इस वर्ष दुर्गा पूजा 10 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। इसके साथ ही 10 दिनों का शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाएगा। पूरे भारत वर्ष में दुर्गा पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शारदीय नवरात्रि शुरू होती है। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 10 अक्टूबर 2018, बुधवार से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि 19 अक्टूबर, शुक्रवार को समाप्त होंगे।
नौका पर आएँगी दुर्गा माँ, लाएंगी खुशहाली
मान्यता अनुसार नवरात्रों में देवी का आगमन और प्रस्थान जिस वाहन से होता है, उसी के अनुरूप माँ नवरात्रि के पूजन एवं व्रत का फल पृथ्वी वासियों को देती हैं। इस वर्ष माँ दुर्गा का आगमन नौका पर होगा। कलश स्थापना बुधवार को है। यह दिन बहुत शुभ माना गया है। इसलिए माँ दुर्गा का आगमन बहुत ही शुभ है। इसका अर्थ है, इस बार देवी पृथ्वी के समस्त प्राणियों की इच्छाओं को पूर्ण करेंगी। जो भी देवी के भक्त श्रद्धापूर्वक पूजन और व्रत अर्थात निर्मल मन से शुभ फल की इच्छा करेंगे, माँ दुर्गा उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगी।
हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी दुर्गा माँ
शास्त्रों के अनुसार नौका पर माता दुर्गा के आगमन और हाथी पर प्रस्थान होने के कारण इस बार नवरात्र अभीष्ट फलदाई होगा। जिसका अर्थ है कि देवी पृथ्वी वासियों को प्रचुर मात्रा में बारिश होने का वरदान देकर जायेंगी अर्थात पृथ्वी पर बारिश होने से फसल अच्छी होगी, जिससे सुख और समृद्धि बनी रहेगी।।
पंडितों के अनुसार इस नवरात्रि इसलिए खास है क्योंकि इसकी शुरुआत चित्रा नक्षत्र में हो रही है। वहीं महानवमी का आगमन श्रवण नक्षत्र में होगा। इस दिन ध्वज योग बन रहा है, जिसके कारण सुख और वैभव बढ़ेगा। इस बार पहली नवरात्रि के दिन घट स्थापना होगी और इसी दिन दूसरी नवरात्रि भी मनाई जाएगी। एक नवरात्रि के कम होने के बाद भी नवरात्रि नौ दिनों की ही होगी।
मां के आगमन का दिन से संबंध
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
9 अक्टूबर को सुबह 9.9 बजे प्रतिपदा तिथि प्रवेश करेगी, जो अगले दिन 10 अक्टूबर को सुबह 7.26 बजे तक है। इसलिए उदय तिथि के आधार पर 10 अक्टूबर को कलश स्थापना की जाएगी। पूरा दिन इसके लिए शुभ है। शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त को देवी-देवताओं की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इसलिए इसी मुहूर्त में कलश स्थापना करना सर्वोत्तम रहेगा।
17 अक्टूबर को अष्टमी, 18 को महानवमी
17 अक्टूबर को कन्या पूजन कर महाअष्टमी की ज्योति ली जाएगी। 18 अक्टूबर (गुरुवार) को महानवमी मनाई जाएगी। 17 अक्टूबर को अष्टमी तिथि है। नवरात्र में महाष्टमी को गौरी स्वरूप माँ दुर्गे की पूजा-अर्चना की जाएगी। महाष्टमी को ही कन्या पूजन की परंपरा है। 18 अक्टूबर (गुरुवार) को नवमी तिथि है। जो श्रद्धालु नवरात्र के व्रत रखते हैं, वे नवमी तिथि में हवन आदि करेंगे।
विजयादशमी 19 अक्टूबर को
19 अक्टूबर (शुक्रवार) को विजयादशमी मनाया जाएगा। इसी दिन सुबह में नीलकंठ का दर्शन करना, दही-चूड़ा का भोजन करना, शिर पर जयंती धारण करना शुभ माना जाता है। इसी दिन आप कोई भी मंगल कार्य कर सकते हैं। इसी तिथि को भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसलिए यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
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