बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

जेडीयू नेता भी बोल रहे राजद नेताओं जैसे बोल!

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पटना लाइव डेस्क| राज्य के वर्तमान राजनीतिक संकट को लेकर सरकार में शामिल पार्टियां हैरान भी हैं, और बेचैन भीं. ऐसा नहीं है कि राजद ही केवल राजनीति की इस शतरंजी चाल में निशाने पर है, बल्कि जेडीयू भी वर्तमान राजनीति की इस गर्मी को महसूस कर रही है. इस महागठबंधन में शामिल दो दल आरजेडी और जेडीयू हैरान इसलिए भी हैं कि आखिर पटरी पर ठीक चलने वाला मामला इतनी जल्दी पटरी से उतर क्यों गया. वहीं बेचैन इसलिए हैं कि कहीं अगर गठबंधन टूट गया तो सत्ता की मौज चली जाएगी और भविष्य क्या होगा इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल. पिछले कुछ दिनों से गठबंधन पर उठते सवाल को लेकर राजद के नेता बेचैन दिखायी दे रहे थे और बार-बार गठबंधन में सबकुछ ठीक होने की बात कर रहे थे. जाहिर है कोई मंत्री और विधायक नहीं चाहेगा कि उसका रुतबा चला जाए और वो फिर सड़क पर आ जाए. जेडीयू काफी तैश में थी और उसे लग रहा था कि नीतीश कुमार के उसूलों के आगे उनके लिए सत्ता कुछ भी नहीं है और वो उसे एक झटके में तोड़ देंगे. लेकिन मंगलवार को नीतीश कुमार के आवास पर हुई बैठक में जो हुआ वो सचमुच ही जेडीयू के लिए विस्मयकारी था.

राजद नेता का किया समर्थन

जेडीयू के वरिष्ठ नेता विजेंद्र प्रसाद यादव ने खुलकर राजद के पक्ष में अपनी बात रखी और एक तरह से तेजस्वी यादव का समर्थन किया. साथ ही नीतीश कुमार की रणनीति पर परोक्ष रुप से सवाल भी उठाए. मतलब तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर जिस भाषा का उपयोग राजद नेता कर रहे थे ठीक उसी लहजे में विजेंद्र यादव ने उनका बचाव किया और नीतीश कुमार के साथ-साथ केंद्र को भी कटघड़े में खड़ा किया. जाहिर है विजेंद्र यादव को नीतीश कुमार के कड़े रुख के बाद सत्ता जाती दिखाई दे रही है. साथ ही वो अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में भी हैं और उन्हें लग रहा है कि अगर वर्तमान सरकार चली गयी तो दोबारा मौका मिलेगा या नहीं. सो उन्होंने नीतीश कुमार के फैसले पर ही सवाल उठा दिए.
वहीं बैठक में शामिल पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी विजेंद्र यादव की हां में हां मिलाया और पार्टी नेताओं की बातों का विरोध किया. पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष का पद संभालने वाले और नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले उदय नारायण चौधरी इस बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं. उनके मन में भी बीजेपी के खिलाफ टीस होगी.

विरोध भी हुआ

हालांकि इस बैठक में शामिल जेडीयू विधायकों ने विजेंद्र यादव और उदय नारायण चौधरी की बातों का खुलकर विरोध किया और नीतीश कुमार के साथ पार्टी के स्टैंड का समर्थन किया. लेकिन जेडीयू के इन दो बड़े नेताओं का पार्टी बैठक में राजद के समर्थन में खुलकर बोलना या यूं कह लें कि भ्रष्टाचार के मामले में चुप्पी साध लेना की वकालत करना कहीं न कहीं पार्टी में उठते विरोध के स्वरों की सुगबुगाहट को तो दर्शाता ही है. जेडीयू ने राजद को चार दिनों का समय दिया है. मतलब है कि अगर इन चार दिनों में राजद ने तेजस्वी पर कोई फैसला नहीं लिया तो जेडीयू या तो तेजस्वी पर कार्रवाई कर सकती है या फिर सत्ता से बाहर जा सकती है. जो कि इतना आसान भी नहीं है.

बरतनी होगी सावधानी

जेडीयू की बैठक में वरिष्ठ नेताओं का पार्टी लाइन के खिलाफ बोलना मायने रखता है. हो सकता है कि इन दोनों नेताओं के अलावा और भी दूसरे नेता दबी ही स्वर में जेडीयू के फैसले को विरोध करें. हालांकि पार्टी ने इस मामले में नीतीश कुमार को कोई भी फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है लेकिन बैठक के बाद शायद नीतीश कुमार भी इन दोनों नेताओं के रुख का आकलन कर रहे होंगे और भविष्य की योजनाओं पर संभलकर कदम उठाने की बात सोच रहे होंगे.

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