बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

मुबारक…. नाउ इट्स ऑफिसियल प्रबोध वर्सेज प्रभाकर लेकिन नए नवेले को खुद को साबित करना बाकी है…

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पटना Live डेस्क। सूबे के पत्रकारिता जगत में पिछले कुछ घंटों से एक दौर चल रहा है। इस दौर में “प्र” शब्द का महिमा मंडन हो रहा है। वही अब तक एक बेहद सौंम्य शालीन और मीठे बोल से लबरेज अंग्रेजी में  अपनी खबरों से पूरे देश के सामने हक़ीक़त बयान करने वाले प्रभाकर कुमार को बतौर संपादक अब तक खबरों में एक सशक्त माध्यम बनकर रहे बिहार झारखंड में ताल ठोकने वाले निजी टीवी चैनल की कमान थमा दी गई है। वक्त है मुबारक़बाद और तमाम खूबियों को गिनाने का आइये हम भी ये कोरम पूरा कर दे। मुबारक़ हो प्रभाकर कुमार। क़ामयाबी की तलाश में आपके कदम सही जगहों पर पड़ेंगे इसकी उम्मीद है।

अब न चाहते हुये भी अब प्रभाकर को कुमार प्रबोध और उनकी टीम से होड़ लेनी पड़ेगी। क्योकि आप सब जानते है जीते तो सबका सहयोग और हारे तो संपादक जिम्मेदार। वैसे भी कुमार प्रबोध ने खुद को साबित किया है और लगातार इसमे सफल रहे है। साथ ही बतौर संपादक उनका अबतक का सफर निर्विवाद रूप से सफलताओं का प्रवाहकाल है। कुमार के नेतृत्व में लगतार उनका नया संस्थान उन्नति और तय  मापदंडो के इतर सफलताएं प्राप्त कर रहा है।आने वाला कल प्रभाकर के लिए कठिन परीक्षा की घड़ी साबित होने वाला है। क्षेत्रीय समाचार जगत का सबसे सशक्त नाम से इनकी खबरों की भिड़त और आगे निकलने की होड़ फिर दावों और प्रतिदावों के बीच आने वाला वक़्त बिहार की अवाम ख़ातिर बहुत शुभ होनेवाला है क्योंकि अब एक सत्ताधीश को उसके तख्त से बेदख़ल करने खातिर एक नया महाबली मैदान आ गया है। रिकॉर्ड बढ़िया है पर तारीख़ें गवाह है रिकॉर्ड अक्सर धोखा देता है। अनुभव बड़ी चीज है।

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