बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

Super EXclusive – जानिए कहा है बिहार में खूंखार और दुःसाहसी “किलर्स की नर्सरी” जहां कमउम्र लड़को को बनाया जाता है दुर्दांत हत्यारा 

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पटना Live डेस्क। बिहार के बेतिया कोर्ट में पेशी के दौरान 11 मई 2017 को उत्तर बिहार व पड़ोसी देश नेपाल के सबसे कुख्यात गंगेस्टरों में शुमार रहे बबलू दुबे को सरेआम गोलियों से भून दिया गया। ठीक ऐसे ही यानी जिस तरीके से गोलियों से कुख्यात बबलू दुबे को कोर्ट परिसर में गोलियों से छलनी कर दिया गया, बिल्कुल ठीक इसी तरीके से उत्तर बिहार के सबसे कुख्यात गैंगेस्टर और दो दो इंजीनियरों की रंगदारी ख़ातिर हत्याकांड को अंजाम दिलाकर कर तात्कालिक नीतीश की सुशासन सरकार की चूले हिला देने वाले कुख्यात संतोष झा को मंगलवार के दिन यानी 28 अगस्त को 2018 को सीतामढ़ी कोर्ट में सरेआम ठोक दिया गया यानी मौत के घाट उतार दिया गया।
आप सोच रहे होंगे आखिर इन दोनों कुख्यातो की हत्या का उल्लेख यहाँ क्यो किया जा रहा है। दरअसल इन दोनों कुख्यात सरगनाओं के हत्यारो के तार एक ही जगह से जुड़े हुए है। वो जगह है बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित पर्यवेक्षण गृह  पूर्वी चंपारण। कहने को तो ये समाज के भटके हुए बच्चो के लिए सुधार गृह है। पर यह वर्षो पहले किशोरों की जरायम की पाठशाला में तब्दील हो चुका है पर सरकार की उदासीनता ने अब इसे बिहार में खूंखार और दुःसाहसी “किलर्स की नर्सरी” बना दिया है। जहां कमउम्र लड़को को कुख्यात सरगनाओं की सरपरस्ती में सुधार गृह में किशोरों को ट्रेनिंग देकर दुर्दांत हत्यारा बना दिया जा रहा है। क्योकि यहाँ न तो कोई व्यवस्था है न ही कोई नियम कानून जो कर्मचारी है वो चंद पैसों ख़ातिर इन्हें खुल्ला छोड़ देते है।

वही, मोतिहारी से लगातार बाल बंदी भागने का लंबा इतिहास रहा है। इन्हें रोकने की तथाकथित प्रयास या व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है। हालात ये है कि यहाँ बाल दबंग कैदियों की अपनी सल्तनत है। यानी उनकी मर्जी के आगे कोई नियम कानून नही चलता। यहां रोजाना बवाल होना तय है, तोड़फोड़ और किशोर अपराधी गुटों में भिड़ंत तो दिनचर्या में शामिल है। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने इसको बखूबी देखा है।
सुधार गृह नही जरायम की पाठशाला                                     बिहार के जिलों में स्थित सुधार गृह जिन्हें हम अमूमन रिमांड होम कहते है किशोरों के लिए जरायम की पाठशाला बन गए हैं। किशोर यहां सुधरने की बजाय बड़े अपराधी बनकर निकल रहे हैं। दरअसल कम उम्र   में ही बड़े कुख्यात गिरोहबाजों की इन किशोरों पर नज़र पड़ती तो वो इन्हें अपने गैंग में शामिल होने का ऑफर देते रहते हैं। पैसे और रसूख़ के बल पर इनको अच्छा खाना कपड़ा और मोबाइल इत्यादि देकर रिमांड होम में ही इनकी दबंगई को परवान चढ़ाते है। कम उम्र में पैसे का चस्का और हथियारों की उपलब्धि इन्हें दुर्दांत हत्यारा बनने में सहायता देती है। और फिर धीरे धीरे गिरोह द्वारा इस कमउम्र दुःसाहसियों को अपनी मर्जी से बड़ी गैंगवार में दुश्मनों के खात्मे के लिए इस्तेमाल करते है। ठीक ऐसा ही कुछ मोतिहारी सुधार गृह में इसकी पहली दस्तक 11 मई 2017 को सुनी गई जब इस पर्यवेक्षण गृह के दो किशोर अपराधियों ने कुख्यात बबलू दुबे को बेतिया कोर्ट में जाकर दिनदहाड़े छलनी कर दिया और फिर वापस आकर चुपचाप रिमांड होम में प्रवेश कर गए। आज इन्ही में से एक लड़का 50 हजार का इनामी बनकर पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका है।

बबलू दुबे हत्याकांड                          11 मई 2017 को बेतिया कोर्ट परिसर में हुई कुख्यात गैंगेस्टर बबलू दुबे की हत्या की साजिश को अंजाम देने के लिए ही पीपराकोठी थानाक्षेत्र के कुड़िया बंगरी गांव निवासी कुणाल सिंह को कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस अभिरक्षा से भगाया गया था। इसके बाद हत्या की साजिश को अंजाम देने के लिए एक टीम बनाई गई। लोगों को संदेह नहीं हो और कोर्ट जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर किसी की पहचान नहीं हो सके,इसके लिए मोतिहारी पर्यवेक्षण गृह के दो किशोर अपराधियों को सुधार गृह से 10 मई 2017 अपाचे और एक अन्य बाइक पर बाल सुधार गृह से सुमन सौरभ,सुरज मेहता उर्फ मुन्ना को सुधार गृह से निकाला और घटना को अंजाम देने के लिए सीधे बेतिया ले जाया गया। रात में पहुंचने के साथ शहर भ्रमण किया और रात्रि विश्राम के बाद सुबह जगने के साथ तैयार हुए। घटनास्थल की रेकी की और जैसे बबलू दुबे पेशी के बाद लौट रहा था, कोर्ट परिसर में ही उसे गोलियों से भून दिया।

कुख्यात बबलू दुबे की हत्या करने से बड़े से बड़ा अपराधी भी सौ बार सोचता उसे मोतिहारी पर्यवेक्षण गृह के 2 किशोर बन्दियों सुमन और सूरज ने बेधड़क बेतिया कोर्ट में छलनी कर दिया था। इस बात का खुलासा महज 4 दिनों के अंदर तात्कालिक एसपी विनय कुमार ने किया था। बकौल आईपीएस विनय कुमार के एसपी विनय कुमार ने बताया कि हत्या के बाद शुरुआत में ही कुछ सुराग मिले थे। घटनास्थल से मिले मोबाइल और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बहुत कुछ तो तत्काल ही स्पष्ट हो गया था।।लेकिन पुलिस पूरी तरह से सबकुछ तसल्ली कर लेना चाहती थी ताकि अपराधियों को पकड़ने में कहीं कोई चूक न हो जाए। एसपी ने बताया कि जब सारी कड़ियों को एक दूसरे से मिलाया गया तो चौंकाने वाले कुछ तथ्य सामने आए  दरअसल बबलू दूबे की हत्या में मोतिहारी किशोर सुधार गृह में रह रहे एक लड़के सूरज मेहता का नाम सामने आया है,जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया।
दरअसल, बेतिया में कुख्यात बबलू दुबे की हत्या के बाद सूरज वापस मोतिहारी सुधार गृह पहुंचा। इधर पुलिस की दबिश भी सुधार गृह की ओर बढ़ती जा रही थी। पुलिस की इस बढ़ती हलचल से सूरज को कोई खास फर्क नहीं पड़ा। लेकिन सुधार गृह में रह रहे कुछ अन्य लोगों को बबलू दूबे की मौत से गहरा सदमा लगा था और उसकी मौत की खबर सुन कुछ लोग तो रोने भी लगे थे।इस बात को देखकर सूरज काफी सोच में पड़ गया था।उसे लगने लगा था कि आने वाले समय में कहीं ये लोग ही इस बात का खुलासा न कर दें कि बबलू दूबे की हत्या में वह भी शामिल था।                                         
लिहाजा डर कर वह हत्या के दो दिन बाद सुधार गृह से भाग निकला और जाकर अपने घर छुप गया। पुलिस ने उसे उसके घर से ही गिरफ्तार कर लिया।गिरफ्तारी के बाद सूरज ने बताया था कि पहली गोली सुमन सौरभ ने चलाई और अंत की दो गोलियां मैंने ने मारी। इस घटना को अंजाम देकर वे भीड़ का हिस्सा बन गए और फिर फरार हो गए।

तब था रिमांड होम में अब है 50 हजार का ईनामी 

जैसे समेत सूबे के कई नामवर और खूंखार बदमाश किशोरावस्था में सुधार गृह से निकले है। लेकिन मोतिहारी सुधार गृह की बात करे तो बबलू दुबे हत्या कांड को अंजाम देने वाला यहाँ का बाल कैदी रहा सुमन सौरभ वर्त्तमान में 50 हजार का ईनामी बन चुका है। जैसे समेत सूबे के कई नामवर और खूंखार बदमाश किशोरावस्था में सुधार गृह से निकले है। लेकिन सुमन सौरभ ने रिमांड होम से निकलकर 11 मई 2017 को बेतिया कोर्ट में बबलू दुबे की हत्या करने के बाद से बड़ी तेजी से अपराध जगत में अपनी पैठ बनाई है। जब पुलिस उसे बबलू दुबे हत्याकांड में तलाश रही थी सुमन ने सुपारी लेकर मोतिहारी में 25 नवम्बर 2017 को ज्ञान बाबू चौक के समीप स्थित चाय की दुकान पर कांग्रेस नेता मुनमुन जायसवाल के पुत्र छोटू जायसवाल की हत्या कर दी गई और फरार हो गया। सीसीटीवी फुटेज में उसके हत्याकांड में शामिल होने की तस्दीक हुई थी वो व्हाइट कलर की अपाचे बाइक पर अपने साथी सिगरेट के साथ पीछे बैठा था। इस कांड के बाद वो लंबे समय तक गायब रहा और पुलिस और उसके बीच चूहे बिल्ली का खेल जारी रहा पर पुनः एक 28 जुलाई की रात को  मोतिहारी शहर में सुमन सौरभ की  मौजूदगी जोरदार अहसास हुआ जब सुमन अपनी।प्रेमिका से मिलने उसके घर पहुचा, इसी बीच लड़की का दूसरा आशिक सुमन माधव उर्फ गुडलक भी उसके घर पहुंच गया। जहां गुडलक की सुमन से झड़प हो गयी लिहाजा सुमन सौरभ ने अपने पास रखे पिस्टल से गोली चला दी जो गुडलक के सीने और कंधे में लगी। बाद में इलाज के दौरान युवक ने पटना में दमतोड़ दिया। बेतिया में बबलू दुबे की हत्या व मोतिहारी शहर में छोटू जायसवाल की हत्या को दोनों जिले की पुलिस ने चुनौती के रूप मेंं लिया था। दोनों कांड में पुलिस को सफलताएं भी मिलीं, लेकिन हत्या में शामिल 50 हजार का ईनामी शातिर शूटर सुमन सौरभ को पुलिस नही पकड़ पायी और उसने तीसरी हत्या कर दी और फरार हो गया है।

फिर वही मोतिहारी पर्यवेक्षण गृह

28 अगस्त को कत्ल कर दिए गए संतोष झा की हत्या में भी मोतिहारी पर्यवेक्षण गृह के इनमेट आर्यन उर्फ शक़ील अख्तर की सलिप्तत उजागर होने के बाद से बिहार सरकार के कल्याण विभाग की उदासीनता और लापरवाही की एक और करतुत उजागर हो गया है। यानी रिमांड होम बिहार में खूंखार और दुःसाहसी “किलर्स की नर्सरी” बन चुके है जहां कमउम्र लड़को को दुर्दांत हत्यारा बनाया जा रहा है।

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