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BiG News -बिहार म्यूज़ियम में नकली एंट्री टिकट के खेल का हुआ भंडफोड़, 5 करोड़ से ज्यादा का हुआ घोटाला, संग्रहालय अध्यक्ष समेत 5 पर FIR दर्ज

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पटना Live डेस्क। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़े अरमानों से ऐतिहासिक धरोहरों को दुनिया के सामने दिखाने ख़ातिर राजधानी में 600 करोड़ की भारी भरकम राशि की लागत से बिहार म्यूज़ियम का निर्माण कराया है। बिहार म्यूजियम का उद्घाटन 2015 में हुआ था। उद्घाटन के कुछ दिन बाद ही करीब 600 करोड़ की लागत से बना यह म्यूजियम अपनी भव्यता और खूबसूरती के कारण देशभर में चर्चित हो गया। अबतक म्यूजियम 4 नेशनल और दो इंटरनेशनल अवार्ड जीत चुका है।

बिहार म्यूजियम की भव्यता और अमूल्य धरोहरों की बहुतायत की चर्चा का परिणाम रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने पटना विजिट के दौरान बिहार म्यूजियम को देखने पहुचे थे। पीएम को सीएम ने इस संग्रहालय का साथ रहकर हर जगह का मुआयना कराया था।

लेकिन इस म्यूजियम का दुर्भाग्य रहा कि यह शुरू से विवादों में रहा। भोपाल के रहनेवाले और देश के जाने-माने कलाकार मो. युसूफ को इसका निदेशक बनाया गया। लेकिन नियुक्ति के कुछ समय बाद ही म्यूजियम का पुराना गुट इन्हें हटाने के लिए सक्रिए हो गया। यहां तक इनके साथ मारपीट भी हुई और मारपीट के आरोप में तत्कालीन अपर निदेशक जयप्रकाश नारायण सिंह को हटाया भी गया। लेकिन विवाद खत्म नहीं हुआ। अभी कुछ दिन पहले ही लेखापाल को गबन के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। लेकिन विवाद जारी है।

इसी बीच बिहार म्यूजियम में करीब पांच करोड़ के घोटाले की बात सामने आ रही है। घोटाले को लेकर कोतवाली थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। एफआईआर दो सितंबर को ही दर्ज कराई गई थी। सोमवार को म्यूजियम की अंदरूनी लड़ाई और घोटाले की कहानी तब सतह पर आ गई, जब म्यूजियम के निदेशक मो. युसूफ लंबी छुट्टी पर चले गए। इधर, यह भी चर्चा जोरों पर है कि निदेशक ने इस्तीफा दे दिया है, हालांकि इसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है।

निदेशक ने टिकट बिक्री में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए संग्रहालय अध्यक्ष-संग्रह मौमिता घोष, पूर्व अपर निदेशक जय प्रकाश नारायण सिंह, रणवीर सिंह राजपूत (संग्रहालयाध्यक्ष-इतिहास), सुमित कुमार (पूर्व आउटसोर्स, आईटी मैनेजर) और योगेंद्र प्रसाद पाल (पूर्व लेखापाल) के विरुद्ध कोतवाली थाने में प्राथमिकी (797/19) दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में आरोपियों के विरुद्ध धारा 408, 420 और 120-बी के तहत मुकदमा हुआ है। आंतरिक ऑडिट में सवा करोड़ से पांच करोड़ के गबन की बात सामने आ रही है। प्राथमिकी में संचिका व कर्मियों की सेवा पुस्तिका गायब करने का भी आरोप है।

बिहार म्यूजियम के प्रवेश करने ख़ातिर बच्चों को जहाँ 50 रुपये का टिकट लेना होता है वही बड़ो को 100 रुपये का भुगतान करना होता है। अपनी लिखित शिकायत में निदेशक मो यूसुफ़ ने आरोप लगाया है कि टिकट प्रिंटिंग में भारी हेर-फेर चल रही थी । शुरू में ‘बगैर नंबर वाला टिकट’ छपवा कर बिक्री की गई, ताकि राशि का कोई अंदाजा न लगे। जब नंबर अनिवार्य किया गया तब आरोपितों ने एक ही नंबर के चार-चार टिकट छपवा लिए। एक टिकट की राशि म्यूजियम को दी जाती थी बाकी खुद हड़प जाते थे।

हद तो ये की क्रय समिति द्वारा एक तरफ टिकट छपाई के लिए एजेंसी का चयन हो रहा है, दूसरी तरफ दो दिन पूर्व ही खरीदारी का आदेश जारी कर दिया गया है। ऐसी तमाम अनिमियतों के खुलासे हुुुए है।

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