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नवरुणा को न्याय – पांच साल बाद नवरुणा हत्याकांड में हुई पहली गिरफ्तारी, सीबीआई ने साढ़े तीन साल बाद जगाई उम्मीद,खुलेगा राज़? अब क्या पूर्व विधायक की बारी?

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पटना Live डेस्क। बिहार में अबतक के सबसे हाई प्रोफाइल अनसुलझे मामलों में से एक मुजफ्फरपुर  में वर्ष 2012 में हुए नवरुणा हत्याकांड में सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए तकरीबन पांच साल पुराने मामले में साढ़े 3साल से मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की है। उनकी गिरफ्तारी पटना के सीबीआइ दफ्तर में पूछताछ के बाद की गई।पहले उन्‍हें सीबीआइ ने पूछ ताछ के लिए हिरासत मे लिया था।कांड के आइओ कुमार रौनक ने राकेश कुमार सिन्हा की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। हालांकि,पार्षद की गिरफ्तारी के बाबत और कुछ बताने से इन्कार कर दिया है।

                  उल्लेखनीय है कि पप्पू को हिरासत में लेने के लिए सीबीआइ की विशेष टीम रविवार की रात से ही शहर में थी। दोपहर में जैसे ही वे घर के पास के मंदिर के निकट पहुंचे, सीबीआइ अधिकारियों ने उन्‍हें कब्जे में ले लिया। बाद में इसकी सूचना घर वालों को दी गई।
सनद रहे कि कई माह पहले पूछताछ व कई टेस्ट के बाद अचानक शांत पड़ी सीबीआइ ने  30 अगस्त को पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी व राकेश कुमार सिन्हा उर्फ पप्पू के आपराधिक इतिहास की मांगएसएसपी विवेक कुमार से की थी।तभी से यह आशंका व्यक्त की जा रही थी सीबीआइ जल्द ही कोई न कोई बड़ा कदम उठाएगी।

सीबीआई से मिल रही जानकारी के अनुसार मंगलवारको सीबीआई इस बेहद रहस्यमय अपहरण व हत्याकांड के बाबत कोई बड़ी जानकारी साझा कर सकती है। साथ ही मंगलवार को पार्षद को विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश किया जा सकता है।
उधर, मुजफ्फरपुर में इस मामले नगर के पूर्व विधायक और गिरफ्तार वार्ड 23 के पार्षद के बीच के संबंधों को लेकर तरह तरह की चर्चा है। साथ ही पप्पू पूर्व विधायक के बेहद करीबी बताया जाता है।
पार्षद राकेश कुमार सिन्हा के खिलाफ नगर थाने में डोजियर भी उपलब्ध है। 28 साल पूर्व उन पर रेल व नगर थाने में डकैती का मामला दर्ज हुआ था। नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति के सदस्य भी है। वहीं पूर्व विधायक के खिलाफ भी कई राजनीतिक मुकदमे दर्ज हैं। पूर्व विधायक के भाई भी जमीन की खरीद बिक्री का काम करते रहे हैं। सनद रहे कि दिवंगत नवरूणा के परिजन बार-बार प्रोपर्टी डीलिंग के कारोबार में ही उसके अपहरण की बात बता चुके हैं।

क्या है मामला

मुजफ़्फ़रपुर के नगर थाना क्षेत्र के जवाहर लाल रोड निवासी अतुल चक्रवर्ती की पुत्री 12 वर्षीय सातवीं कक्षा की छात्रा नवरुणा वर्ष 2012 की 17-18 सितंबर की दरमियानी रात अपने कमरे में सो रही अचानक गायब हो गयी। सुबह जब नवरुणा देर तक अपने कमरे से बाहर नही आई तो परिजन नवरुणा के कमरे में गये। वहां उन्होंने देखा कि नवरुणा के कमरे में लगी खिड़की का छड़ उखड़ा है। नवरुणा अपने बिछावन पर नहीं है। इसके बाद मां मैत्री चक्रवर्ती ने नवरुणा के अपहरण को लेकर नगर थाने में मामला दर्ज कराया था। हद तो ये की नगर थाने की पुलिस ने नवरुणा के गायब हो जाने के मामले को प्रेम प्रसंग बताया था। बाद में ढ़ाई माह बाद उसके घर के नाला से कंकाल बरामद हुआ।उसके  डीएनए टेस्ट से यह कंकाल नवरुणाा का निकला।लेकिन नाबालिग नवरुणा मामले पर शहर में मचे बवाल और मुजफ्फरपुर वासियों के आंदोलन के दबाव में सरकार द्वारा इसकी सीआइडी जांच करायी गयी थी।
लेकिन नतीजा सिफर ही रहा था।लेकिन,जनवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से सीबीआई को जांच सौंप दी गयी थी।

नाले में मिला था कंकाल

वर्ष 2012 के 17-18 सितंबर की दरमियानी रात बेहद
रहस्यमय हालात में कमरे से गायब हुई नवरुणा के परिजनों द्वारा अपहरण का मामला दर्ज कराने के बाद
26 नवंबर, 2012 को ही नवरुणा के घर के पास स्थित नाले से कंकाल मिला था। अगले दिन बरामद कंकाल को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया। इसके बाद 10 दिसंबर, 2012 को फॉरेंसिक रिपोर्ट में बरामद कंकाल 12 से 15 वर्ष की लड़की की बतायी गयी। इसके बाद 25 दिसंबर, 2012 को डीजीपी ने डीएनए जांच की अनुमति दे दी थी। हालांकि, तब नवरुणा के माता-पिता ने पुलिस को अपना ब्लड सैंपल देने से इनकार कर दिया था। लेकिन बाद में सीबीआई के अनुरोध पर 25 मार्च, 2014 को नवरुणा के माता-पिता ने अपना ब्लड सैंपल दे दिया था। इसके बाद जांच में नवरुणा का कंकाल होने की पुष्टि हुई थी।

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