बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

Super Exclusive(वीडियो) सुशासन के बेलगाम अधिकारी ने सरेआम दलित महिला को दी बेहद गंदी गंदी गालिया कहा गिरफ्तार करो मा …..

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रंजन कुमार,संवाददाता,रोहतास

पटना Live डेस्क। बिहार में सरकारी अधिकारियों की दबंगई और बदजुबानी की कथा हरि कथा हरि कथा अनंता वाली है। इसी कड़ी में एक और नाम शामिल हो गया है। यह नाम है रोहतास जिला में पदास्थित सीओ अखिलेश कुमार का। जनाब पर अपने सरकारी पद का इस कदर गुरुर चढ़ा है कि उनके लिए आम आदमी और उसके परिवार की मान मर्यादा और इज्जत कोई मायने मतलब नही रखती है।
यह घटना रोहतास जिले के ग्राम- तिलौथु में घटित हुई है जहा सीओ साहब काले रंग की सफारी पर सवार होकर दनदनाते हुए पहुचे और लाल कार्ड धारक एक निषाद परिवार के घर पर पहुचकर जम कर हंगामा करने लगे। घर मे मौजूद सिर्फ महिला और उसकी बेटी की मौजूद का भी ख्याल न रखते हुए सीओ साहब अभद्रता से पेश आने लगे। महिला पर जबरिया एक सादे कागज पर दस्तख़त करने को कहने लगे और जब महिला ने मना किया तो अखिलेश कुमार ने वो कर दिया जिसे सभ्य समाज मे गुंडई कहते है। अपने पद की हनक सीओ पर इस कदर थी कि वो यहाँ तक भूल गए कि एक महिला जो उम्र में उनके माँ की उम्र के लगभग होगी को मार ने की कोशिश कर बैठे,सरेआम गाली गलौज करने लगे। वो भी ऐसी ऐसी गालिया जो शायद गुंडे मावली किस्म के लोग भी देने से परहेज करते हो।
एक सरकारी अधिकारी के मुख से बेहद गंदी गंदी गालिया सुनकर घटना स्थल पर मौजूद गाँव वाले भी हतप्रभ रह गए। सीओ साहब के साथ पुलिस भी थी और साहब होने का रुआब भी उसकी की तहत मनमर्जी करने खातिर बौराये हुये थे। हद तो ये की एक सरकारी अधिकारी के बेहद आपत्तिजनक व्यवहार को देखकर उपस्थित सभी ग्रामीण हतप्रभ रह गए। वो एक पक्षकार की तरह व्यवहार कर रहे थे। अखिलेश कुमार ने हंगामा करते हुए अपशब्दों की बौछार कर दिया ….हद तो ये की पद की ऐसी सनक की महिला ने जब कहा कि गाली मत दीजिये ये सुनते ही महिला पर झपट पड़े पर उनके साथ मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें पकड़ कर किसी तरह रोक लिया पर बार बार सीईओ अखिलेश माँ बहन और रोटी बेटी की गालिया बकते रहे और फिर कहा माँ ……. गिरफ्तार करो इसको …सुनिए देखिये सुशासन के बेलगाम अधिकारी की शर्मशार करने वाली करतूत …

आखिर क्यों

अब तक को कहानी पढ़कर आप सोच रहे होंगे आखिर सीओ अखिलेश कुमार क्यो दंबगई और गाली गलौज
करने पर उतारू हुए ? कारण जानकर आप और सन्न रह जायेंगे और सुशासन के बेलगाम अधिकारी की सनक को कोसने को मजबूर हो जाएंगे। हुआ ये की ग्राम तिलौथू में राजकुमार चौधरी जो मजदूरी कर अपने परिवार संग मिट्टी के घर मे रहते है। सरकारी योजना के तहत लाल कार्ड जब बनने लगा तो राजकुमार ने अपनी पत्नी प्रमिला देवी के नाम से लाल कार्ड बनवाया और कालांतर में उसका मिट्टी का घर ढहने लगा तो फिर दौड़ धूप कर इंदिरा आवास स्किम के तहत घर बनवाया। परिवार उसी इंदिरा आवास और लाल कार्ड के सहारे जीवन यापन कर रहा था। लेकिन मिट्ठी का घर ढह गया तो वहा दीवार खड़ा करने की कवायद पर पड़ोस में रहने वाले परिवार से विवाद हो गया।
निषाद परिवार और दूसरे पक्ष में ज़मीनी विवाद है।जिसको लेकर दोनों पक्षो में लंबे समय से विवाद चला आ रहा था। मामला जब सीईओ अखिलेश कुमार के पास पहुचा तो उन्होंने दूसर पक्ष जो सुखी सम्पन्न है उसने ज़मीन नापी के प्रयासो को कई बार प्रभावित कर दिया और पीड़ित परिवार का दावा है कि सीओ को भी प्रभावित कर लिया और मामले को अधर में लटकता चला गया और इधर,निषाद परिवार दौड़ाते दौड़ते और सरकारी कार्यालय का चक्कर लगाते जब थक गया तो एक साल बाद लोक निवारण डिहरी में शिकायत दर्ज कराई। मामले की जांच में फैसला प्रमिला देवी के हक में आया तो सीओ और स्थानीय पुलिस ने मदद नही की और मामला फिर वही का वही रह गया।
खैर, एक बार फिर जब प्रमिला देवी का मामला लोक निवारण डिहरी के समक्ष आय तो उसे सासाराम लोक निवारण को भेज दिया गया। अब सुनिए वो सच पीड़िता प्रमिला देवी की जुबानी….

 

 

 

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