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BIG BREAKING – समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा पर नीतीश सरकार कभी भी गिरा सकती है गाज़, छिनेगा मंत्री पद

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पटना Live डेस्क। 2 अगस्त 1999 को गाईसाल में हुए भीषण रेल हादसे के बाद तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने ‘नैतिक जिम्मेदारी’ के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रदेश में उन्ही नीतीश की सरकार है। अपराध में जीरो टॉलरेन्स की नीति का दावा है। साथ ही नीतीश कुमार अक्सर यह दावा करते हैं कि न वो किसी को बचाते हैं और न ही फंसाते हैं। लेकिन उनके अपने मंत्री मंडल की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने मुजफ़्फरपुर में ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित बाल गृह में निरीक्षण किया, लेकिन उन्होंने कभी भी कुछ ग़लत नहीं पाया। मंजू वर्मा ने ब्रजेश ठाकुर से बराबर मिलने की बात भी मानी थी। उनका ये भी कहना था कि ब्रजेश के घर उनके पति भी उनके साथ गये थे। ये दो ऐसी बाते हैं जिससे साफ है कि मंजू वर्मा ब्रजेश ठाकुर के घर गईं और उन्हें इस बात में कुछ गलत नहीं दिखा कि कोई व्यक्ति अपने घर में जहां अख़बारों का दफ़्तर भी है, वहां बाल गृह कैसे चला सकता है? तो बड़ा सवाल उठता है कि मुज़फ्फरपूर के बालिका गृह में हुयी शर्मनाक वारदात के बाद क्या मंजू वर्मा को नैतिक आधार पर इस्तीफा नहीं देना चाहिये था? अगर मंजू वर्मा ऐसा कर पाती तो सूबे के सियासत में एक मिसाल कायम करती। लेकिन नही वो मुजफ्फरपुर शेल्टर की पीड़ित लड़कियों के इस बयान बडे़ पेट वाले नेता जी आते थे के बावजूद  मंत्री मंजू वर्मा ने अपने पति को डंके की चोट पर निर्दोष करार दिया और इस्तीफा देने से लगातार इनकार कर रही है।
लेकिन,सूत्रों के द्वारा मिल रही ख़बरों के अनुसार मुज़फ़्फ़रपुर मामले पर अपनी भद पिटवाने के बाद नीतीश सरकार डैमेज कण्ट्रोल के तहत मंजू वर्मा के बाबत बड़ा फैसला लेने का मन बना चुकी है। अब नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट से जुड़े लोगों के अनुसार मंजू वर्मा की कुर्सी कभी भी जा सकती है। सहयोगी दल भाजपा के दबाव और विपक्ष के करारे प्रहार लगातार मंजू वर्मा को मंत्रिमंडल से हटाने को बाध्य कर रहे है। यानी मंजू वर्मा पर गाज गिराने की तैयारी को अमली जामा पहनाने की पहल हो चुकी है अगले 3-4 दिन में उनसे इस्तीफ़ा ले लिया जाएगा या फिर नही मानी तो राज्यपाल को लैटर भेजकर उन्हें मंत्रिपद से मुक्त कर दिया जाएगा।

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