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खुलासा – बालू माफिया से जब्त 6 करोड़ के 23 पोकलेन पहले खाकी ने 10 लाख पर डे पर भाड़े पर चलाया फिर पुलिस ने ही बेंच दिया माफियाओं के हाथ

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पटना Live डेस्क। जोनल आईजी नैयर हसनैन खां के सख्ती ने बालू माफियाओं को कमर तोड़कर रख दिया हैं। वहीं पटना पुलिस के कुछ खाकीधारी इस विभागीय सह पुलिसिया कार्रवाई में पलीता लगाने में जुटे हैं। हद तो ये की बालु माफिया के खिलाफ जारी अभियान और छापेमारी के दौरान पुलिस द्वारा जब्त 6 करोड़ रूपये मूल्य के 23 पोकलेन को माफियाओं के हाथ बेंच दिया हैं और बालू माफिया के संग मिलकर करोड़ों की सम्पत्ति खड़ी कर ली है। सबसे बड़ी चौकानें वाली बात यह हैं की पुलिस ने एक वर्ष बाद ठीक उसी स्थान से दर्जनों पोकलेन बरामद किया लेकिन पिछली दबिश में बरामद 23 पोकलेन की खोज खबर तक लेना उचित नहीं समझा।

पटना पुलिस अपने कार्रवाई को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहीं हैं। लेकिन इस बार के खुलासा और साक्ष्य यह कर रहीं हैं की पटना पुलिस अपराधियों को सिर्फ संरक्षण ही नहीं देती बल्कि हर गलत धंधे में बढ़चढ़ कर भागीदारी भी निभाती हैं। जोनल आईजी नैयर हसनैन खां के निर्देशन पर एसएसपी पटना की टीम द्वारा बालू माफियाओं को उखाड़ फेंकने की कसम खा रहीं तो वही दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी पुलिस पदाधिकारी है जो बालू माफियाओं से मिलकर करोड़ों की सम्पत्ति बनाएं हैं। यहीं नहीं मिलकर बहुत बडा अपराध भी किया हैं।


बीते वर्ष दियारा क्षेत्र में 31 जुलाई 2016 को अवैध बालू उत्खनन पर वर्चस्व को लेकर कुख्यात शंकर सिंह उर्फ फौजी एवं उमा शंकर राय उर्फ सिपाही के बीच लगातार दो दिनों तक हजारों राउंड गोलीबारी हुई थीं। वर्चश्व की इस खूनी जंग में दो लोगों की मौत हुयी थी और कई जख्मी हुये थे। इस खबर ने पुलिस मुख्यालय को हिला कर रख दिया था। कुख्यात बालू माफियाओं से लोहा लेने के लिए खुद एसएसपी मनु महाराज ने एके 47 थामते हुये 2 अगस्त 2016 को छापेमारी किया। सभी कुख्यात बालू माफिया पुलिस के डर से भाग गये।पुलिस ने उक्त घटना स्थल, महुई महाल एवं अमनाबाद स्थित सोन घाट से 23 पोकलेन, 4 नाव बरामद किया था। साथ ही एसएसपी के नेतृत्व हुई जबरदस्त छापेमारी में दोनों गिरोह के 28 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार करते हुए और सीधे जेल भेज दिया था।


एसएसपी मनु महराज के नेतृत्व की गई इस बड़े अभियान की प्राथमिकी सहायक थानाध्यक्ष बिहटा दीपक कुमार के बयान पर कांड संख्या 529/16 दर्ज किया गया और अनुसंधानकर्ता पुलिस अवर निरीक्षक सुनीत कुमार को बनाया गया। जब्त 23 पोकलेन एवं 4 नाव को के देख भाल के लिए चौकीदारों को तैनात कर दिया गया। उक्त जब्त सभी 23 पोकलेन को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की थीं।


लेकिन जब्त 23 पोकलेन को ज़मीन खा गई या आसमान निगल गया वर्त्तमान समय किसी को नही मालूम है। साथ ही कोई भी इस बाबत कुछ भी कोई बताने को तैयार नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त कांड के अनुसंधानकर्ता सुनीत कुमार ने अपने तबादले के बाद अपने समकक्ष संजय पासी को केस का चार्ज दे दिया। वक्त बिता तो पुलिस अवर निरीक्षक संजय पासी का स्थानतरण सिगोढ़ी थाने में कर दिया गया।

अपने ट्रांसफर के बाद जब संजय पासी अन्य अधिकारी को चार्ज देने लगें तो यह खुलासा हुआ की जब्त 23 पोकलेन तो गायब हो गये है। वही स्थानीय पुलिस से जुड़े सुत्र बताते हैं की सभी जब्त 23 पोकलेन जिसका बाजार मूल्य 6 करोड़ बताया जाता है को बालू माफियाओं के हाथ ही बेंच दिया गया। इस घोटाले में इसमें संबंधित अनुसंधानकर्ता की भूमिका संदिग्ध हैं। इसका प्रमाण यह हैं की आज तक जब्त पोकलेन मामले में पुलिस ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया हैं। यहीं नहीं जब्त पोकलेन को कुछ माह तक बालू माफियाओं से मिलकर प्रतिदिन 10 लाख रूपये भाड़ा पर चलाया भी गया और करोड़ों की सम्पत्ति खड़ी कर ली गई हैं। साथ ही पटना में फ्लैट भी बालू माफिया ने गिफ्ट के तौर पर दिया हैं।


अब देखना यह होगा की जोनल आईजी नैयर हसनैन खां एवं पटना के एसएसपी मनु महाराज संबंधित दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर क्या कार्रवाई करते हैं? चुकी कोर्ट भी जब्त 23 पोकलेन की मामले के दौरान आज नही तो कल खोज करेंगी?तो क्या जबाब होगा ?

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