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Exclusive(Pics )रांची में टला बड़ा प्लेन क्रैश हादसा, डॉ आफताब अहमद नामक शख्स उड़ते प्लेन में दरवाज़े पर लपका और…

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पटना Live डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची के आसमान में एक बहुत ही खतरनाक हादसा होते होते बच गया है। नई दिल्ली से रांची पहुंची एयर एशिया विमान की लैंडिंग से पहले ही इमरजेंसी गेट खोलने की कोशिश की गई। इसके बाद सभी यात्री दहशत में आ गए। यहाँ तक कि चर्चा ऐसी हो गई कि विमान को हाईजैक कर लिया गया। दरअसल सोमवार की देर रात नई दिल्ली से रांची लौट रहे बरियातू निवासी डॉ आफताब अहमद पिता डॉ मुश्ताक अहमद ने लैंडिंग से कुछ ही देर पहले इमरजेंसी गेट जबरन खोलने की कोशिश की। इस पर वहां मौजूद फ्लाइट कर्मी उसकी ओर दौड़ पड़े और उसे रोका। इस पर वह हंगामा करने लगा।

                     वह अजीबो-गरीब हरकत भी कर रहा था। हंगामा करता देख अन्य कर्मी पहुंचे और उसे लैंडिंग तक पकड़ कर रखा गया। फ्लाइट कर्मियों द्वारा पकड़े जाने पर उसने धक्का-मुक्की भी की। इसकी वजह से फ्लाइट क्रू के अलावा आफताब को हल्की फुल्की चोट भी लगी। उसके बाद फ्लाइट कर्मी उसे एयरपोर्ट सिक्यूरिटी ऑफिसर के पास ले गए।


सूचना पाकर मौके पर डोरंडा पुलिस भी पहुंची और आफताब को हिरासत में लेकर देर रात रिम्स में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसकी जांच के बाद उसे मनोरोगी बताकर कांके स्थित सीआइपी रेफर कर दिया। इधर एयरपोर्ट सेक्रेटरी विनीता शर्मा ने डोरंडा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसकी पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है।

                      मिली जानकारी के अनुसार डॉ आफ़ताब अहमद दिल्ली से रांची लौट रहा था। वह दिल्ली में सामुदायिक डॉक्टर के रूप में वह योगदान देने के बाद रांची लौट रहा था। लौटने के दौरान दिमागी संतुलन बिगड़ गया, इसके बाद उसने जबरन इमरजेंसी गेट खोलने की कोशिश की। ये भी बताया जा रहा है कि आफताब की बहन डॉ नीलोफर रिम्स में ही पदस्थापित हैं। उन्होंने बताया कि आफताब ने जमशेदपुर के एमजे कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एम्स गया था और पहले भी मनोरोग का इलाज चल चूका है।

                      पर जहाँ घटना इतनी बड़ी हो,सैकड़ो लोगो की जिंदगी से जुड़ी हो तो लाज़मी है,वहां शक का होना भी ज़रूरी हैl अब जरा सोचिये प्लेन में सिर्फ आफताब नहीं बल्कि बहुत सारे लोग सवार थे। उनमें बच्चे, बूढ़े और नौजवान सवार थे। महिलाओं की संख्या भी तादाद में थी। इस सनकपन से डरे सहमे लोग कुछ कर सकते थे या दहशत में हार्ट अटैक भी हो सकता था। समय रहते अगर रोका न गया होता तो न जाने कितने लोगों की जानें जा सकती थीl वर्त्तमान दौर में आतंकवाद इस कदर आम आदमी के जेहन में घर बना चुका है कि ऐसी घटनाओं को बिलकुल नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है। डॉक्टर आफताब कोई भी हो सकता है।


इस सनकपन भरे हादसे के  बाद से सवाल उठ रहे है कि क्या ये भारत के खिलाफ कोई आतंकी साज़िश थी? अब ये तो पुलिस को पता लगाना ही चाहिए कि आख़िर अहमद के किस-किस से सम्बन्ध थे या हैं। साथ ही  ये भी पता लगाना चाहिए कि कहीं उसका किसी आतंकी या आतंकी संगठन से तो कोई सम्बन्ध तो नहीं है? ये तमाम सवाल उठने के पीछे का का तर्क है कि एमबीबीएस के बाद एमडी कोर्स करने वाला व्यक्ति कैसे इस तरह की हरकत कर सकता है? साथ ही क्या ये संभव है कि एक मनोरोगी कम्युनिटी सर्विस कैसे करने दिल्ली चला गया? चुकी घर मे सभी पिता बहन डॉक्टर है फिर अकेले कैसे आफ़ताब को  घर वालो से दूर बिना किसी को साथ लिए जाने दिया ?

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