बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

बड़ी खबर(exclusive pic)13 साल के बच्चे पर हनक दिखाने वाले एडीएम साहब और फिर ट्रैफिक थाने की करतूत से मासूम की माँ बेहोश और बच्चा पहुचा रिमांड होम

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पटना Live डेस्क। राजधानी पटना के कदमकुआँ थाना अंतर्गत पड़ने वाला राजेन्द्र नगर गोलंबर पर तकरीबन 6 बजे एक अजीबोगरीब दृश्य तकरीबन बीसियों लोग एक व्यक्ति से एक स्कूटी वाले बच्चे को माफ़ कर देने की गुहार लगा रहे थे वही कुछ लोग बच्चे को डांट कर कोर्ट पैंट पहनें एक व्यक्ति से माफी मांगने को कह रहे थे। बकौल घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बच्चे ने कान पकड़कर सॉरी भी बोला लेकिन व्यक्ति उसे माफ करने को तैयार नही हुआ।तभी भीड़ देखकर कदमकुआँ थाने की जीप वहा पहुची। जीप पर एक अधेड़ उम्र के दरोगा विराजमान थे। पुलिस को देखते ही व्यक्ति ने अपना परिचय एडीएम पटना के तौर पर दिया। इधर,भीड़ ने जैसे ही ये बात सुनी कुछ लोग तो फौरन सरक लिए तो कुछ लोगो ने पुनः एक बार गुहार लगाई ” माफ कर दीजिए सर लइका है। गलती हो गया भगवान के दया से आप हु को चोट वोट त नही न लगा सर,अरे लइका माफी मांगो सर से पैर धर के। लेकिन ये सारी बातें बेकार साबित हुई और अपने रुतबे के हनक में एडीएम साहब ने जब देखा कि पुलिस भी बच्चे को रोता देख और लोगो की मिन्नत आरजू की वजह से हाथ पांव नही हिला रही है तो उन्होंने कहा आप लोग इसको थाना ले जाइएगा की हम  वरीय अधिकारियों को इसकी इत्तिला दे। इतना सुनना था कि पुलिस ने बच्चे को पकड़ा और गाड़ी में लेकर चली गई। बकौल चश्मदिदों के “तनियक्के से त सटली हल गाड़िया, कुच्छो होली हल थोड़े उ अदमिया के लेकिन पोस्टवा के गर्मी हली लइकवा के पुलिस से धरवा दिया।                        कौन है बीरेंद्र कुमार पासवानघटना में स्कूटी सवार बच्चे को पुलिस के हवाले करने वाले व्यक्ति है राजधानी पटना में एडीएम(विशेष प्रोग्राम) के पद पर तैनात वीरेंद्र पासवान। मूल रूप से जमुई के रहने वाले एडीएम बीरेंद्र कुमार पासवान परिवार के साथ अगमकुआं थाना क्षेत्र के बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के एचआइजी सेक्टर सात के ब्लॉक-तीन के फ्लैट संख्या 20 में रहते हैं। रांची में भी एडीएम साहब का आलीशान घर-द्वार है। ड्यूटी से कैसे पहुच गए राजेन्द्र नगर ?अब जरा एक और सच जान लीजिए,एडीएम साहब की तैनाती 350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह को लेकर पटना जिला प्रशासन ने बतौर नोडल पदा​धिकारी बाल लीला गुरुद्वारा में थी। सोमवार की रात तय कार्यक्रम के अनुसार 12 बजे से 2 बजे तक मुख्य आयोजन होने के कारण सीएम नीतीश कुमार को भी इस कार्यक्रम में शिरकत करनी थी और उन्होंने ने की भी। राजेन्द्र नगर गोलंबर पर एटीएम जिससे पैसे निकालने की बात एडीएम साहब कह रहे है वो अशोका फास्टफूड और मार्बल की दुकान के बीच मे है। अब सवाल उठता है आखिर अपनी ड्यूटी स्थल से कई किलोमीटर दूर एडीएम साहब घटना स्थल पर क्या कर रहे थे? दूसरा घटना में घर वो घायल है तो मेडिकल क्यो नही हुआ?

बेटी ने की थी खुदकुशी    एडीएम साहब बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के एचआइजी सेक्टर सात के ब्लॉक-तीन के फ्लैट संख्या 20 में रहते हैं। इसी वर्ष यानी 2017 के मई महीने की रविवार 16 तारीख की दरमियानी रात एडीएम के इसी एचआइजी फ्लैट में इनकी बड़ी बेटी 20 वर्षीया मोनाली किशोर उर्फ गुड्डू ने फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मोनाली का शव दुपट्टे के सहारे पंखे से उसके कमरे झूलता मिला था। मोनाली स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा थी।                         साहब के रुतबे की हनक रूपी सनक का शिकार होंने वाला 13 साल का विकास आर्या पटना के विशप स्कॉट स्कूल में क्लास 9वीं क्लास में पढ़ता है। पटना के कंकड़बाग थाना क्षेत्र के D-115 पीसी कॉलोनी में किराए के मकान में अपनी माँ और बहन के साथ रहता है। यह परिवार मूल रूप से पटना जिले के बख्तियारपुर का रहने वाला है। पिता रामचन्द्र मिश्र की बख्तियारपुर में एक छोटी सी दुकान है।                                             कौन है 13 साल का मासूम

घटना 25 दिसम्बर के शाम कों घटित हुई। सोमवार को क्रिसमस की स्कूलो में छुट्टी थी। जाहिर सी बात है विकास का स्कूल भी बंद था। शाम के टाईम विकास घर से अपनी माँ से कहकर चाउमीन खाने के लिए निकला था। घर से नीचे उतरते ही उसे बड़ी बहन का एक फ्रेंड आर्यन मिल गया। विकास ने आर्यन से उसकी स्कूटी चलाने के लिए मांग ली।अपने एक फ्रेंड के साथ वो स्कूटी से राजेन्द्र नगर पुल क्रॉस कर कदमकुआँ थाना क्षेत्र के वैशाली गोलंबर पर पहुचा और फिर अशोका फास्फाइड में जाकर चाउमीन का ऑडर दिया। इसी बीच चुकी स्कूटी आर्यन की थी वो जल्दी आने के लिए फ़ोन कर रहा था। लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था।
जब वापस लौटने खातिर विकास ने  स्कूटी स्टार्ट की और आगे बढ़ा ही था कि अचानक एटीएम से कैश निकालकर आ रहे एडीएम बिरेन्द्र कुमार पासवान स्कूटी के सामने आ गए। चश्मदिदों के अनुसार स्कूटी से व्यक्ति को ज्यादा चोट तो नही लगी उलटा स्कूटी वाला लड़का जोर से गिरा था।फिर क्या हुआ आप ऊपर चश्मदिदों के अनुसार पढ़ ही चुके है।

माँ के आँसू मिन्नते और एडीएम का गुरुर विकास को कदमकुआं थाने की पेट्रोलिंग टीम हवाले कर एडीएम निकल गये। इधर,6 बजे के बाद से विकास को कदमकुआं थाने में बिठाए रखा गया। इसी बीच जानकारी मिलते ही विकास की मां और बहन समेत अन्य लोग थाने पहुचे। मामले का सच जानकार सभी ने एडीएम साहब से हाथ जोड़कर माफी मांगी। बच्चे को माफ कर देने के लिए काफी मिन्नतें की लेकिन एडीएम साहब टस से मस नही हुए। फिर साहब ने कुछ घंटे बाद ही मामला ट्रैफिक थाने में पहुचवा दिया। मामला गांधी मैदान ट्रैफिक थाने को सौंप दिया गया।चुकी मामला शहर के एडीएम से जुड़ा था ,वहा से एक टीम एक दरोगा और 3 सिपाहियों संग कदमकुआं थाने आई और बच्चे को अपने साथ लेकर ट्रैफिक थाना लेकर चली गई। पूरी रात बच्चे को थाने में रखा गया और बाहर माँ और अन्य परिजन गिड़गिड़ाते और भगवान से मन्नते मांगते रहे।

झूठी दिलासा और ट्रैफिक पुलिस की करतूत

एडीएम की हनक के आगे ट्रैफिक थाने की पुलिस टीम भी नतमस्तक रही। सोमवार की रात से लेकर मंगलवार की दोपहर तक फैमिली वालों को टरकाते रहे झूठी दिलासा देते रहे। यहा तक कहा कि बच्चे की फैमिली को ये कहा कि एडीएम साहब से कहवा दीजिए तो छोड़ देंगे। दो-तीन बार एडीएम साहब से फैमिली वाले मिले।दिखावे के लिए छुड़वाने को कहा भी।लेकिन इसके बाद ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि एडीएम साहब से रिटेन में लिखवा कर दीजिए,तब बच्चे को छोड़ेंगे। जबकि तमाम लेकिन बाद में एडीएम साहब ने रिटेन में लिख कर देने से साफ मना कर दिया। ट्रैफिक थाने के सब इंस्पेक्टर विनय कुमार सिंह के अनुसार मजिस्ट्रेट के यहां पेशी के बाद बच्चे को रिमांड होम भेज दिया गया है। जो सरासर एक गलत आचरण है पुुुलिस द्वारा क्योकि ..विकास के मामले में पटना यातायात थाना की पुलिस ने जो किया है उसे जानकर दंग रह जाएंगेमएडीएम की शिकायत पर विकास के खिलाफ जो एफआईआर दर्ज किया था। उसमें IPC की धारा 279/337/338 लगाया गया था। बकौल कानून के जानकारों के अनुसार ये थाना के स्तर से जमानतीय धारा है। इन धाराओं के तहत थाना से ही जमानत दिया जा सकता था लेकिन इस केस के आईओ ने सीजीएम को फॉरवार्डिंग लेटर बनाया उसमे लिखा कि “अभियुक्त का कोई जमानतदार नही था इसलिए अग्रतर कार्रवाई के लिए पुलिस अभिरक्षा में न्यायालय में उपस्थित किया गया है। जबकि विकास के परिजन लगातार थाना में मौजूद थे।विकास की माँ जहा बेहोश हो रही थी।वही उसके कई रिश्तेदार भी मौजूद थे।उसके बाद भी यह लिखना की कोई जमानतदार नही था। यह फॉरवाडिंग लैटर ही सरासर पुलिस की मंशा को न केवल दर्शाता है,बल्कि करतूत को उजागर करता है।

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