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पटना का गोलघर बन गया पर्यटकों का फेवरेट स्पॉट, आखिर क्या है गोलघर की ख़ासियत ?

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पटना Live डेस्क। गोलघर हमेशा से पटना का एक बेहेतरीन पर्यटन स्थल रहा है। आज के दौर में ये सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि देश-विदेशों में भी एक बड़े भव्य ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाने लगा है। पर्यटन के मामले में पटना प्राचीन काल से ही फेवरेट स्पॉट रहा हैं। एक से बढ़कर एक मकबरे, इमारत, स्तूप और किला यहाँ बनाये गये हैं। मालुम हो कि पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान के पास बनाया गया गोलघर अंग्रजो ने बनाया था । गोल घर 140 मीटर चौड़ा है, 96 फीट ऊँचा है इसका दीवार 3.6 मीटर मोटा है। गोल घर में एक लाख चालीस हज़ार टन अनाज रखने की क्षमता है और ये खुद में ही एक बड़ा इतिहास है। अब तो पटना में काफी बिल्डिंग का निर्माण हो गया है, पर कुछ समय पूर्व तक ऐसा समय था कि पटना का सबसे ऊँचा इमारत गोलघर ही था, और ये भी बड़ी बात थी। गोल घर के ऊपरी हिस्से (छत ) पर जाने के लिए 143 घुमावदार सीढियाँ बनायीं गयी है।

अगर आप वहां अब तक नहीं गए है तो जाए क्योंकि ऊपर से पटना का जो नज़ारा दिखता है वो और कही से नहीं दिख सकता। उसके छत से मानो जैसे पूरा पटना दिखता है। उपर से गंगा नदी तथा इसके परिवेश का भी शानदार अवलोकन कर सकते हैं। बता दें कि गोल घर परिसर में हर शनिवार शाम को एक कार्यक्रम का आयोजन होता है जो कि बेहद खूबसूरत होता है। इसी कार्यक्रम में इको साउंड सिस्टम लेजर शो भी आयोजित किया जाता है। इस लेज़र शो कार्यक्रम का उदघाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2013 में किया था। इस शो में पाटलिपुत्र के पुराने एवं ऐतिहासिक पहलुओं से पर्यटकों को रूबरू कराया जाता है। साथ ही भगवान् बुद्ध, महावीर, अशोक सम्राट, आर्यभट्ट जैसे महान आत्माओं की कई बाते लेज़र शो के माध्यम से दिखाई जाती है।

इसके निर्माण के पीछे बेहद ही इंटरेस्टिंग कहानी है। तक़रीबन 250 साल पहले पूरे बिहार में भयंकर आकाल पड़ा था, उस वक़्त 30 लाख लोग भूख के कारण मर भी गए थे। ब्रिटिश उस वक़्त मगध काशी, बंगाल में भी राज करते थे। ब्रिटिश सरकार को जब यहाँ की स्थिति मालुम पड़ी तो उन्हें अनाज़ भण्डारण की बात सूझी। उसके बाद ही गोलघर के निर्माण का कार्य 20 जनवरी 1784 को शुरू किया गया। गोल घर बनाने का कार्य ब्रिटिश इंजीनियर जाँन गास्टिंन देख रेख में ही हुआ। 5 हज़ार कारीगरों ने दिन रात मेहनत किया तब 2 सालों में तैयार हुआ बड़ा और विशाल बिलकुल गोल आकर का गोलघर।

अब बिहार सरकार ने और भी बदलाव किये है जिससे गोल घर परिसर का लूक और निखर कर आये। साथ ही लोगो को पहले जो भी थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था वो भी दूर हो जाए इसका भी पूरा ख्याल रखा गया है। गोल घर के परिसर में चारों तरफ काफी परिवर्तन लाया गया है। रंग बिरंगे फूल लगाये गये, पर्यटकों के बैठने की व्यवस्था बना दी गयी है। यही नहीं पानी के लिए भी वहां नलकूप लगा दिए गये हैं। सरकार ने इसके लिए अच्छे बजट का प्रावधान किया और परिवर्तन लाने में सक्षम भी रहें। हर दिन पर्यटक गोल घर सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे के बिच बीच गोल घर आकर बिहार के इतिहास और समृद्धि से रूबरू हो कर आनंदित महसूस कर सकते है।

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