बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

BiG News – अब से रात्रि 12 बजे के बाद चैन की नींद सो सकेगें थानेदार साथ ही मिलेगा 2 महीने में इतने दिनों का अवकाश

361

पटना Live डेस्क। सूबे के शासन और बिहार पुलिस के मुखिया समेत तमाम वरीय अधिकारियों की मंशा है कि थाने आने वाले फरियादियों के साथ पुलिसकर्मी प्यार से बात करे। पीड़ितों और मजलुमो की शिकायतों को तवज्जो दे और त्वरित न्याय की प्रक्रिया को अपनाए। लेकिन इसके उलट शासन को अक्सर शिकायते मिलती है कि थाना स्तर पर पुलिसकर्मियों का आम जनता के साथ व्यवहार ठीक नहीं रहता।अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो रोजाना एसएसपी व एसपी के पास सौ के करीब ऐसी शिकायते आती है जिनकी थाने स्तर पर सुनवाई नहीं हो सकी।

इस बाबत DIG सेट्रल रेंज राजेश कुमार ने समस्या के मूल को समझने की कवायद के तहत जब पुलिसकर्मियों के ऊपर हुए तमाम शोध और व्यवहार विशेषज्ञों की तार्किक व्याख्याओं का बारीकी से अवलोकन किया तो बेहद कड़वाक़ सच खुलकर सामने आ ही गया। दरअसल, अनियमित ड्युटी, काम के अत्यधिक प्रेसर से उत्पन्न मानसिक तनाव के चलते पुलिस कर्मी कई तरह की बीमारी, अवसाद और चिड़चिड़े पन के शिकार हो जाते हैं। जिसका असर उनके स्वास्थ्य और व्यवहार को बहुत हद तक प्रभावित करता है।

वही पुलिस विभाग के फ्रंट लाइन यानी सीधे सीधे आवाम से मुखातिब कड़ी का सबसे अहम किरदार थानेदार होता है। थानेदारों पर काम का अत्यधिक दबाव होता है।

अतः समस्या का मूल समझते हुए डीआईजी राजेश कुमार ने बेहद सराहनीय पहल करते हुए दो आदेश जारी किए है। यह आदेश सेंट्रल रेंज के थानेदारों के लिए बड़ी सहूलियत भरा साबित होगा है साथ हीं मानसिक तनाव को कम करने में मददगार होगा।

12 बजे रात्रि के बाद चैन की नींद

दरअसल, मनुष्य ख़ातिर कम से कम 5 घन्टे की नींद बेहद आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए पटना रेंज के डीआईजी राजेश कुमार ने निर्देश दिया है कि थानाध्यक्ष रात्रि 12 बजे से सरकारी मोबाइल एडिशनल थानाध्यक्ष को दे दें। ताकि थानाध्यक्ष रात में चैन की नींद सो सकें।थानाध्यक्ष चैन की नींद सोयेंगे तो उनमें कार्य क्षमता बढ़ेगी साथ ही मानसिक तनाव घटेगा।

वही, विशेष परिस्थितियों ख़ातिर थानेदार को अपना निजी नम्बर एडिशनल SHO और डीएसपी/ एसडीपीओ से साझा करना होगा ताकि उनसे सम्पर्क किया जा सके।

 

तीन दिनों का मिलेगा ऑफ

अपने दूसरे और बेहद अहम आदेश में डीआईजी राजेश कुमार ने बताया कि थानेदारों पर काम का बेहद दबाव होता है। अनियमति ड्यूटी, परिवार से दूरी, बच्चों की शिक्षा दीक्षा, परिजनों और अपने स्वास्थ्य संबंधी, पारिवारिक जिम्मेदारियों जैसे ढेरों अन्य काम भी होते है। इस सबको निपटाने के बीच उत्पन्न मानसिक और शारीरिक सुकून भी जरूरी है। इसलिए अब दो महीनों में 3 दिन की छुट्टी मिलेगी। ताकि उक्त अवकाश में खूद को रिफ्रेश कर व्यक्तिगत कार्यों को निपटा सके।

Comments are closed.