पटना Live डेस्क. शराबबंदी को लेकर बने कड़े कानून के बीच वैसे लोगों के लिए राहत की खबर है जिनका कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. पटना हाईकोर्ट के जज रवि रंजन की एकलपीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा हो तो उसे शराबबंदी मामले में गिरफ्तार होन पर उसे नियमित जमानत दी जा सकती है. कोर्ट ने अधिकतर मामलों में आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर शराब निरोधक कानून बनाने वाले ही इसका उल्लंघन करें तो ऐसे लोगों को मेरी समझ से जमानत नहीं मिलनी चाहिए. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि आपराधिक इतिहास छिपाकर जमानत हासिल करने वाले पर वह अपने आदेश वापस भी ले सकता है.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पटना हाइकोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया था कि शराब के मामले में अभियुक्त बनाये गये लोगों को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।
वहीं, दूसरी ओर मामले में गिरफ्तार या आत्मसमर्पण करने वाले अभियुक्तों को निचली अदालत जमानत पर छोड़ सकती है। हाइकोर्ट ने नयी शराब नीति कानून की धारा 76(2) को स्पष्ट करते हुए कहा था कि इसके तहत किसी भी अभियुक्त को शराब के मामले में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है, जब तक कि कोर्ट द्वारा उक्त धारा को गैर संवैधानिक नहीं घोषित कर दिया जाता है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि निचली अदालत शराब पीने के मामले में पकड़ाये या आत्मसमर्पण किये अभियुक्तों की जमानत नामंजूर करती है, तो उसे अपने आदेश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख करना होगा कि किन कारणों से उसने जमानत नामंजूर की है।
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