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Exclusive(ब्रेकिंग)-नीतीश और सुशील के शपथ लेते ही उस पर गिरी गाज छीन गया कैबिनेट मंत्री का ताज़,सदमे में है जीत के शिल्पकार

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पटना Live डेस्क। बिहार में हुए सियासी उठापटक का सबसे बड़ा भक्त भोगी कौन है ? यह सवाल हम सब के मन मे हिलोरे मार रहा है। लेकिन जो इस उलटफेर में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। साथ ही उसकी हालत कुछ यूं बन गई है कि “माया मिली न राम उल्टा कैबिनेट मंत्री पद भी छीन लिया गया”। हद तो ये देखिये सब कुछ खोकर अपनी मेहनत की लंका लग जाने के बाद भी उसने फ़ोन पर बधाई दी और भविष्य में साथ खड़े रहने का वायदा भी किया है। खैर, ये जो सियासत है।सभावनाओं का तिलिस्म है।

                          बात सूबा-ए -बिहार की सियासत घटित अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन को छोड़, बीजेपी से हाथ मिलाया तो यह सिर्फ लालू प्रसाद यादव के लिए नहीं,बल्कि उस शख्स के लिए भी तगड़ा झटका था जिन्हें महागठबंधन का शिल्पकार माना जाता है। न केवल राजद और कॉन्ग्रेस ही सत्ता से बेदखल हुआ बल्कि सबसे बड़ा झटका तो लगा इस शख्स को। 20 महीने के बाद बुधवार रात को कुछ घंटों में ही जिस तरह महागठबंधन बिखरा इस इंसान के लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं था। नीतीश के पाला बदलने के साथ ही प्रशांत को मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी उनसे छिन गया है।
जी हां है बात कर रहे है पीके और तथाकथित रूप से चुनावी चमत्कार करने वाले प्रशांत किशोर है। प्रशांत किशोर के बाबत यह दावा किया जाता है कि पीके ही वह शख्स हैं जिन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महीनों की मेहनत के बाद महागठबंधन का फार्म्युला तैयार किया था और उसे बड़ी जीत दिलाई थी।साथ ही 2014 के जेनेरल इलेक्शन में बीजेपी के लिए काम करने वाले प्रशांत किशोर ही 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंद्वी लालू और नीतीश को साथ लाए थे और महागठबंधन की चुनावी रणनीतियों को बहुत ही बारीकी से तैयार किया था।


चुनावी भाषणों से लेकर प्रचार सामग्री की भाषा और रंग तक यानी सब कुछ प्रशांत ने तय किया था। चुनावी चौसर पर प्रशांत ने लालू-नीतीश की जोड़ी के साथ ऐसी चाल चली कि मोदी और शाह का हर दांव फेल रहा और महागठबंधन को भारी जीत हासिल हुई।

वर्त्तमान में पीके इस वक्त दक्षिण भारत में किसी काम में व्यस्त हैं। हालांकि उन्होंने बिहार के इस नाटकीय घटनाक्रम पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके कुछ करीबी लोगों ने बताया कि वह इससे निराश हैं।फिर भी उन्होंने नीतीश को फोन कर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। दोनों के बीच हुई बातचीत छोटी थी,लेकिन इसमें बेरुखी कहीं नहीं थी। प्रशांत के एक करीबी विश्वासपात्र ने बताया, ‘नीतीश ने उन्हें कहा कि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था और उनके लिए आरजेडी के साथ करना संभव नहीं रह गया था। अपनी नीतियों और आदर्शों के इतर उनका महागठबधंन में बने रहना सही नही थी।
वही पीके के करीबी सहयोगी ने यह भी कहा कि कड़ी मेहनत से हासिल हुई जीत को जिस तरह से नीतीश ने बीजेपी के हाथों में सौंप दिया,प्रशांत उससे काफी निराश हुए। उन्होंने कहा, ‘नीतीश 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार हो सकते थे।’ लेकिन इस समर्पण ने भविष्य को कुंद कर दिया है।

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