पटना Live डेस्क । पर्यटकों के लिए बिहार बहुत ही अच्छी जगह है। यहाँ कई ऐसे स्थान जहाँ से परम्पराओं का जन्म हुआ है। आप जितना यहाँ के जगहों को एक्स्प्लोर करेंगे उतना ही बेहतर इतिहास को जान पाएंगे। यहां कई ऐसे स्थल हैं जहां जाने से मन को शांति मिलती है और और जहाँ जा कर मन में खुशी का एहसास होता है। आज हम आपको कुछ स्थलों के बारे में जानकारी देंगे, जहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ दिखती है।
नालन्दा- इतिहास का पन्ना उलटेंगे टतो पाएंगे की शिक्षा ग्रहण करने का सबसे प्रसिद्ध स्थान नालन्दा है। देश-विदेश से छात्र यहां आकर शिक्षा ग्रहण करते थे। एक दिन इसके लाइब्रेरी में आग लग गया था जिसके वजह से सब कुछ जल गया था। आज की दौर में बिहार सर्कार ने पुनः इसका निर्माण कर दिया है और यहाँ फिर से पढ़ाई शुरू कर दी गयी है।
मनेर- यहाँ शाह दौलत और शेख याहिया मनेरी का मकबरा है। मनेर का दरगाह बिहार में बहुत प्रसिद्ध है। कहानी के अनुसार यहाँ एक घोड़े की तरह दिखने वाली चिड़िया अपने हाथ में हाथी के बच्चे को दबोच के उड़ के आ रही थी जान उसे शराप दिया गया था कि वो जहाँ विराम करने ज़मीन पर उतरेगी वही पत्थर बन जाएगी। दरगाह के आगे ही वह चिड़िया मूर्ति बन गयी। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहाँ सच्चे मन से कुछ मांग ले उसे वो चीज जरूर मिल जाती है। पटना से मात्र 29 किमी की दूरी पर मनेर है जहाँ ये दरगाह बनाया गया है।
सीतामढ़ी- क्या आप जानना नहीं चाहते की सीतामढ़ी का नाम सीतामढ़ी कैसे रखा गया ? दरअसल भगवान राम की पत्नी सीता के नाम पर ही इस क्षेत्र का नामकरण हुआ है। सीता जी धरती पुत्री क्यों कहलाती है ये सबको पता है, पर क्या आपको पता है की बिहार के सीतामढ़ी की भूमि से सीता राजा जनक को हल जोतने के समय मिली थी। हुआ यूँ कि त्रेतायुग में राजा जनक इसी क्षेत्र के खेत में हल चला रहें थे। उस समय जनक को धरती से एक घड़ा मिला जिसमें एक कन्या थी। यही कन्या माता सीता के नाम से प्रसिद्ध हुई और इनका विवाह भगवान श्रीराम से हुआ।
राजगीर- राजगीर बिहार का ऐसा पर्यटक स्थल है जो गर्म झरनों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा मन्ना है की वहां के कुंड में जो नाहा ले उसके सारे पाप धूल जाते है। राजगीर को सर्दियों का “उत्तम भ्रमण स्थल” कहा जाता है। यहां जैन व हिन्दु धर्म के कई स्थल हैं।
गया- गया में पितृ देवताओं की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिण्डदान किया जाता है। हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
बिहार शरीफ- यहां मखदूम साहब की दरगाह तथा मलिक इब्राहिम वयां का मकबरा है इसलिए बिहार शरीफ मुस्लिम समाज की आस्था का केंद्र है। यह पटना से 85 किमी की दूरी पर है।
बक्सर- बिहार के बक्सर जिला में ही विध्वंसक युद्ध हुआ था। इसके अलावा बक्सर का श्रीराम से गहरा संबंध है। लोगो का मानना है कि यहां ऋषि विश्वामित्र का आश्रम था। बक्सर ही वो जगह है जहाँ भगवान श्रीराम ने राक्षसी ताड़का का वध किया था।
कटिहार- सालमारी स्टेशन के निकट भगवान शिव का गोरखनाथ मन्दिर, रानी इन्द्रावती की राजधानी सौरिया दर्शनीय स्थल हैं। आपको मालुम हो कि सिक्खों के नवें गुरु तेगबहादुर ने कटिहार में ही लंगर का आयोजन किया था।
भागलपुर- भागलपुर में विष्णु मन्दिर और अखीत्रैवीनाय का शिव मन्दिर है। भागलपुर का विश्वविद्यालय तथा बरारी की गुफाएं दर्शनीय योग्य हैं।
पूर्णिया- यहाँ पूरण देवी का मन्दिर है, जो की देखने योग्य है। साथ ही बिहार के पूर्णिया में ही भगवान नृसिंह अवतार स्थल, मानिक धाम, अवस्थित प्रहलाद स्तम्भ, हिरण्य कश्यप का गढ़ और मां भगवती की सिद्धपीठ स्थित है।
वाल्मीकि नगर- वाल्मीकि मुनि का जन्म यहाँ हुआ था। यहाँ की कई जगह अपनी इतिहास बयां करती है।
पावापुरी- पावापुरी, पटना से 104 किमी की दूरी पर है। यहां जल मन्दिर, मनियार मठ तथा वेनुवन दर्शनीय स्थल जिनकी अपनी अपनी कहानियाँ मशहूर हैं। जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी ने पावापुरी में ही निर्वाण प्राप्त किया था।
लौरिया आरेराज- सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अशोक स्तम्भ यहीं स्थित है।
आरा- यह पटना से 32 मील की दूरी पर स्थित है। यहां दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढिय़ा का राम मन्दिर भी प्रसिद्ध है।
विक्रमशिला- विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीनकाल में बहुत प्रसिद्ध था और यहाँ की इमारते अपनी कहानी बयां करती है।
सोनपुर- सोनपुर मेला बड़ा ही फेमस है ,यहां कार्तिक मास में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगाया जाता है। सोनपुर में ऐतिहासिक हरिहरनाथ का मन्दिर भी है।
मधुबनी- मधुबनी चित्रकला कहा प्रसिद्ध नहीं है ? मधुबनी चित्रकला इसी छोटे से जगह से आया है। अब एक मधुबनी चित्रकला करोड़ो में बिकती है।
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