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बड़ी खबर – पटना के दुल्हिन बाजार थानाध्यक्ष की सजगता ने एक अज्ञात लाश की शिनाख्त ने खोला राज़,ऑनर किलिंग का पर्दाफाश एसएसपी करेंगे पुरस्कृत

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पटना Live डेस्क। एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में पटना पुलिस ने ऑपरेशन विश्वास के तहत एक बेहद अहम कामयाबी हासिल की है।पटना के दुल्हिन बाजार थानाध्यक्ष की सजगता ने एक अज्ञात लाश की न केवल शिनाख्त की बल्कि ऑनर किलिंग के इस पूरे हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए आरोपी हत्यारों को धर दबोचा है। इस बेहद सनसनीखेज और शांतिर तरीके से अंजाम दिए गए ऑनर किलिंग का पर्दाफाश करने पर एसएसपी काण्ड उद्भेदन में शामिल सभी को पुरस्कृत करेंगे।।         हत्याकांड का सच

इस बेहद खौफ़नाक और बेहद क्रूरतम हत्याकांड का सच आपको खौफज़दा कर सकता है कि कैसे एक पिता अपनी झूठी आन बान शान ख़ातिर अपनी ही बेटी की निर्मम हत्या की साज़िश रचता और इसमें कामयाब हो जाता है। लेकिन कहते है न कानून के हाथ बड़े लंबे होते है। घटना की पृष्ठभूमि मोहब्बत और मौत से जुफी है। विगत 1 दिसंबर को पटना के दुल्हिन बाजार थाना क्षेत्र के झब्बू गांव में अंजाम दिए गए इस हत्याकांड की भनक थानेदार रंजीत कुमार को अपने सूत्रो के माध्यम से लगी। फिर क्या था मामले का एक सूत्र क्या मिला युवा थानेदार ने मामले के उद्भेदन ख़ातिर ऐड़ी चोटी एक कार दिया। सर्वप्रथम अपने वरीय अधिकारियों को इसकी जानकारी देते हुए उचित मार्गदर्शन लिया और भी मक़तूल के घर पता को ढूढ़ निकाला। ऑनर किलिंग की शिकार लड़की मूल रूप से जहानाबाद जिले के कड़ौना थाना के तहत मोकर गांव की रहने वाली थी।

दुल्हिन बाजार थानाध्यक्ष को मिली थी जानकारी

मक़तूल पल्लवी की हत्या 1 दिसंबर की रात में झब्बू गांव में बेहद निर्मम ढंग से की गई थी। थानेदार को मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन रात 9 बजे के आसपास पल्लवी को लेकर उसका कांट्रैक्टर पिता शंकर सिंह स्कॉर्पियो से आया था। घटना के वक्क्त गाड़ी में शंकर और पल्लवी के अलावे कुल परिजन सवार थे। काण्ड में सहभागी रहे झब्बू गांव के ही कमलेश बिन्द और टुनू नट ने शंकर सिंह की मदद की और पल्लवी का पहले तो नायलन की रस्सी से गला घोट दिया और फिर अपने गुनाह को छुपाने ख़ातिर शव को प्लास्टिक में बालू भर उसी नायलन की रस्सी से ही जिससे उसका गला घोंटा गया था से बांध कर पुनपुन नदी में फेंक दिया था। बालू भरने के पीछे का कारण शव को नदी तल में सदा के लिए गर्त करने की कोशिश थी, ताकि इनका यह गुनाह दुनिया के सामने न आ सके।  

वो तीसरी आंख जिसने खोल राज़   लेकिन कहते है हर गुनाह कही न कही दर्ज होता और कोई न कोई उसका चश्मदीद बन ही जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ इस क्रूरतम हत्याकांड में जब अपने गुनाह को दुनिया की नज़रों से छुपाने ख़ातिर शंकर सिंह और उसके साथियों ने रात के अंधेरे में पल्लवी की हत्या कर शव को पुनपुन के अथाह जल में दफन करने की हरकतों को गांव के ही रहने वाले एक शख्स ने देख लिया था। चुकी थानेदार अपने क्षेत्र में आम लोगो के बीच बेहद मकबूल है। उस तीसरी आंख ने बिना हिचक के अपना रुख थाने की ओर किया और फिर दुल्हिन बाजार थाना पहुचकर थानेदार रंजीत से मिलकर पूरे मामले की जानकारी उन से साझा कर दिया। फिर क्या था किसी को मारकर फेंकने के लिए कुछ लोग स्कॉर्पियो से आए थे और शव फेंककर फरार हो गए जानकर थानेदार ने एक बिल्कुल ब्लाइंड केस के अनुसन्धान का जिम्मा लिया और इस बात से बिल्कुल बेखबर की शव किसका है? महिला या पुरुष?सवाल का जवाब ढूढने की रणनीति पर अमल करना शुरू किया।चुकी मामला गंभीर था थानेदार ने मामले के उद्भेदन ख़ातिर वरीय पुलिस अधीक्षक मनु महाराज को मामले की जानकारी दी। फिर क्या था एसएसपी ने पालीगंज के एसडीपीओ मनोज कुमार पांडेय और दुल्हिन बाजार थाना के एसएचओ रंजीत की टीम को मामले के उद्भेदन क जिम्मेदारी देते हुए जरूरी दिशा निर्देश दिया। इस टीम ने जबरदस्त तरीके से मामले की हर कड़ी को जोड़ते हुए।फिर क्या था,अगले दिन यानी 2 दिसंबर से मामले की गहनता से जांच करनी शुरू की और सर्वप्रथम पुख्ता नेटवर्क के आधा पर पुलिस टीम ने सबसे पहले झब्बू गांव के संदिग्धों की रेकी और घटना वाली रात को उनकी लोकेशन को खंगालना शुरू किया तो यह बात सामने आई कि एक दिसंबर की रात बेहद एक्टिव था और लागतार इलाके में घूमता दिखा। फिर क्या था कमलेश बिन्द को धर दबोचा तो कड़िया आपस मे जुड़ने लगी। कमलेश ने पहले तो पुलिस टीम को काफी देर तक इधर उधर घुमाया पर जैसे ही पुलिस ने अपना असली तेवर दिखाया तोते के मानिंद मामले का सच बयान कर दिया। और फिर पूरे मामले का इसने खुलासा कर दिया। अब कड़िया जुड़ने लगी थी। सच सामने आ चुका था। लेकिन शव अब भी पुनपुन नदी में था।                                             गिरफ्तार कमलेश ने खोले राज़ वही पुलिस की पूछताछ में कमलेश ने जो कहानी बयान की वो कुछ यूं है। मकतूल पल्लवी के पिता शंकर सिंह से कमलेश की पुरानी जा पहचान थी। चुकी कांट्रैक्टर होने के कारण शंकर सिंह को मजदूरों की हमेशा जरूरत पड़ती थी। कमलेश उनको अक्सर मजदूरों की सप्लाई करता था। थानेदार को पूछताछ में कमलेश ने बताया कि घटना वाले दिन यानी एक दिसम्बर को आने से पहले शंकर ने दो मजदूर की मांग की थी। मोबाइल पर उसने बताया था कि एक लाश को ठिकाने लगाना है। तय कार्यक्रम के अनुसार शंकर सिंह रात्रि तकरीबन साढ़े सात बजे के आस वास झब्बू गांव पहुचा। स्कोर्पियो में उसवक्त लड़की के साथ एक अन्य महिला भी मौजूद थी। कुल 4 लोग वाहन में थे।
बात शव को ठिकाने लगाने की थी, लेकिन कमलेश और उसके साथी टुन्नू ने जब शव की जगह जिंदा लोगो को देखा तो दोनों के होश उड़ गया। इस बाबत शंकर ने उन्हें शंकर ने इन्हें बताया था कि लड़की उसकी बेटी है। एक लड़के से उसकी बेटी का अफेयर है। उसकी बेटी के पेट मे आठ महीने का गर्भ है। इस कारण पूरे इलाके में उसकी बदनामी हो रही है।बदनामी की वजह से अब उसने सोच लिया है कि बेटी की हत्या कर देगा। फिर क्या था सभी ने मिलकर पल्लवी को घेर लिया और फिर शंकर के कहने पर गला दबाकर हत्या कर दी गई। हत्या को अंजाम देकर और शव को ठिकाने लगाने के बाद शंकर ने दोनों को एक एक हजार रुपए कमलेश और टुनू को दिए और फिर रात के अंधेरे में बेटी के हत्याकांड को अंजाम दिलवाकर निकल गया।

 

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