डॉ कफ़ील अहमद -अपनी कार में ही डॉक्टर दोस्तों से लाए 12 सिलेंडर और फिर अपनी जेब से भुगतान कर मंगाया और ऑक्सीजन सिलिंडर
पटना Live डेस्क। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में मरने वाले बच्चों की संख्या 63 हो गई है। इससे पहले यूपी सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि किसी भी बच्चे की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई है। यह भी कहा गया है कि मीडिया में इसको लेकर भ्रामक खबरें चलाई जा रही हैं।शुरुआती खबरों से पता चला है कि यह घटना ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई है।
जो कंपनी बीआरडी मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन की सप्लाई करती है,उसका बिल बकाया था और पिछले काफीर दिनों से कंपनी की तरफ से बकाया की मांग की जा रही थी. भुगतान न होने के कारण कंपनी ने ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर दी। वहीं राज्य के हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि बच्चों की मौत अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर दौरे के दो दिन बाद घटी है।
योगी ने भी किया था दौरा?
9 अगस्त को योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर का दौरा किया था। वे इस अस्पताल भी आए। लेकिन उन्होंने वही देखा जो प्रशासन ने दिखाया। वो सच मुख्यमंत्री नहीं देख पाए जिसे मिटाने के लिए जनता ने उन पर भरोसा किया था। वे नहीं जान पाए कि ऑक्सीजन सप्लाई का पेमेंट महीनों से बकाया है।
Dr कफ़ील अहमद खान
ऑक्सीजन संकट के बीच मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर जब खूब दौड़भाग कर रहे थे तब गुरूवार रात के दो बज रहे थे। इंसेपेलाइटिस वार्ड के प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफ़ील अहमद को सूचना मिली कि अगले एक घंटे बाद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी इस सूचना के बाद ही डॉक्टर की नींद उड़ गई वह अपनी कार से मदद मांगने अपने मित्र डॉक्टर के अस्पताल पहुंच गए और वहां से ऑक्सीजन के तीन जंबों सिलेंडर लेकर शुक्रवार की रात तीन बजे सीधे बीआरडी अस्पताल पहुंचे तीन सिलेंडरों से बालरोग विभाग में करीब 15 मिनट ऑक्सीजन सप्लाई हो सकी।
सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन खत्म होने पर एक बार फिर वार्ड में हालात बेकाबू होने लगे मरीज तड़प रहे थे वार्ड में तैनात डॉक्टर और कर्मचारी परेशान होने लगे उधर ऑक्सीजन सिलेंडर की खेप आने में कॉपी देर थी। किसी बड़े अधिकारी व गैस सप्लायर ने फोन नही उठाया तो वह खुद अपनी कार लेकर फिर निकल पड़े प्राइवेट अस्पतालों में अपने डॉक्टर दोस्तों से मदद मांगने तब अपनी गाड़ी से ऑक्सीजन करीब एक दर्जन सिलेंडरों को ढुलवाया।
डॉक्टर कफील समझ चुके थे कि ऑक्सीजन सिलेंडर के बिना मेरा कोई प्रयास सफल नही होगा उन्होने शहर के आधा दर्जन ऑक्सीजन सप्लायरों को फिर फोन लगाया तब एक सप्लायर ने नकद भुगतान मिलने पर सिलेंडर रिफिल करने को तैयार हो गया तब डॉ कफील ने तुरंत एक कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड देकर रूपये निकालने भेजा और ऑक्सीजन की व्यावस्था की। तभी फैजाबाद से आए सिलेंडरों के ट्रक चालक को भी डीजल और दूसरे खर्चो की रकम अपनी जेब से देकर भेजा।फिर एक कर्मचारी की बाइक पर एसएसबी के डीआईजी के पास पहुंचे। वहां से 10 सिलेंडर लाए। सिलेंडर ढोने के लिए एसएसबी ने ट्रक भी भेजा।
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