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Super Exclusive — गिरफ्तार कुख्यात दुर्गेश शर्मा

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पटना Live डेस्क। पुलिस के पास भी महज एक तस्वीर थी जो बेहद पुरानी थी। अपने कारनामो से पुलिस को भी परेशान कर रखे इस कुख्यात की गिरफ्तारी के बाद कि देखे वो तस्वीर …

राजधानी पटना को अपनी करतूतों से दहशतज़दा कर रखे कुख्यात अपराधी दुर्गेश शर्मा को आखिरकार आईजी ऑपरेशंस कुंदन कृष्णन ने पटना के राजेन्द्र नगर टर्मिनल इलाके से घंटों इंतज़ार के बाद वेष बदलकर धर दबोचा है। वर्षो से जरायमकाण्डों को अंजाम देकर फरार चल रहे इस कुख्यात अपराधी की गिरफ्तारी बिहार पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि है।
वही मिली सूचना के अनुसार पहले ये खबर आई कि इस कुख्यात की गिरफ्तारी बख्तियारपुर स्टेशन से की गई है। लेकिन बक़ौल बख्तियारपुर रेल थानाध्यक्ष के दुर्गेश की गिरफ्तारी राजेन्द्र नगर स्टेशन परिसर से की गई है।

दुर्गेश शर्मा पर है 50 हजार का इनाम

पूर्व में भी दुर्गेश कीगिरफ्तारी के कई मौके पुलिस को मिले।लेकिन, ये मौके गंवा दिए। 14 फरवरी, 2015 को मैनपुरा में हुई संतोष सिंह की हत्या के बाद पुलिस ने उसका नंबर ट्रेस करने में सफलता पाई थी। बार-बार उसका लोकेशन पश्चिमी दिल्ली बता रहा था। इसके बावजूद उसे पकड़ने में पुलिस विफल रही। अगर दुर्गेश गिरफ्तार होता, तो दिल्ली में यह उसकी दूसरी दफे गिरफ्तारी होती। वर्ष 2002 में एकबार दुर्गेश को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी। उस समय पाटलिपुत्र थाने में दर्ज एक हत्याकांड के सिलसिले में उसकी पेशी कोर्ट में कराई गई थी। यहां से वह फर्जी बेल पेपर दिखाकर जेल से बाहर गया था। कोतवाली थाने में दुर्गेश के खिलाफ 420 का मामला भी दर्ज किया गया था। कोतवाली पुलिस ने जांच शुरू कर उसका लोकेशन पता किया था। एक-दो बार उसका लोकेशन पटना आया, लेकिन पुलिस पकड़ नहीं पाई।

दुर्गेश पर बुद्धा कॉलोनी, एसकेपुरी, दीघा समेत राजधानी के अन्य थानों में हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी समेत एक दर्जन अन्य संगीन मामले दर्ज हैं। दुर्गेश पिछले वर्ष फरवरी में पटना आया था। संतोष की हत्या में भी वह नामजद है। एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि दुर्गेश पर 50 हजार का इनाम घोषित करवाया था।

फर्जी जमानत में गिरोह के मुंशी ने निभाया था अहम रोल

पुलिसके जाल में फंसे गुर्गे राजू बीसी उर्फ राजू माली ने दुर्गेश शर्मा की फर्जी जमानत में अहम भूमिका निभाई थी। इस पहलू पर पुलिस की नजर है। राजू बीसी गिरोह में मुंशी की तरह काम करता था। खासकर लेन-देन के मामलों से लेकर वकील तक वह नजर रखता था।

गुर्गों को कमीशन बोनस भी

दुर्गेशशर्मा फुटपाथ पर मछली बेचने वालों से लेकर बिल्डर तक रंगदारी वसूली के लिए ‘थ्री टियर फॉर्मूला’ आजमाता था। उसने अलग-अलग गुर्गों का ग्रुप बना रखा है। पुलिस के हत्थ चढ़े गणेश, अखिलेश सुमन राजापुर पुल एरिया में मछली बाजार से वसूली करते थे। गणेश ने बताया कि रंगदारी वसूली होने पर सरगना की अोर से कमीशन के अलावा मासिक वेतन पर्व-त्योहार के मौके पर अतिरिक्त राशि (फेस्टिवल बोनस) मिलता था। पिछले दशहरा में उसे 10 हजार रुपए मिले थे।

तकरीबन 7 साल से पटना से फरार यह कुख्यात अचानक पिछले साल 2016 में उस वक्त फिर एक बार संतोष सिंह के मर्डर के बाद कुख्यात दुर्गेश शर्मा सुर्खियों में आ गया था। उसके गैंग की सक्रियता बढ़ती दिखने लगी। खास करके राजापुर पुल इलाके में यह गैंग रंगदारी भी वसूल करने लगाअौर इनकार करनेवालों को बेमौत मारने दे लगा। पुलिस उसके गुर्गों को तो पकड़ ले रही थीं,पर दुर्गेश के  गिरेबां तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पा रहे थी। और फिर स्वर्ण  व्यवसायी की हत्या से पुलिस के सामने इस गैंग को काबू करने की चुनौती बढ़ गयी। दरअसल पिछले साल संतोष सिंह की हत्या के बाद दुर्गेश शर्मा के  गैंग के हाथ होने की बात सामने आयी थी।
पुलिस ने इस केस में उसके गुर्गों  को गिरफ्तार किया, लेकिन पिछले सात साल से फरार चल रहे दुर्गेश को नहीं पकड़ सकी. यहां बता दें कि फर्जी दस्तावेज के सहारे दुर्गेश शर्मा हाइकोर्ट से जमानत पर छूटा था। इसके बाद से वह फरार है और रंगदारी वसूल कर  अपना दबदबा बनाये हुए था।  खास करके बुद्धा कॉलोनी, एसकेपुरी व पाटलिपुत्रा इलाके में इस गैंग ने पांव पसार लिया। गैंग के सदस्य व्यापारियों से  रंगदारी वसूल रहे हैं और नहीं देने पर पहले धमकी, फिर मर्डर को अंजाम दे रहे थे।
तीन जनवरी की रात शिक्षक मधु उर्फ मधुसूदन की राजापुर पुल पर गेट नंबर 21 के पास गोली मार कर  हत्या की गयी थी। ठीक चौदहवें दिन अपरााधियों ने हत्या की दूसरी घटना को अंजाम दिया। इस हत्या ने साबित कर दिया है कि राजधानी में अपराधी बेलगाम  हो रहे है। दिनदहाड़े घटना को अंजाम दे रहे हैं। अपराधी व मैनपुरा निवासी मुनचुन कुख्यात चांदीलाल का सगा भाई है। चांदी लाल वर्ष  2000 से 2007 तक पटना का आतंक रहा है लेकिन उसके बाद से अचानक ही वह गायब  हो गया।

 

 

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