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भाजपा के रामराज्य का सच – शिव का सुसाइड नोट – PLZ SAVE MY FATHER अगर ऐसा हुआ तो मेरी आत्मा को शांति मिल जाएगी

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# शिव खुदकुशी मामले में पिता की फरियाद पर डीएसपी और इंस्पेक्टर पर एफआईआर दर्ज

पटना Live डेस्क। झारखंड की राजधानी राँची में
सेवा सदन अस्पताल के सामने एक युवक ने पेंड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली पर मरने से पहले उसने बुधवार की शाम 7:47 बजे आरटीआई-पीएमओ, झारखंड के सीएमओ, डीजीपी आदि पुलिस अधिकारियों को ईमेल से सुसाइड नोट भी भेजा था। इसमें उसने आरोप लगाया था कि रांची के सिटी डीएसपी शंभू कुमार सिंह और चुटिया थानेदार अजय कुमार वर्मा की प्रताड़ना से तंग आकर वह खुदकुशी कर रहा है। खाकी को सुधारने की लाख कोशिशों के बावजूद कार्यप्रणाली और व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है। एक बार फिर पुलिस के प्रताड़ना भरे व्यवहार से आहत होकर धनबाद के एक युवक शिव सरोज कुमार (27) ने बुधवार की देर रात आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के पूर्व उसने अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोया जिसे पढ़कर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। सोशल मीडिया पर विरोध से लेकर सड़कों पर प्रदर्शन तक शुरू हो गए। मचे कोहराम के बाद गुरुवार को ही चुटिया थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया गया। धनबाद निवासी सरोज ने सेवा सदन अस्पताल के सामने  पेड़ पर फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। उसका शव गुरुवार को पेड़ से लटकता हुआ मिला था। पुलिस हेडक्वाटर ने मामले की सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं।उधर, सीएम ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी है।


रांची पुलिस अब फेस सेविंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच कर रही है। लेकिन कोशिश और इरादा घटना को पुलिस किसी भी कीमत पर शिव के आत्महत्या को युवक द्वारा आत्मग्लानि के कारण की गई आत्महत्या साबित करना चाह रही है और इसके लिए पूरा प्लान भी तैयार कर लिया गया है।
युवक शिव सरोज कुमार राय आत्महत्या मामले में पिता सुरेश कुमार के बयान पर कोतवाली थाने में सिटी डीएसपी शंभू कुमार सिंह,इंस्पेक्टर अजय कुमार वर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है। केस में इस बात का उल्लेख है कि कैसे डीएसपी और इंस्पेक्टर ने उन्हें और उसके बेटे को प्रताड़ित किया।बताया जाता है कि प्रताड़ित होने के कारण ही उनका बेटा वहां से निकला और पैसे लेने के बाद कहा कि वह नाश्ता कर रहा है। इसके बाद वह नहीं लौटा। उसके बाद सुबह में कोतवाली थाना पुलिस द्वारा सूचित किया गया कि उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली। फिर डीएसपी और इंस्पेक्टर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित प्राथमिकी दर्ज की गई।

जांच का जारी है…

दूसरी तरफ सीआईडी एडीजी अजय कुमार,आईजी नवीन कुमार सिंह कोतवाली थाना गए थे। उसके बाद सभी बड़ा तालाब भी गए,क्योंकि मृतक ने बताया था कि अपहर्ताओं ने उसका अपहरण कर बड़ा तालाब के पास फेंक दिया था। सीआईडी की टीम वहां गवाह खोजने में जुट गई। इस दौरान सीआईडी को दो गवाह भी मिले जो ये बता रहे थे कि घटना के दिन युवक को किसी ने नहीं फेंका था, बल्कि खुद चिन्मय मिशन आश्रम की तरफ से आ रहा था।
सूत्रों के अनुसार शुक्रवार दिन भर के जांच के उपरांत अभी तक जो मामला समझ आ रहा है वो यह है कि पुलिस किसी भी कीमत पर शिव के आत्महत्या को आत्मग्लानि के कारण की गई आत्महत्या साबित करना चाह रही है और इसके लिए पूरा प्लान भी तैयार कर लिया गया है। क्योंकि पांच दिन बाद अचानक पुलिस को गवाह भी मिल गए,जबकि शिव ने अपने अपहरण होने और बड़ा तलाब के पास फेंक दिए जाने की बात कही थी।

उसका सुसाइड नोट पढ़िए ! ( शिव द्वारा लिखित)

नमस्ते सर/मैम

मेरा नाम शिव सरोज कुमार है और मेरी ऐज 27 वर्ष है और मैं धनबाद का रहने वाला हूँ। मैं सैटरडे 12 बजे एयर एशिया की फ्लाइट से दिल्ली से रांची आया था। अपने पासपोर्ट के कुछ काम के लिए,मुझे स्टे करना था तो मैंने ‘ OYO Room ‘ के थ्रू ऑनलाइन होटल बुक किया ‘होटल रेडिएंट’ स्टेशन रोड पर।
करीब 4 बजे के आस पास मैं वहां चेक-इन किया और मुझे रूम नंबर 402 दिया गया रहने के लिए और रात के करीब 10 बजे वहां कुछ लोग शराब पी के हल्ला करने लगे सो मैने उन्हें मना किया और उन्होंने मुझे धमकियाँ देना स्टार्ट कर दिया। नेक्स्ट डे मुझे होटल वालों ने रूम चेंज करवा के रूम नंबर 201 दिया। मैं करीब 10:05 pm अपने रूम से डिनर के लिए बाहर गया तभी मोड़ पे एक ब्लैक कलर की कार रुकी और मुझसे AVM Plaza का एड्रेस पूँछा, मैं बताने के लिए आगे की तरफ़ बढ़ा फिर किसी ने मेरे मुह पर रुमाल रख कर दिया और मुझे बेहोशी होने लगी फिर जब मुझे होश आया तो खुद को एक वाहन के पीछे की एक डिग्गी में पाया और मेरा एक फोन मेरे जीन्स में था सो मैंने 100 डायल करके इन्फॉर्म किया और अपने जीजा को कॉल करके इन्फॉर्म किया,तभी मेरे हांथ से फोन ले लिया गया। और उसके बाद मैंने खुद को एक तालाब में पाया और जैसे तैसे ऊपर की ओर बढ़ा और कुछ बाइक्स से मदद मांगी, उसके बाद मुझे ज्यादा अच्छे से याद नहीं कि क्या हुआ क्या नहीं,फिर खुद को महावीर हॉस्पिटल में पाया,ये न्यूज़ सभी पेपर में निकली।

बाद में मेरे पापा धनबाद से आए और मेरा इलाज़ करवाने लगे ।

ये केस रांची “चुटिया” थाने में फ़ाइल हुआ और  यहाँ से जो हमारे साथ हुआ उसका दर्द बयां नहीं कर सकता । मंडे को दोपहर 2 बजे अस्पताल से डिस्चार्ज लेकर हम थाने गए,फिर होटल से अपना सामान लेने लेकिन वहां से पता चला कि रूम का सारा सामान सब बिखरा पड़ा था और चुटिया थाने के थाना प्रभारी ‘अजय वर्मा ‘ केस हैंडल कर रहे थे। उनसे जब बात स्टार्ट हुई तो ऐसा लगा ही नहीं कि एक थाना प्रभारी से बात हो रही है; माँ-बहन की गालियां ,बार बार मारने की धमकी,जेल भेजने की धमकी ,मुझे और मेरे पापा दोनों को, मुझसे होश में बयान लिए बिना उन्होंने क्या क्या लिख दिया पता ही नहीं चला ।

मेरी कन्डीशन अच्छी नहीं थी और रिपोर्ट में भी लिखा हुआ था कि मुझे रेस्ट चाहिए कुछ दिनों तक,पर थाने में हमारी किसी ने एक नहीं सुनी और 2 बजे तक वहीं बैठाए रखा कि DSP सर केस हैंडल कर रहे हैं,सो वो आएंगे तो समान मिलेगा आपको। बाद में सिटी Dysp सर थाने आये,मुझे लगा कि चलो वो Dysp हैं अच्छे से हैंडल कर देंगे सब,पर उन्होंने जब बोलना स्टार्ट किया तो गालियों से बात स्टार्ट हुई , माँ-बहन कि गाली। मेरे पापा से बस ये गलती हुई थी कि उन्होंने जब 100 नंबर में कॉल किया था तो मुझे ‘IT ऑफीसर’ बताने की जगह घबराहट में IB ऑफीसर बता दिया,क्योंकि रात एक बजे उन्हें उनके बेटे की मुसीबत में होने की ख़बर मिली थी, और उस टाइम कैसा फील होता है जब आपका अकेला बेटा और ऐसी कन्डीशन में हो।

और बस इसी बात को लेकर DySP सर ने मेरे पापा को मा-बहन की गालियां दीं और उनका कालर पकड़ के धमकी देने लगे। बांकी सारे केस पर से फोकस चला गया और उस बात को लेके इंवेस्टिगेशन होने लगा । मैं विक्टिम था और मुझे एक्यूज़ की तरह ट्रीट किया गया,और मेरे पापा के साथ वहां बहुत ज्यादा बत्तमीजी हुई, हमे वहां 2 बजे दोपहर से सुबह के सात बजे तक रखा गया,होटल के स्टॉफ और ऑनर भी आए थे बट ऑनर बहुत जल्दी चला गया। मेरे सामने वहां के सिपाही होटल वाले से पैसों की सेटिंग करने में लगे हुए थे और हमारे साथ जानवरों जैसा बिहेव किया गया।

जैसे विक्टिम वो हैं और हम Accuse। DSP सर मेरी इन्वेस्टीगेशन करने में लग गए और मेरी कॉल डिटेल्स निकाल कर मेरी दीदी और रिलेटिव्स के साथ मेरे रिलेशन बताने लगे। पापा बोले कि वो मेरी बेटी है तो बोलने लगे कि आप झूठ बोल रहे हैं,आपका बेटा यहां लड़की से मिलने आया था और पता नहीं क्या क्या।देखते ही देखते वो पूरा केस ही मोल्ड करने लगे,मुझे और मेरे पापा को अलग-अलग बुला कर हरॉस किया, गालियां दीं, मारने की धमकी जेल में डालने की धमकी।

मेरे सामने मेरे पापा जलील होते रहे ,और मैं कुछ नहीं कर पाया। वो एक रिटायर्ड परशन है, 2017 में रिटायर्ड हुए BCCL धनबाद से, पर उसने साथ जैसा बिहेव किया गया ,तो देख कर मुझे समझ आ गया कि आम लोग पुलिस से हेल्प क्यों नहीं लेना चाहते हैं। पब्लिक सर्वेंट तो बस नाम के लिए हैं ,थाने में जो होता है वो अब मुझे पता चल गया। वहां मेरे और पापा के साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया। समान मेरा चोरी गया,2 फोन,गोल्ड रिंग ,कैश 10,000,लैपटॉप और अभी रूम ओपन नहीं किया गया जो मुझे पता चले। हमे बार बार इंटोरेगेट किया जा रहा था कि हम अपने बयान बदल दें,और होटल के ऑनर से कुछ नहीं कहा गया। बस उसके स्टॉफ को इंटोरेगेट किया गया । मेरे पापा बहुत ही सीधे इंसान हैं ,और आज तक पुलिस स्टेशन नहीं गए थे और मै भी नहीं। पर कल रात जो हुआ हमारे साथ,मेरी रूह कांप जाती है वहां जाने से ।
और में अब जीना नहीं चाहता जो मेरे पापा के साथ हुआ है।

सुसाइड करने जा रहा हूँ,

और अब मैं सुसाइड करने जा रहा हूँ ,क्योंकि मुझे पता है थाने में केश को पूरी तरह से चेंज कर दिया गया है और विक्टिम को Accuse और accuse को विक्टिम बनाया जा रहा है ।मुझे धमकियां दी गईं की जेल भेज के कैरियर बिगाड़ दिया जाएगा, मेरी पूरी फैमिली को कॉल्स करके परेशान किया गया। मैं अब जीना नहीं चाहता; पर आप सभी से कुछ सवाल हैं जो पूँछना चाहता हूँ।

1-क्या पुलिस को गाली दे कर बात करने की परमीशन है?
2-नार्मल लोगों की कोई रिस्पेक्ट नहीं होती थाने में ?
3-वो हमारी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए होते हैं ,या प्रॉब्लम बढ़ाने के लिए ?
4-हम गुंडों से डरते हैं क्योंकि वो गुंडे हैं पर पुलिस वालों से भी डरते हैं कि वो वर्दी वाले गुंडे हैं?
5-सीनियर पुलिस अधिकारी ही जब माँ-बहन कि गली देकर बात करेगा तो उनमें और रोड चलते मवाली में क्या डिफरेंस है?
6-क्या एक नार्मल इंसान की कोई रिस्पेक्ट नहीं है,मोरल वैल्यू नहीं ?
7-आज “चुटिया” थाना प्रभारी की वजह से मेरे मम्मी पापा ने अपने एक बेटे को खो दिया.. मेरी 4 दीदी अपने एकलौते भाई को राखी से पहले खो रही हैं ।

क्यों ऐसा होता है हमारे देश में ? क्या हमें आज़ादी से जीने का हक नहीं? कौन सुनेगा हमारी?आज मैं अपने पापा को थाने में छोंड़ कर अकेले निकल आया,सुसाइड करने। और मुझे पता भी नहीं कि क्या किया गया होगा उनके साथ थाने में?कौन साथ देगा हम जैसे नार्मल लोगों का?कब तक हम जैसे यंग लड़के पुलिस के टॉर्चर से सुसाइड करेंगे? वो अधिकारी हैं तो उनको बोलने वाला कोई नहीं है?
कहाँ गए हमारे मोदी जी? कहाँ गए ह्यूमन राइट्स वाले? कहाँ गए झारखंड के CM?
मेरी मौत की वजह सुसाइड नहीं मर्डर है ,जिसकी पूरी रिस्पांसबिलिटी चुटिया थाना प्रभारी और सिटी DSP का है । उन लोगों ने एक नाईट में रावण राज़ की याद दिला दी, मैं ऐसा फेस नहीं देखा था कभी प्रशासन का ।

मेरी मौत के रिस्पांसिबल सिर्फ़ और सिर्फ चुटिया थाना प्रभारी मिस्टर अजय वर्मा और सिटी DSP हैं ।

आप सभी से हाँथ जोड़कर निवेदन है कि plz help my father, और मुझे कुछ नहीं चाहिए,वो सब थाने में मिल के मेरे पापा के साथ बुरा कर देंगे ।

PLZ SAVE MY FATHER अगर ऐसा हुआ तो मेरी आत्मा को शांति मिल जाएगी ।

मैने एक कॉपी PMO OFFiCE और CM Jharkhand को भी सेंड किया है ,और आप सभी को,ताकि मेरे फादर को कहीं से तो हेल्प मिल जाए।

With Best regards,
SHIV SAROJ KUMAR

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