तो जैसे लगा कि आज तो पटना की हवा खा ही लेंगे…इसी सोच में मगन सांड महोदय को सामने एक और सीढ़ी दिखी..सांड ने सोचा कि शायद अब मंजिल दूर नहीं…लेकिन इस बीच कुछ लोगों को सांड की करतूत की आहट लग चुकी थी…लेकिन भारी शरीर के स्वामी सांड के सामने जाए तो जाए कौन..लोगों ने आहट सुनने के बाद भी घर में ही रहना उचित समझा..जबतक लोग कुछ समझ पाते तबतक सांड महोदय मकान के सबसे उपरी महले यानि चौथे तल पर विराजमान हो चुके थे..और आराम से छत पर विचरण कर पटना की शुद्ध हवा खा रहे थे…साथ ही साथ दूर बैठे लोगों को घूर भी रहे थे…इस बीच किसी ने छत पर मस्ती से घूमते सांड को देखा तो उसके होश उड़ गए…लोगों को चिल्ला-चिल्लाकर इत्तला दी कि छत पर तो सांड चढ़ आया है..कोई नीचे भागा..तो किसी ने कहा कस के दरवाजा बंद करो..तो कोई छुपते-छुपाते यह देखने चला गया कि वास्तव में सांड छत पर चढ़ आया है क्या..इतने बड़े मकान की थोड़ी देर पहले की शांति अब अशांति में बदल चुकी थी..लोग जहां सुन रहे थे वहीं से बाहर भागने की कोशिश कर रहे थे..गनीमत थी कि कोई हादसा नहीं हुआ…इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दी…आनन फानन में पुलिस भी मौके पर पहुंची..और सांड महोदय से नीचे उतरने की गुहार करने लगी..लेकिन सांड राम तो ठहरे ढीठ…भई काफी दिनों के बाद पटना को देखने का मौका मिला था…सो भला वो कहां गवाने वाले थे…पुलिसवाले को भी हड़काया और ढीठ बनकर छत पर ही बैठ गए..

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