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समस्तीपुर के इन पुस्तकालयों में पुस्तक तो नहीं पर भैंस और बकरियां जरूर मिलेंगे

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पटना Live डेस्क। बिहार के स्कूल, कॉलेज, पढ़ाई या यूँ कहें कि पूरी शिक्षा व्यवस्था कुछ समय से सुर्खियों में बनी हुई है। आज हम आपको समस्तीपुर में पुस्तकालय की दर्दनाक हालत से रूबरू करायेंगे। इन पुस्तकालयों का निर्माण छात्रों के लाभ के किया गया था पर आज इन पुस्तकालयों में छात्र- छात्राओं के जगह भैंस और बकरियों दिखते हैं। पुस्तकालयों के अंदर किताब पढ़ते लोग भले न दिखें पर पुस्तकालय के बाहर ये जरूर दिख जाता है कि भैंस और बकरियों को बांधा जा रहा है।

 

दरअसल समस्तीपुर के शिव शंकर नवल किशोरी विशिष्ट पुस्तकालय को बिहार सरकार ने 17 जनवरी 2012 को मान्यता दी। इस पुस्तकालय में उस समय से बच्चों की पढ़ाई की सारी व्यवस्था की गयी है लेकिन यहाँ कोई छात्र पढ़ने नहीं आता। छात्र ही क्या जिला के कोई लोग भी यहाँ पढ़ने के शौक़ से नहीं आते। आर्थिक तंगी के कारण यहाँ पर सही तरीके से फर्नीचर भी नहीं है और किताबों का हाल भी बेहाल है। जो भी किताबें पुस्तकालय में है वे साड़ी पुरानी किताबें हैं और अपडेटेड किताब पुस्तकालय में लाने की वजह भी नहीं है।

यह इकलौता मामला नहीं है क्योंकि अगर गौर फरमाएं तो उसी जिले में स्थित नवभारत पुस्तकालय का भी हाल कुछ ऐसा ही है। यह पुस्तकालय काफी पुराना है जिसका उद्धाटन पूर्व विदेश मंत्री स्व. श्यामनंदन मिश्र ने 1956 में किया था। जिलाधिकारी से जब इस बारे में बात की उन्होंने बताया कि इसका संचालन सुचारू रूप से करने के लिए जल्द प्रेरित किया जाएगा और इसके लिए प्रसाशनिक सहयोग भी दी जायेगी। सरकार इस बारे में विचार रही है।

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