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खुलासा – बबलू उर्फ मिथिलेश दुबे की हत्या के सच से पर्दा उठाने से पहले कुछ सवाल …क्यो उठ रहे है पुलिस पर सवाल?

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1. 36 मामलों में बबलू बरी हो चुका था। जल्द ही जेल से बाहर निकलने वाला था।

2. बबलू की गिरफ्तारी नेपाल में हुई थी,प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया गया था, फिर जब नेपाल से भारत की प्रत्यार्पण संधि है नही बबलू भारत के बिहार पुलिस को कैसे मिल गया ?

3. बबलू दुबे चुनाव लड़ना चाहता था? तैयारी जोरों पर  थी।

4. चार एक गार्ड होने के बावजूद अपराधी आराम से उसे मार कर चलते बने …

5. कुख्यात बबलू दुबे का 2013 में ही हो जाता ‘सफाया’ नेपाली संरक्षकों की वजह से मिला था  अभयदान

पटना Live डेस्क। बबलू दुबे उर्फ मिथिलेश की हत्या के कुछ घण्टों बाद एक तथाकथित शख्स मीडिया को फ़ोन कर कहता है कि मेरा बतौर कुणाल सिंह देता है। खुद को पिपराकोठी, पूर्वी चंपारण का रहने वाला बता कर अपने और राहुल सिंह उर्फ राहुल मुखिया को हत्या करने वाला बताता है।

कुणाल वही है जो पिछले महीने न्यायालय परिषद से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था, इसपर पिपरा के कुंवरपुर पंचायत के मुखिया पति और पुत्र के हत्या का आरोप है।

बेतिया न्यायालय परिसर में कुख्यात बबलू दुबे हत्याकांड की चर्चा नेपाल में भी खूब हो रही है। घटना के बाद नेपाली व्यापारियों उद्यमियों ने चैन की सांस ली है।चर्चा के अनुसार,यह ‘हत्या’ मोतिहारी न्यायालय परिसर में कुख्यात छोटेलाल सहनी कांड से मिलती जुलती है। इस घटना से बबलू की चुनाव लड़ने की ख्वाइस अधूरी रह गई।हत्या के दिन उसके उसके “भगवा पहनावे” की भी खूब चर्चा है। चम्पारण पुलिस के लिए सिरदर्द बने अपराधी बबलू दूबे की नेपाल में हुई गिरफ्तारी की जब भी चर्चा होती है,तो,बीरगंज के तत्कालीन एसएसपी सर्वेन्द्र खनाल चर्चे में आ जाते हैं। उस वक्त मोतिहारी के तत्कालीन एसपी विनय कुमार ने नेपाल के नारायणी अंचल के एसएसपी सर्वेन्द्र खनाल का सहयोग लिया था।गिरफ्तारी के बाद नेपाल और बिहार पुलिस की ऐसी केमेस्ट्री बनी क़ि कई आतंकी दबोचे गये।सूत्रों के मुताबिक,पूर्वी चंपारण समेत पश्चिम चंपारण व गोपालगंज में तीन दर्जन कांड के अंजाम देने वाले बबलू दूबे ने नेपाल  के काठमांडू स्थित सिता पाइल्ला के एक आवासीय फ्लैट में शरण ले रखा था और नेपाली नंबर से भारतीय व्यापारी व ठेकेदारों से रंगदारी मांगने के साथ-साथ अपरधिक घटनाओ को अंजाम दिया करता था।यही नही उसके आतंक से नेपाली व्यापारी भी परेशान थे।

तब मोतिहारी पुलिस ने 2013 में नेपाल के बबलू के संभावित ठिकाने पर जाल बिछाना शुरू की थी। इसी दौरान पुलिस ने काठमांडू स्थित बबलू दूबे के फ्लैट में खाना बनाने वाली एक महिला को अपने प्रभाव में लिया था। पुलिस सूत्रो का कहना था की उक्त महिला को पुलिस ने मोबाइल व सिम कार्ड उपलब्ध कराया था। जिसके बाद बबलू दूबे की पल-पल की जानकारी मोतिहारी पुलिस को मिल रही थी। तब एसपी विनय कुमार के संबंध नेपाल के नारायणी अंचल के एसएसपी सर्वेन्द्र खनाल से काफी अच्छे थे।

सूत्रो की माने तो विनय कुमार की पहल पर भारतीय पुलिस व नेपाली पुलिस ने संयुक्त रूप से काठमांडू के उक्त फ्लैट में छापेमारी की थी और बबलू दूबे की गिरफ्तारी 2 जून 2013 को हो पायी। हालांकि भारत नेपाल के बीच प्रत्यर्पण संधी नहीं होने के कारण मोतिहारी पुलिस खाली हाथ वापस लौट आई और नेपाल पुलिस ने उसे गिरफ‍्तार दिखाया। बबलू दूबे के गिरफ्तारी के बाद पर्सा एसएसपी सर्वेन्द्र खनाल ने बीरगंज एसएसपी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था। बताते है क़ि इस योजना की भनक बबलू को देने के बाद मोतिहारी एसपी विनय कुमार ने रक्सौल के तत्कालीन वरीय पुलिस अधिकारी को जम कर फटकार लगाई थी।साथ ही विभाग को रिपोर्ट भी की।रक्सौल से गिरफ्तारी भी हुई।पुलिस बबलू के हथियार की तलाश भी कर रही थी।क्योंकि,शक था क़ि हथियारों को रक्सौल इलाके में छुपा रखा गया था।उसके गुर्गे चम्पारण में आपराधिक घटना को अंजाम देने के बाद नेपाल भाग जाते थे।सबसे बड़ी चर्चा यह थी क़ि अपराध और अपराधियों से नफरत करने वाले एसपी विनय कुमार ने बबलू के सफाये का संकल्प ले लिया था।नेपाल में गिरफ्तारी के बाद उसके नेपाली राजनीतिक संरक्षकों की इतनी पैरवी लगी क़ि सर्वेन्द्र खनाल हाथ मलते रह गए। नेपाल पुलिस सूत्रों ने बताया क़ि जब योजना लीक हो गई,तब,प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बबलू को।सार्वजनिक कर देना पड़ा। फिलवक्त श्री खनाल का प्रमोशन हो जाने के बाद वे काठमाण्डु हैं।

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