बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

Exclusive(वीडियो) – अब जरा कुणाल सिंह जो बबलू दुबे की हत्या करने वाले दावे को सुनिए…

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# कोर्ट में मौजूद चश्मदीदों का दावा है कि अपराधी बबलू को मारने के बाद बड़े आराम से कोर्ट परिसर से निकल कर फरार हो गए।

# वो संत नही था पर घटना घटेगी सवाल खड़े होंगे ही,सच ढूढना पड़ेगा ही ।

पटना Live डेस्क। बेतिया में गुरुवार को 11:20 बजे मंडलकारा से कोर्ट में पेशी के लिए लाए गए कुख्यात बब्लू दूबे की हत्या चार अपराधियों ने न्यायालय परिसर में गोली मार कर दी गई। मकतूल बबलू दूबे को बैरिया थाना कांड संख्या 42/13 में पेशी के लिए मंडलकारा बेतिया से कोर्ट हाजत लाया गया।कोर्ट हाजत से सैप के जवान हथकड़ी लगाकर बबलू को प्रथम श्रेणी न्यायायिक दंडाधिकारी श्रीकुमुद रंजन के न्यायालय में पेशी के लिए ले जाया गया। वहां बबलू दूबे की पेशी के साथ- साथ कांड के अनुसंधानकर्ता दारोगा नवीन शर्मा की गवाही हुई।गवाही के बाद सुरक्षाकर्मी बब्लू दूबे को लेकर कोर्ट हाजत के लिए निकले। जैसे ही दूबे न्यायालय की सीढ़ी से उतरकर 5 कदम बढ़ा तभी तीन अपराधियों ने पिस्तौल निकालकर उसपर ताबड़तोड़ गोली चला दी। सैप जवान उनके पीछे लगे। तभी एक अन्य अपराधी पीछे से आया और  दूबे के पीठ व गर्दन में तीन गोलियां मार दी। बबलू मौके पर ही गिर गया। बब्लू दूबे को सीने में दो गोलियां लगी. वह लडखड़ाने लगा।तभी गोली चलाने वाले तीन अपराधी पूरब दिशा की तरफ स्थित गेट की तरफ भागने लगे। अपराधी पेशेवर व चालाकी दिखाई और बबलू दुबे उर्फ़ मिथलेश दुबे की हत्या कर अपराधी अलग-अलग दिशा में भागे।
तीन अपराधी सामान्य लोगों के प्रवेश द्वार से तो एक अपराधी न्ययायधीश के बने प्रवेश द्वार से भागे। अपराधियों ने भागते वक़्त गेट पर खड़े लाठीधारी पुलिसकर्मियों से कहा कि जल्दी गेट बंद कीजिये अंदर हत्या हो गई है। तब पुलिसकर्मियों ने गेट बंद कर दिया और उधर अपराधी फरार हो गए।अपराधी पेशेवर लग रहे थे उनका निशाना इतना सटीक था कि कोर्ट परिसर में भारी भीड़ होने के बावजूद एक भी गोली इधर उधर नहीं गई।
बबलू दूबे की हत्या के मामले का जायजा लेने चंपारण रेंज के प्रभारी डीइआजी अनिल कुमार सिंह पहुंचे। डीआइजी ने पूरे मामले की जानकारी ली। हत्या कैसे हुई, कब हुई और कोर्ट की सुरक्षा में कहां चूक हुई।इस पर स्थानीय पुलिस से जानकारी ली. उन्होंने कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश दिया।कहा कि कोर्ट परिसर में पुलिस चौकी खुलेगी।
इस बाबत पुलिस अधीक्षक विनय कुमार ने बताया कि घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। हत्यारे शीघ्र पकड़ लिए जायेगा। मकतूल दुबे चंपारण के आतंक के रूप में जाना जाने वाले बबलू पर 50 से ज्यादा अपहरण, हत्या और लूट के मामले दर्ज थे। जेल में रहते हुए बबलू ने नेपाल के बड़े व्यवसायी सुरेश केडिया का अपहरण कर लिया था।

अब जरा घटना क्रम पर नज़र दौड़ाते है …

बेतिया कोर्ट में बबलू दूबे की हत्या में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ गए हैं। स्पेशल सुरक्षा में कोर्ट में पेशी के लिए आए बबलू पर जब हमला हुआ पुलिस उनसे दूर खड़ी थी। जबकि पुलिस को अपने घेरे में बबलू को लेकर पेशी के लिए जाने के निर्देश था। हमलावर बबलू पर हमला कर फरार हो गए, लेकिन पुलिस की ओर से एक गोली भी हमलावरों पर नहीं चलायी गयी। एसपी बेतिया ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि भगदड़ नहीं मच जाए इस कारण पुलिस ने गोली नहीं चलायी। लेकिन, पुलिस ने उसका काफी दूर तक पीछा किया था। लेकिन अपराधी फरार हो गए।
वही घटना के वक्त कोर्ट में मौजूद  स्थानीय लोगों का कहना है कि अपराधी घटना को अंजाम देने के बाद बड़ी आराम से कोर्ट परिसर से निकल कर फरार हो गए। पुलिस चाहती तो इनकी गिरफ्तारी हो सकती थी।
इस सनसनीखेज हत्या में पुलिस की मिली भगत पर एसपी बेतिया विनय कुमार भड़क गए। एसपी ने कहा ऐसा नहीं है। आरोप तो मेरे ऊपर भी लग सकते हैं। मैंने ही उसे 2013 में गिरफ्तार किया था। बहरहाल पुलिस इसपर अपनी जो सफाई दे, स्थानीय लोग इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
अब बात बबलू दुबे को मार गिराने वाली घटना की जिम्मेदारी लेने वाले कुणाल सिंह की कर ली जाय। फ़ोन पर बड़े आराम से समाज और छोटी उम्र के बच्चों को बिगाड़ने आरोप लगाकर हत्या को जायज ठहराने की कोशिश करने वाले तथाकथित कुणाल सिंह खुद अपराधी है। यह शख्स मीडिया को फ़ोन कर कहता है फिर अपना परिचय बतौर कुणाल सिंह देता है। खुद को पिपराकोठी, पूर्वी चंपारण का रहने वाला बता कर अपने और राहुल सिंह उर्फ राहुल मुखिया को हत्या करने वाला बताता है।
कुणाल वही है जो पिछले महीने न्यायालय परिसर से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था, इसपर पिपरा के कुंवरपुर पंचायत के मुखिया पति और पुत्र के हत्या का आरोप है।

सवाल अब भी कईं इशारे कर रहे है जिनका जवाब जरूरी हैं।

# एक महिने पहले कोर्ट से भागने वाले कुणाल भागा था या भगाया गया था ?
# क्या उस फ़ोन नंबर का पता लगाया एसपी विनय कुमार की पुलिस ने ?
# अमूमन पुलिस अक्सर भाग निकलने वाले अपराधी का पीछा करती रहती जब तक वो पकड़ा न जा सके ?
# आखिर कैसे एक भगोड़ा अपराधी बेतिया कोर्ट में आकर हत्या जारु निकल जाता है और पुलिस को पता नही चला ?
# फिर बड़े आराम से मीडिया को फ़ोन कर क्लेम करता है कि हमने मारा है क्योंकि वो जीने के क़ाबिल नही था।

खैर , सवाल बहुत है? पुलिस की थ्यूरी में भी कई छिद्र है। नेपाल में गिरफ्तारी से लेकर बिहार पुलिस द्वारा गिरफ्तर किये जाने तक और अब जब वो 36 मामलों में लगभग बरी होकर जेल से बाहर निकलने की कवायद में था मार डाला गया। वो कोई संत नही था पर क्या कानून के हाथ इतने कमजोर है कि ख़ाकी को बबलू दुबे को खत्म करने खातिर ऑपरेशन “एलिमिनेट बीड़ी” का चक्रव्यूह रचना करनी पड़ी। ख़ैर …. घटना घटेगी सवाल खड़े होंगे ही ..

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