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शर्मनाक -(वीडियो)एक पति,एक बेटी फिर भी एक शव का मुक्ति खातिर भगीरथ इंतजार, त्रासद है एक शहर का इतना स्मार्ट होना

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रोहित कुमार सिंह, ट्रेनी रिपोर्टर, पटना

पटना Live डेस्क। वो एक महिला का शव है। जो पिछले 72 घंटो से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मुक्ति की बाट जोह रही है। शुरुआती कई घंटों तक तो उसकी गुमनाम सी मौत का किसी को इल्म ही न था। वो मार गई है वो किसी की पत्नी थी। किसी की माँ थी। किसी की बेटी थी। किसी की बहू थी। कभी इस घर मालकिन कही जाती थी। लेकिन वक्त के क्रूर हाथों ने उसकी खुशियों को लीला फिर उसके चमक दमक को और फिर उसके रुतबे और रुआब को और रह गया तो बस यादों का गुलदस्ता,एक बिटिया रूपी संबल का साथ, घर का स्याह कोना और दर्द का अतिरेक जो बेवक्त टीसता रहता और उसके जीवित होने का एहसास कराता।लेकिन कहते है न दर्द भी बेवफ़ा ही तो होता है, अचानक साथ छोड़ जाता है। और वो एक दिन सारे बंधनो को तोड़ कर आज़ाद हो गई। रह गया बिस्तर पर उसका निर्जीव जिस्म और खुली आंखें जो किसी का इंतज़ार करती रह गई थी।

बिहार की राजधानी पटना के सबसे पुराने पॉश और बुद्धिजीवियों के रिहाइश राजेन्द्र नगर। इस इलाके में सूबे के वर्त्तमान डिप्टी सीएम सुशील मोदी का निजी आवास है। यानी इलाका वीआईपी है। लेकिन लोग निष्ठुर और मेट्रो कल्चर के कट्टर अनुयायी है।तभी तो राजेन्द्र नगर रोड नंबर-10 के एक घर मे 3 दिन पहले एक महिला की मौत हो गई थी। पर किसी को इल्म ही न था। खैर, हो भी कैसे जिंदा थी तो दुआ सलाम भी न था अब तो वो खत्म ही हो गई। जब अपनो ने साथ छोड़ दिया तो गैरो से क्या गिला।

मुक्ति के भगीरथ इंतज़ार में महिला का शव कॉफिन में रखा है। कभी ये आयुर्वेदिक डॉक्टर आशीष कुमार सरकार का घर हुआ करता था और मकतूल उनकी पत्नी। लेकिन वक़्त के क्रूर हाथों ने दोनों के रिश्ते को ऐसा बिखेरा की आशीष ने इनको छोड़ कर किसी अन्य महिला के संग ब्याह रचा लिया है। नई दुनिया मे इतने मशगूल हुए की पीछे का सब कुछ भुला बैठे। रह गई माँ और बेटी। वक्त के साथ बेटी भी बड़ी हुई और शिक्षा दीक्षा खातिर दिल्ली शिफ्ट हो गई।

अमूमन राजधानी पटना में मेट्रो कल्चर का प्रभाव बहुत सीमित इलाको में ही दिखता है। लेकिन इस कांड जहा एक औरत की लाश उसके कमरे में उसके बिस्तर पर 72 घंटे से पड़ी थी लेकिन उसके किसी पड़ोसी ने जहमत तक न उठाई उसके ख़ैरियत जानने की। यानी पटना मेट्रो सिटी तो नही बन पाया है पर जबरिया स्मार्ट सिटी बनने की कवायद में पुरजोर लगा है। तभी तो एक शव का मुक्ति खातिर भगीरथ इंतजार जारी है फिर भी पटना को विचलित नही करता लेकिन यकीन मानीय यह त्रासद है एक शहर का इतना स्मार्ट होना।

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