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बिहार का पटवा टोली गांव बना आई.आई.टी का हब, गांव ने दिया देश को 300 से अधिक इंजीनियर

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पटना Live डेस्क। आई.आई.टी के रिजल्ट में बिहार के तक़रीबन 100 से भी अधिक बच्चो ने इस साल सफलता का परचम लहराया है। बिहार के गांवो में कितना टैलेंट भरा है इसका आपको दिखेगा जब आप जानेंगे कि इंजीनियरिंग एंट्रेंस का सबसे टफ परीक्षा माने जाने वाला आई.आई.टी एग्जाम को बिहार के एक ही जगह से एक या दो नहीं बल्कि पूरे 15 छात्रों ने कामयाबी पाई है। यह खबर है बिहार के गया जिले का पटवा टोली गांव की और अब इस गांव को आई.आई.टी का हब मान लिया गया है।

इस गांव में सबसे पहले एक बुनकर के बेटे जितेंद्र सिंह ने आई.आई.टी. परीक्षा क्रैक कर के मुंबई में दाखिला लिया था। फिर जितेंद्र अपने गांव का रोल मॉडल बन गया और यहीं से शुरू हुई साल-दर-साल गांव के बच्चों के आई.आई.टी. में कामयाब होने की कहानी। जो इस साल भी बदस्तूर जारी रही। अब तक पटवा टोली के 300 से ज्यादा बच्चों ने आई.आई.टी. में सफलता पाई है और इनमें कई दुनिया के अलग-अलग देशों की बड़ी कंपनियों में बड़े पदों पर काम भी कर रहे हैं। वे अपने गांव के बच्चों को स्टडी मटीरियल से लेकर हर तरह के संसाधन तो उपलब्ध कराते ही हैं, उन्हें टिप्स भी देते हैं। 25 साल में 300 का रिकॉर्ड आई.आई.टी. में बनाने वाला यह बिहार राज्य का पहला गांव बन गया है।


बता दे कि इस गांव में रहने वाले स्टूडेंट्स तमाम सुविधाओं से महरूम है फिर भी इनका परफॉरमेंस पूरे राज्य को दग कर दिया है। दरअसल, हाल के वर्षों में गांव के अंदर ही लोगों ने ऐसा सिस्टम बनाया है, जिससे गांव के छात्र न सिर्फ IIT, बल्कि दूसरे इंजिनियरिंग कॉलेजों में भी जगह बनाने में कामयाब हो रहे हैं। एक गांव से इतने स्टूडेंट का एक साथ आई.आई.टी में सफल होना भले ही आपको सुखद हैरानी दे रहा हो पर अगर आप गौर फरमाये तो देखेंगे कि इन गांव वासियों के लिए अब अगले साल इससे बेहतर परिणाम दिखाने की चुनौती सामने है।

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