बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

बैंकों में हड़ताल की वजह से काम-काज ठप,एटीएम भी नहीं कर रहा काम,लोग परेशान

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पटना Live डेस्क. बैकों में हड़ताल के चलते कामकजा ठप है. लोग परेशान हैं. हड़ताल के चलते कई जगह एटीएम भी ठप है. बैंकों की यह एकदिनी हड़ताल यूएफबीयू यानि युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर बुलायी गयी है. इस हड़ताल में वाणिज्यिक बैंकों के साथ ग्रामीण बैंक,एसबीआई,को-ओपरेटिव बैंक भी शामिल हैं. इस हड़ताल का प्रभाव सूबे में भी दिख रहा है. हालांकि निजी बैंकों में हड़ताल नहीं है, लेकिन कामकाज और लेन-देन ठप रखने की तैयारी है. भारतीय स्टेट बैंक अधिकारी संघ के अध्यक्ष उमाकांत सिंह ने बताया कि नौ सूत्री मांगों के समर्थन में हड़ताल की गई है. बिहार में एसबीआइ की सारी शाखाएं बंद हैं. बिहार में बैंकों की कुल छह हजार 844 शाखाएं और छह हजार 751 एटीएम हैं. देश में इनकी संख्या क्रमश: 90 हजार 437 और एक लाख 40 हजार 935 है.

सरकार से शिकायत

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. कुमार अरविंद ने कहा कि सरकार बैंकिंग उद्योग को ध्वस्त करने पर तुली हुई है. बैंककर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ एक के बाद एक नियम बनाए जा रहे. पुराने नियमों को भी बेवजह बदला जा रहा है. बिहार प्रोविंसियल बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के सचिव संजय तिवारी ने सरकार पर कर्मचारियों की मांगों को दरकिनार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बैंकिंग सुधार के बहाने सरकार जन विरोधी काम कर रही है. वसूली करने के बजाय औद्योगिक घरानों के बड़े ऋण बट्टे खाते में डाले जा रहे हैं. यह आम जनता की गाढ़ी कमाई है, जो बड़े उद्योगपतियों की झोली में पहुंच रही है. मुनाफा कमा रहे सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जा रहा है. क्या यही बैंकिंग सुधार है?

 

यूनियन की नौ मांगें 

– बैंकों के निजीकरण और विलय पर रोक लगे

– कॉरपोरेट ऋणों की वसूली हो

– दोषी ऋण-धारकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर हो

– बैंक बोर्ड ब्यूरो को खत्म किया जाए

– अनुकंपा के आधार पर बैंकों में नियुक्ति हो

– ग्रेच्युटी एक्ट-1972 के तहत ग्रेच्युटी सीमा का समापन हो

– बैंकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति हो

– केंद्र के अनुरूप बैंकों में पेशन व्यवस्था लागू हो

– एनपीएस के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए

 

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