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BiG News (वीडियो) पटना में “पारस का पाप” एक बार फिर फूटा, 8 लाख रुपये पेमेंट के बाद भी दर्द से तड़पते हुए महिला की हुई मौत, परिजनों का गंभीर आरोप

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पटना Live डेस्क। सूबे के अस्पतालों में मरीज़ों से अनाप शनाप पैसे की उगाही करने प्रकरण लगातार मीडिया की सुर्खियां बनते रहते है।इसी क्रम में  राजधानी पटना के एक निजी अस्पताल पर फिर एक बार बेहद संगीन आरोप लगे है। यह वही अस्पताल है जिसका खौफ़नाक चेहरा 17 अगस्त 2016 को वायरल हुआ था जब अस्पताल के डॉक्टर मौत के बाद भी एक वृद्ध महिला का इलाज करते रहे थे। मामले का खुलासा तब हुआ था जब मृतका की बेटी ने एक वीडियो शूट कर वायरल कर दिया था। ताजा वाकये में भी इस फाइव स्टार अस्पताल पर बेहद संगीन आरोप लगे है।

क्या है मामला ..

राजधानी पटना के फाइव स्टार निजी अस्पताल पारस अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। ईलाज के लिए नही बल्कि घातक लापरवाही के लिए जिससे मरीज की मौत हो गई है।दरअसल सिपारा के रहने वाले अविनाश अपने माँ का इलाज करवाने 30 अप्रैल को अस्पताल पहुँचा तो डॉक्टरों ने सर्जरी करने की बात कही और एडमिट कर लिया गया और 8 लाख रुपये अभी तक ले लिए गए है।
माधुरी देवी अविनाश की माँ की तबियत रात से ही खराब हो गई थी अविनाश ने डॉक्टर बुलाने की मांग करता रहा लेकिन दस बजे तक कोई डॉक्टर नही आया और दर्द से कराह रही महिला की मौत हो गई। महिला की मौत के बाद जमकर हंगमा हो रहा है।
बताया जाता है कि महिला इलाज 30 अप्रैल को करवाने आई थी लेकिन इलाज में घातक कोताही बरती गई और 8 लाख रुपये वसूल लिए गए। लेकिन महिला की मौत के बाद परिजन हंगामा कर रहे है अविनाश ने बताया कि पैसे भी ले लिए गया और इलाज भी नही हुआ डॉक्टर यहाँ रहते ही नही सिर्फ गार्ड और बाउंसर ज्यादा है।इस अस्पताल में पूरे मामले में  शास्त्रीनगर थाना प्रभारी ने बताया कि जाँच कर जानकारी देंगे यह कोई पहला मामला नही जब इस अस्पताल में हंगमा बरपा हो।

17 अगस्त वर्ष 2016 को पारस का घिनौना सच हुआ तह उजागर

ये कोई पहला वाक्य नही जब इस पांच सितारा अस्पताल पर घिनौना आरोप लगा है। पूर्व में भी इस अस्पताल पर 17 अगस्त वर्ष 2016 को पारस का घिनौना सच उस वक्त उजागर हो गया था जब एक मेडिकल छात्र ने अपनी माँ को ICU में मौत के बाद भी रखकर पैसा उगाहने का वीडियो वायरल कर दिया था।
दरअसल सीतामढ़ी जिले के सिमरा गांव की 62 वर्षीय शैल देवी को इलाज के लिए पारस अस्पताल में 6 अगस्त को भर्ती कराया गया था। अस्पताल में 14 अगस्त तक शैल देवी को एडमिट रखा गया।14 अगस्त को उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। फिर शैल देवी चेकअप के लिए 15 अगस्त को वापस अस्पताल पहुंची थी। इस बार उन्हें यह कहकर भर्ती किया गया था कि उनकी हालत बेहद चिंताजनक हो गई।आईसीयू में ले जाने के बाद मिलने पर रोक               शैल देवी के बेटे प्रवीण चंद्र का आरोप था कि हालत को चिंताजनक बताकर उनकी मां को आईसीयू में भर्ती करवाया गया और फिर मिलने पर रोक लगा दी गई थी। प्रवीण कहते हैं, ‘मरीज की हालत पूछने पर डॉक्टर सिर्फ बहाना बनाते रहे और कई तरह की बीमारी होने की बात करते रहे।’ इस बीच अचानक शीला देवी की बेटी जबरन आईसीयू में चली गई तो पाया कि मानीटर पर पल्स रेट और हार्टबीट जीरो था। बावजूद इसके डॉक्टर बेवजह उसका इलाज करते रहे थे।

धोखाधड़ी का केस दर्ज

प्रवीण ने बताया कि जब उन्होंने इस बाबत डॉक्टरों से बात की तो पूरी टीम उनसे उलझ गई।।प्रवीण चंद्र का आरोप रहा था कि उनकी मां की मौत हो चुकी थी उसके बाबजूद पारस अस्पताल प्रबंधन उनके शव को सुपुर्द करने के बजाय उनका इलाज करती रही।प्रवीण ने इस बाबत शास्त्रीनगर थाना में पारस अस्पताल प्रबंधन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया हुआ है। टैब पटना के एसएसपी मनु महाराज ने कहा था कि अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और जांच की जा रही है।

मरीज के बारे में पल-पल दी जानकारी

दूसरी ओर तब पारस अस्पताल के अतिरिक्त मेडिकल सुपरिटेन्डेंट डॉ.शैयद आसिफ रहमान ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने कहा कि मरीज के हालत के बारे में पल-पल उनके बेटे प्रवीण चंद्र को जानकारी दी जाती रही।उन्होंने कहा कि प्रवीण चंद्र ने अस्पताल के कई फॉर्म पर उसको पढ़कर और समझकर हस्ताक्षर भी किया।
डॉ. शैयद आसिफ रहमान ने कहा कि जहां तक मौत के बाद भी इलाज करने की बात है, तो मौत के बाद सिर्फ पंपिग की जा रही थी।उन्होंने कहा कि पारस अस्पताल की मंशा ना कभी इस तरह की रही है और ना ही होगी।

लेकिन तमाम सफाइयों और दावो के उलट पटना के इस पांच सितारा हॉस्पिटल पर लगातार बारंबार और अबतक कई बार मरीजों के परिजनों के साथ बेहद गलत व्यवहार, लाखो रुपये की अवैध वसूली और गुंडागर्दी के संगीन आरोप लगते रहे है और लग रहे है। मरीज के परिजन तो कहते है कि पारस हॉस्पिटल में  डॉक्टर तो यहाँ मौजूद रहते ही नही सिर्फ गार्ड और बाउंसर ज्यादा रहते है। ताकि खौफ का माहौल बनाकर वसूली की जा सके।

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