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कथा तेजस्वी यादव की – 9वीं फेल, क्रिकेट में ढेर तो पिता ने बनाया सियासी शेर और अब लेना पड़ेगा बेल

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पटना Live डेस्क। 20 नवंबर 2015 दिन शुक्रवार पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान भले ही उस दिन नीतीश कुमार ने पांचवीं बार मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन मंच पर आसीन लालू यादव की खुशी और चेहरे पर तेज़ अपने चरम पर था। होता भी क्यो नही एक पिता के लिए बेहद खुशी का दिन था जब दोनों बेटे विधायक बनते ही मंत्री पद की शपथ ले रहे थे।

अब सच यही है कि लालू यादव का छोटा बेटा, जो कभी स्‍टार क्रिकेटर बनना चाहता था,अब बिहार की सबसे बड़ी पार्टी का चेहरा और एक पॉलिटिशन बन चुका है। लेकिन यहाँ भी तेजस्वी यादव बहुत दूर तलक का सफर नही कर पाये थे कि महज 9 महिने बीतते बीतते ही उनके सियासी भविष्य पर ग्रहण लगता दिख रहा है।अब तक के जीवन और सियासी सफर में उपब्धियों के विवरण तो कोई खास नही रहे उल्टा केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा एक घोटाले मे नामज़द जरूर हो गए है।

तेजस्वी यादव-अब तक सफ़रनामा

अपने बड़े भाई तेजप्रताप की तरह तेजस्‍वी का भी मन कभी पढ़ाई में नहीं लगा। देश के विख्यात स्कूल आरके पुरम स्थित दिल्‍ली पब्लिक स्‍कूल में पढ़े जरूर पर 9वीं क्‍लास से आगे नहीं बढ़ सके। इसके बाद उन्‍होंने क्रिकेट का रुख किया।तेजस्वी विकेटकीपिंग, गेंदबाजी और बल्लेबाज यानी ऑल राउंडर रहे है। महेंद्र सिंह धौनी उनके पसंदीदा क्रिकेट रहे है। थोडा बहुत बैट बल्ला चलाया तो पहले झारखंड टीम और फिर आईपीएल में खेलने का भरपूर मौका मिला मगर क्रिकेट के मैदान में भी फिसड्डी ही साबित हुए पिता का रसूख टीम में तो जोड़तोड़ कर रखवा देता था पर मैदान पर तो बल्ला ही बोलता है जो कभी नही चला।


तेजस्वी यादव के क्रिकेट प्रतिभा की बात राबड़ी देवी के सीएम बनते ही चर्चा में आ गई। फिर तो तेजस्वी दिल्ली के लिये भी अंडर-16,अंडर-19 खेले पर बल्ला कभी नही बोला यानी सिर्फ टीम का हिस्सा बने रह गए।फिर दौर आया टी-20 का तो चार सीजन यानी 2008, 2009, 2011और 2012 इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स ने उन्हें ख़रीदा था। लेकिन तेजस्वी को कभी आईपीएल में प्लेइंग एलेवन में खेलने का मौक़ा नहीं मिला। लेकिन खबर यह चर्चा में थी कि दिल्ली डेयर डेविल्स ने तेजस्वी को तीस से चालीस लाख रुपये में ख़रीदा था। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में चार टी-20 खेले, जिनमें से एक में उन्हें बल्लेोबाजी करने का मौका मिला था,लेकिन सिर्फ 3 रन ही बना सके थे। क्रिकेट खेलने के दौरान तेजस्वी महेंद्र सिंह धोनी के फैन थे और वह बाल भी उन्हीं की तरह रखते थे। तेजस्वी ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान कुल सात मैच खेले। उन्होंने फर्स्ट क्लास का एक मैच, दो लिस्ट ए मैच और चार टी-20 मैच खेले और इस दौरान उनका टॉप स्कोर 19 रन रहा  और बॉलिंग में उन्होंने 10 रन देकर 1 विकेट चटकाय।
अब आप स्वयं निर्णय ले कि इस तरह का प्रदर्शन हो तो भला कौन सी टीम तेजस्वी को प्लेयिंग इलेवन में मौका देती। खैर कहते है न “समरथ को नहीं दोष गुसाईं” इस बाबत जब लालू से जब आईपीएल में तेजस्वी के खेलने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब था कि अगर उनके लड़के को खेलने का मौका नहीं मिला तो कम से कम उसे खिलाड़ियों को पानी पिलाने का तो काम मिलेगा ही न।
आखिरकार तेजस्वी क्रिकेट में फेल हो गये, पढ़ लिखकर कुछ करने का रास्ता पहले ही बंद कर चुके थे मतलब पढ़ाई में मैट्रिक भी पास नहीं कर सके।

खैर, लालू यादव ने जब देखा कि अब कोई और रास्ता नहीं बचा तो अपनी सियासी विरासत को संभालने खातिर धीरे धीरे तेजस्वी को सियासी मंच पर ले जाने लगे और फिर एक दिन मौका देख कर जनता के सामने हाथ जोड़वा दिया कि आशीर्वाद दीजिये। फिर क्या था तेजस्वी पिता की विरासत को संभालने राजनीति में आ गये। इंतज़ार चुनाव लड़ने के उम्र की सीमा तक पहुचने का किया गया क्योंकि ये ऐसा नियम था जिसमे रसूख और पैरवी काम नही आती है। खैर,सियासत में वर्ष 2015 में वे पहली बार लालू और राबडी की विधानसभा सीट रहे राघोपुर यानी बिलकुल सेफ सीट से चुनकर विधायक बने और महज 26 साल की उम्र में ही सूबे के उपमुख्यमंत्री बन कर बिहार की सत्ता पर काबिज हो गए। पिता का रसूख यहा तक के सफर में सीढ़ी और ढाल बनकर साये की तरह मौजूद रहा लेकिन सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में पिता लालू और माँ राबड़ी देवी के साथ नामज़द होते ही तेजस्वी के सियासी भविष्य पर सवाल खड़े हो गए। साथ ही साथ उनके राजनीति में आने के महज डेढ़ साल बाद ही ऐसा बबंडर उठ खड़ा हो गया है कि राजद की भी नाव भीडगमगाने लगी है। वही सूबे की मौजूदा महागठबंधन सरकार पर भी संकट के बादल घिर गए है और कारण बने है तेजस्वी यादव और उनका मंत्री पद।

और अब बेल लेने की बारी
सीबीआई के 27 अधिकारियों की टीम ने पिछले हफ्ते लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापेमारी की और राबड़ी देवी तथा उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से घंटों पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार तेजस्वी से पटना मॉल में हिस्सेदारी से संबंधित सवाल पूछे गए।उल्लेखनीय है कि लालू परिवार पर पिछले कुछ वर्षों में करोड़ो के फ्री गिफ्ट की बरसात भी जांच के दायरे में है।इसमें भी तेजस्वी के नाम पर कई संपत्तियों की लेन-देन हुई इनकी जांच चल रही है।
पटना में लालू परिवार का जहां मॉल बन रहा है वो जमीन पार्टी नेता प्रेमचंद गुप्ता ने लालू के बेटों के नाम की है। प्रेम गुप्ता की कंपनी इस मॉल के जमीन की मालिक थी और बाद में उसने इसे लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के नाम कर दिया। इसके अलावा तेजस्वी और तेजप्रताप को चाचा और नाना से भी करोड़ों के उपहार मिले। जो जांच के दायरे में हैं। लालू की बेटी हेमा यादव और पत्नी राबड़ी देवी को उनके नौकर ललन चौधरी ने 2014 में करीब एक करोड़ रुपये की जमीन दान में दी थी। ललन के नाम से बीपीएल कार्ड भी बना हुआ है। ये भी जांच के दायरे में है।
सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अलग-अलग धाराओं के तहत एफआईआर हुई है। इनमें सेक्शन 420 (धोखाधड़ी), सेक्शन 120बी(साझा साजिश यानी कॉमन कॉन्सपिरेसी) शामिल हैं। इसके साथ ही भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम,1988 (पीसी एक्ट) की धाराओं 13(2) और 13(1) (डी) भी एफआईआर में जोड़ी गई है।

आरोपियों के नाम

जो आरोपी इस मामले में नामजद हैं उनके नाम हैं लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी प्रसाद यादव, सरला गुप्ता, विजय कोचर, विनय कोचर, लारा प्रोजेक्ट्स और आईआरसीटीसी के पूर्व महानिदेशक पीके गोयल।

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