बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

बड़ी खबर – एक बिहारी IPS की मेहनत का नतीजा,  महज एक बाल की मदद से धर लिया था बौद्ध गया सीरियल ब्लाष्ट के मास्टरमाइंड को और अब पांचों आरोपी दोषी करार

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पटना Live डेस्क। आखिरकार महात्मा बुद्ध की ज्ञान स्थली को ताबड़तोड़ धमाकों से दहलाने की आतंकी हमले में शामिल पांचों आरोपियों को 4 साल 10 महीने और 12 दिन के बाद शुक्रवार को एनआइए कोर्ट ने सभी पांच आरोपितों को दोषी ठहराया। अब उनकी सजा का फैसला 31 मई को होगा। ये पांचों आरोपी हैं- इंडियन मुजाहिदीन के अजहर कुरैशी,इम्तियाज अंसारी ,मोजिबुल्लाह अंसारी, हैदर अली और उमर सिद्दीकी। इस मामले में 90 लोगों ने गवाही दी और NIA टीम का नेतृत्व कर रहे बिहारी IPS अधिकारी की वैज्ञानिक अनुसंधान के तरीकों ने न केवल इस सीरियल धमाकों मास्टर माइंड को न केवल धर दबोचा गया बल्कि तमाम वैज्ञानिक और फॉरेंसिक जांच ने कोर्ट के में बतौर अकाट्य सुबूतों पांचों आरोपियों को दोषी करार देने में बेहद अहम भूमिका निभाई है।
वो 7 जुलाई, 2013 की सुबह थी,जब छह बजे बोधगया में महाबोधि मंदिर और आसपास एक के बाद एक नौ विस्फोट हुए थे।आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे।एक सिलेंडर बम रखा गया था, जिसमें टाइमर लगा हुआ था। एक खौफ़नाक साजिश रची गई थी बड़ी घटना को अंजाम देने खातिर। विस्फोट के बाद सुरक्षा बलों ने तीन बिना फटे और निष्क्रिय किए हुए बम भी बरामद किए थ। इन धमाकों का एक ही मकसद था कि सुबह-सुबह जब बौद्ध अनुयायी प्रार्थना के लिए आएं तो बड़ी संख्या में खून-खराबा हो। वही तेरगर मठ में फटे तीन बम खेल के मैदान में लगाए गए थे,जहां नए भिक्षु फुटबॉल खेलते थे।धमाकों से सन्न सूबे को गृह मंत्रालय ने बताया था की ये आतंकी हमला है। गृह मंत्रालय ने बिहार में महाबोधि मंदिर के भीतर और बाहर हुए सीरियल बम विस्फोटों को आतंकी हमला बताया था और जांच के लिए एनआईए तथा एनएसजी की टीमें घटनास्थल पर भेजी गई थीं। केंद्र द्वारा भेजी गई NIA टीम में एक बिहारी आईपीएस अधिकारी भी था। एनआईए की टीम को इसी आईपीएस के नेतृत्व में धमाकों से सन्न दुनिया भर के बौद्धों को बिहार की इस तपोभूमि जिसे बुद्ध की ज्ञान स्थली भी कहते है की गरिमा और सुरक्षा को पुनः स्थापित करने की महती जिम्मेदारी सौंपी गई थी। चुनौती बड़ी थी। साज़िश गहरी और बेहद सावधानी से रची गई थी। लेकिन एक आईआईटियन से आईपीएस तक के सफर में तकनीक की महत्ता को समझने वाले इस आईपीएस ने जांच के साइंटिफिक तरीकों से जांच प्रारम्भ की।  और फिर पटना गांधी मैदान ब्लाष्ट                                                    बोध गया ब्लाष्ट की कड़िया अभी जोड़ने और सुबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाने और आतंकियों तक पहुचने की कवायद शुरू हो चुकी थी।शुरुआती तफ़्तीश में वीडियो फुटेज और टाईमर्स लगे बम मीले।बोधगया ब्लास्ट की जांच के दौरान मिले एक बाल से एनआईए धमाके के मास्टरमाइंड ब्लैक ब्यूटी उर्फ हैदर अली तक पहुंच गई। यह खुलासा मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने भी किया। दरअसल एनआईए को हैदर का बाल एक बौद्ध भिक्षु के कपड़ों पर मिला था। बाल के डीएनए टेस्ट से एनआईए को हैदर के खिलाफ पुख्ता सबूत मिला। जांच एजेंसी का मानना है कि हैदर ने इसी कपड़े को पहनकर मंदिर में महाबोधि वृक्ष के पास बम रखा था।
उल्लेखनीय है कि जांच के दौरान ही बिहार एक बार फिर धमाकों से थर्रा गया था जब पटना के गांधी मैदान में 27 अक्तूबर 2013 को नरेंद्र मोदी की सभा,पटना रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 10 में धमाके के बाद पुलिस ने मौके से सीठियो के इम्तियाज अंसारी, नुमान, तौफीक को गिरफ्तार किया गया था, वहीं घायल तौकीर की धमाके में जख्मी होने से मौत हो गई। धमाकों के तार और सामने आया IM का नेटवर्क                                 गांधी मैदान ब्लाष्ट में गिरफ्तार इम्तियाज के घर रांची के धुर्वा थानेदार ने सीठियो में उसके घर में छापेमारी की। छापेमारी के क्रम में पुलिस ने मौके से जिंदा कुकर बम, किल समेत कई चीजें बरामद की थी। पुलिस को एक कैलेंडर भी मिला था,जिसमें पटना के गांधी मैदान, बनारस रेलवे स्टेशन को चिन्हित किया गया था, कुछ मोबाइल नंबरों की जानकारी भी एक डायरी से मिली थी। मौके से पुलिस ने लोटस की एक घड़ी भी जब्त की थी। मोबाइल नंबर की जांच के बाद पुलिस को रांची के ही ओरमांझी के मुजीबुल्लाह के भी आईएम नेटवर्क से जुड़े होने की जानकारी मिली। पुलिस मुजीबुल्लाह के गांव चकला पहुंची तो पता चला वह हिंदपीढ़ी के किसी लॉज में रहता है।
मुजीबुल्लाह के चाचा की निशानदेही पर रांची पुलिस की टीम 4 नवंबर 2013 को हिंदपीढ़ी के ईरम लॉज पहुंची। यहां पता चला कि मुजीबुल्लाह का कमरा 24 अक्तूबर 2013 यानि गांधी मैदान में धमाके के तीन दिन पहले से बंद है। धुर्वा थानेदार बीएन सिंह के नेतृत्व में ही ईरम लॉज में मुजीबुल्लाह के कमरे का ताला तोड़ा गया। मौके से पुलिस ने तीन कार्टून में 9 सीरिज में 27 टाइमर बम, 25 जिलेटिन, 14 डेटोनेटर बम बरामद किए। इन बमों में भी लोटस की घड़ी लगी थी। सभी बम एल्बो से जुड़े थे। मौके पर कमरे में एक नक्शा मिला, जिसमें गांधी मैदान, बोधगया समेत अन्य जगहों का जिक्र था।                   यूं जुड़ गया बोधगया ब्लास्ट से तार

बोधगया में सीरियल ब्लास्ट में भी लोटस की घड़ी लगी बम का इस्तेमाल हुआ था। बोधगया में मिले बम ठीक वैसे ही थे,जैसे बम की बरामदगी ईरम लॉज और पटना के रेलवे स्टेशल और गांधी मैदान से हुई थी। एनआईए ने पूरे मामले में तार जोड़े तो इम्तियाज, नुमान, तारीक, तौफिक , हैदर उर्फ ब्लैक ब्यूटी के द्वारा बोधगया ब्लास्ट में शामिल होने की बात खुली। इंडियन मुजाहिदीन ने गुजरात में एक ही जगह से लोटस की घड़ियां खरीदी थी, जिनका इस्तेमाल अलग अलग धमाकों में किया गया था। जांच में यह बात भी सामने आयी कि हैदर उर्फ ब्लैक ब्यूटी का हमेशा ईरम लॉज में आना जाना था। हैदर ने डोरंडा के यूनूस चौक में अपना ठिकाना बनाया था।पुनः एक बार धमाके के इस मामले को भी एनआईए ने टेकओवर किया, ईरम लॉज में बम बरामदगी के केस को एनआईए ने बोधगया ब्लास्ट केस से जोड़ दिया था। ईरम लॉज में बरामद बिस्फोटक समेत अन्य सबूतों की जानकारी भी एनआईए कोर्ट को दी गई थी, जिसके बाद आरोपियों को दोषी पाया गया।।                            पटना और गया ब्लाष्ट -एक बाल और ब्लैक ब्यूटी

बोधगया ब्लास्ट की जांच के दौरान मिले एक बाल से एनआईए धमाके के मास्टरमाइंड ब्लैक ब्यूटी उर्फ हैदर अली तक पहुंच गई। एनआईए को हैदर का बाल एक बौद्ध भिक्षु के कपड़ों पर मिला था। बाल के डीएनए टेस्ट से एनआईए को हैदर के खिलाफ पुख्ता सबूत मिला। जांच एजेंसी का मानना है कि हैदर ने इसी कपड़े को पहनकर मंदिर में महाबोधि वृक्ष के पास बम रखा था।

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