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लालू की 27 अगस्त की रैली से बड़ी पार्टियों के दिग्गजों ने किया किनारा, तो लालू को मिला शरद यादव का सहारा

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पटना Live डेस्क. जिस उम्मीद से लालू प्रसाद ने ‘भाजपा भगाओ’ रैली का आयोजन किया था वो उम्मीदें अब धाराशाई होती नजर आ रही हैं. तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को छोड़ कोई भी बड़े दल का नेता लालू की इस रैली में शामिल नहीं हो रहा. लालू प्रसाद को कांग्रेस और मायावती से बड़ी आशा थी लेकिन दोनों ने रैली में भाग लेने से इनकार कर दिया है. मायावती को अपने पाले में लाने के लिए लालू प्रसाद ने उनके राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजेने का ऑफर भी किया था लेकिन लगता है कि मायावती ने लालू के इस ऑफर को सिरे से खारिज कर दिया है. मायावती का लालू प्रसाद की रैली में हिस्सा नहीं लेना यह साबित करता है कि वो राजनीतिक कारणों से लालू के साथ मंच शेयर करना नहीं चाहती. मायावती और सोनिया गांधी के रैली में नहीं आने से लालू की रणनीति को गहरा झटका लगा है. लालू इस रैली की मदद से लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच खुद को मजबूत करने की कोशिश में थे. वहीं वो इसके बहाने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के दावे को मजबूत करना चाहते थे. लेकिन इन दोनों कद्दावर नेताओं के रैली में हिस्सा नहीं लेने से लालू प्रसाद की तैयारियों पर इसका झटका जरूर लगेगा.

लेकिन दिग्गजों का साथ छूटने के साथ ही लालू को एक मजबूत डोर मिली है शरद यादव की जो रैली का हिस्सा होंगे और लालू के सुर में सुर मिलाएंगे. हालांकि इसका खामियाजा शरद यादव को उठाना पड़ेगा. लेकिन इसको नकारते हुए शरद यादव अब लालू की रैली में शामिल होंगे. इसका एलान आज जदयू के निलंबित सांसद अली अनवर ने किया है.

जिस वक्त लालू ने रैली का एलान किया था,उस वक्त उनमें आत्मविश्वास झलक रहा था, क्योंकि बिहार में राजद जदयू और कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन भ्रष्टाचार में घिरे लालू परिवार से अपना किनारा करते हुए जदयू ने महागठबंधन तोड़ दिया और बीजेपी के समर्थन से बिहार में सरकार बना ली.

इससे लालू को गहरा धक्का लगा और उसके बाद लालू लगातार नीतीश कुमार और बीजेपी पर जुबानी हमला कर रहे हैं और अपनी रैली का प्रचार-प्रसार कर लोगों की भीड़ जुटाने में लगे हैं. लोगों की भीड़ जुटे ना जुटे लेकिन अब लालू की रैली से तमाम दिग्गज नेताओं ने दूरी बना ली है.

लालू अपनी इस रैली के माध्यम से बिहार में राजद की सियासी जमीन को बचाने में लगे हैं, लेकिन महागठबंधन का हिस्सा रही कांग्रेस के बड़े नेताओं के नहीं आने से मायूसी जरूर होगी. लालू ने खुद बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस रैली में शामिल नहीं होगी. लेकिन कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद और सीपी जोशी सोनिया का संदेश लेकर आएंगे.

वैसे लालू और उनका परिवार 27 अगस्त को विपक्षी एकता को दिखाने की पूरी तैयारी में लगा है. उल्लेखनीय है कि लालू सार्वजनिक मंच से मायावती को राज्यसभा भेजने की बात कह चुके हैं, इसके बावजूद मायावती का राजद की रैली में शामिल न होना बताता है कि राजनीतिक सौदेबाजी में अभी सही मूल्यांकन का सबको इंतजार है. हालांकि, मायावती ने रैली में सतीश मिश्रा को भेजने का फैसला किया है.

लालू के लिए जदयू में फूट को मजबूती देने के लिए शरद यादव बड़ा सहारा हैं लेकिन जब तमाम बड़े दिग्गजों ने रैली से किनारा कर लिया है तो उनके लिए भी हां करना मुश्किल था लेकिन इसे दरकिनार कर शरद ने रैली में आने की हामी भर दी है, भले ही शरद यादव को जदयू पार्टी से निकाल दे शरद लालू का साथ देंगे.

जदयू की मानें तो यह भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार के समर्थन में रैली हो रही है. जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि रैली में वही शामिल होंगे जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद के संरक्षक हैं. ऐसे बयान के बाद वही लोग आएंगे जो भ्रष्टाचार के पक्षधर हैं, यह एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है जदयू ने, जिससे हर कोई कन्नी काट रहा है.

अब लालू के लिए अपनी रैली के लिए जिन बड़े चेहरों की तलाश थी उन्होंने अभी किनारा कर लिया है. एक ओर बिहार बाढ़ की विभीषिका झेल रहा है तो वहीं कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं तो ऐसे में लालू की रैली के लिए भीड़ भी शायद ही इकट्ठी हो सके. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग अभी खुद ही रोटी-पानी को लेकर परेशान हैं तो ऐसे में रैली में कैसे आ सकेंगे?

 

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